एंट्रेंस में इस बार सॉल्वर की नहीं गलेगी दाल
- आरयू के एंट्रेंस टेस्ट में इस बार सॉल्वर बिठाना होगा मुश्किल
- स्टूडेंट्स लीडर्स परीक्षा में सेंध लगाने का ढूंढ रहे हैं जुगाड़ BAREILLY: एलएलबी एंट्रेंस में सॉल्वर बैठाने की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स लीडर्स को इस बार जोर का झटका लग सकता है। उनके मंसूबे कामयाब होते नहीं दिखते। दरअसल जिस प्रोसेस के जरिए वे सॉल्वर को एंट्री दिलाकर एंट्रेंस में सेंध लगाते थे वह प्रोसेस ही खत्म हो गया है। जिस वजह से सॉल्वर को एंट्री दिलाने का अभी कोई तरीका वे इजाद नहीं कर पाए हैं। हालांकि अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए वे जोर पूरा लगाए हैं, लेकिन फिलहाल कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है। सिचुएशन भले ही पहले ही जैसे ना हों लेकिन स्टूडेंट्स लीडर्स स्टूडेंट्स को पास कराने का लालच खूब दे रहे हैं। एग्जाम के दौरान उन्हें नकल कराने का पूरा भरोसा दिला रहे हैं। ये होती है मोडस ओपरेंडीआरयू के एडेड कॉलेजेज में एलएलबी कोर्स में एडमिशन पाने के लिए काफी होड़ मचती है। स्टूडेंट्स एडमिशन के लिए हर तरह का जुगाड़ लगाते हैं। एग्जाम के दौरान सॉल्वर बिठाना भी इसी जुगाड़ में से एक है। स्टूडेंट्स लीडर्स स्टूडेंट्स के इसी ललक को भुनाते हैं और सॉल्वर के जरिए उन्हें पास कराने के लिए जमकर रुपए वसूलते हैं। यही नहीं अधिकांश स्टूडेंट्स लीडर्स भी सॉल्वर के जरिए पेपर सॉल्वर खुद भी एलएलबी में एडमिशन लेते हैं। इसके लिए वे कुछ ग्रुप के स्टूडेंट्स का रोल नम्बर सीरिज में जारी करवाते हैं। इसके लिए वे आरयू के कर्मचारियों से सांठ-गांठ करते हैं। उस सीरिज के रोल नम्बर के बीच में ही वे सॉल्वर का भी रोल नम्बर जारी करवाते हैं। इसके लिए सॉल्वर का भी पहले ही फॉर्म भरवा लेते हैं। रोल नम्बर जारी करवाने के लिए स्टूडेंट्स लीडर्स खुद ही अपने सामने उन ग्रुप के स्टूडेंट्स का एप्लीकेशन फॉर्म एक साथ सीरिज में वेरिफिकेशन कराते हैं।
इस बार वेरिफिकेशन का प्रोसेस नहींस्टूडेंट्स लीडर्स जिस वेरिफिकेशन के प्रोसेस के जरिए सीरिज में रोल नम्बर जारी करवाते थे आरयू ने वह प्रोसेस ही खत्म कर दिया है। इस बार आरयू ने एंट्रेंस टेस्ट के लिए अप्लाई करने का पूरा प्रोसेस ऑनलाइन कर दिया था। पहली बार ऑनलाइन करने के साथ ही आरयू ने फॉर्म की हार्ड कॉपी भी जमा करने के प्रोसेस से किनारा कर लिया। स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन फॉर्म भरा और उसका प्रिंटआउट निकालकर अपने पास रख लिया। आरयू ने फॉर्म के प्रिंटआउट को नहीं लिया। ऐसे में स्टूडेंट्स लीडर्स को मौका ही नहीं दिया कि वे अपने तरीके से फॉर्म का वेरिफिकेशन करा सकें। एक के बाद एक जितने भी फॉर्म वेरिफाई होते हैं उनका रोल नम्बर सीरिज में जारी होता है। आरयू के वेबसाइट इंचार्ज रवींद्र गौतम ने बताया कि इस बार स्टूडेंट्स से फॉर्म की हार्ड कॉपी नहीं मांगी गई। ऐसे में पूरा प्रोसेस ऑनलाइन कर दिया गया। स्टूडेंट्स को ऑनलाइन एडमिट जारी कर इंफॉर्मेशन मोबाइल पर दे दी जाएगी।
अब नकल ही सहारा भले ही सॉल्वर को एंट्री दिलाने में कोई जुगाड़ नही लग पा रहा है लेकिन स्टूडेंट्स लीडर्स स्टूडेंट्स को पास कराने का ठेका लेने में पीछे नहीं हैं। वे एग्जाम के दौरान पर्चियों के सहारे नकल कराने का दावा ठोंक रहे हैं। दरअसल एग्जाम शुरू होने के कुछ टाइम बाद ही पेपर किसी तरह से एग्जाम रूम से बाहर पास करा दिया जाता है। फिर जल्दी से क्वेश्चंस के आंसर के च्वाइस एक पर्चियों पर लिख दिया जाता है, क्योंकि क्वेश्चंस केवल ऑब्जेक्टिव च्वाइस में ही पूछे जाते हैं। फिर उन पर्चियों का जेरॉक्स कराकर कॉलेज के कर्मचारियों की मदद से एग्जाम रूम में पहुंचाई जाती है। फिलहाल स्टूडेंट्स लीडर्स इसी तरीके से ही स्टूडेंट्स को फांस रहे हैं।