रोडवेज बस: इमरजेंसी में भी खुद करें फस्र्ट एड
बरेली (ब्यूरो)। अगर आप भी परिवहन निगम की बसों में ट्रेवल करते हैैं तो यह खबर आपके लिए खास हो सकती है। अगर सफर के दौरान कोई इमरजेंसी होती है तो फस्र्ट एड की उम्मीद मत रखिए। क्योंकि इन बसों में फस्र्ट एड बॉक्स ही अब गायब हो चुके हैं। जबकि परिवहन विभाग पैसेंजर्स की सेफ्टी का पूरा दावा करता है। मगर जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने ओल्ड रोडवेज पर बसों का रिएलिटी चेक किया तो सच्चाई कुछ और ही निकलकर सामने आई। पेश है यह स्पेशल रिपोर्ट
फस्र्ट एड बॉक्स ही गायब
ट्रैवल करते वक्त अगर कोई इमरजेंसी होती है तो फस्र्ट एड बॉक्स इसमें काफी मददगार साबित होता है। नियमानुसार बसों में फस्र्ट एड बॉक्स रखना अनिवार्य होता है। इसके विपरित दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में ओल्ड रोडवेज अड्ढा और सेटेलाइट बस स्टैैंड पर खड़ी अधिकांश बसों में फस्र्ट एड बॉक्स नहीं मिला। कई पुरानी बसों को चेक किया गया तो उनमें तो हालात और भी ज्यादा खराब दिखे। सफर के लिए स्टैैंड पर खड़े पैसेंजर्स से बातचीत की गई तो बसों में सेफ्टी को लेकर उनका फीडबैक भी पॉजिटिव नहीं मिला।
रीजन में है चार डिपो
बरेली रीजन में चार डिपो हैैं। इनमें चलने वाली कुल 625 बसों में हर रोज हजारों पैसेंजर्स ट्रेवल करते हैैं। उसके बाद भी पब्लिक सेफ्टी के प्रति विभाग उदासीनता दिखा रहा है। इसमें से अधिकांश बसों में फस्र्ट एड बॉक्स ही नहीं है। वहीं जिनमें बॉक्स मिले तो उनमें किट ही नहीं थी।
लापरवाही की इंतेहा
रोडवेज बसों में लापरवाही की इंतेहा सिर्फ फस्र्ट एड बॉक्स तक सीमित नहीं है। इनमें तकनीकी खामी के कारण हाल में ही बड़ा हादसा होते-होते बचा था। ओल्ड रोडवेड बस स्टैैंड पर खड़ी एक बस अचानक टक्कर लगने से मेन रोड पर पहुंच गई थी। गनीमत रही कि सुबह का समय था और रोड पर कोई हलचल नहीं थी। हालांकि इस दौरान सामने दुकान से टकराकर बस के आगे का शीशा टूट गया था। बाद में रोडवेज के अफसर लीपापोती करने में लग गए थे। इससे पहले भी कई बार लापरवाही सामने आ चुकी है। पैसेंजर्स की सेफ्टी को लेकर इस तरह की लापरवाही फस्र्ट एड बॉक्स को न रखकर दिखाई जा रही है। जबकि नियमानुसार यह किट बस में रखी जाती है। ताकि इमरजेंसी पडऩे पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।
आइए इनकी भी सुनें
रीजन के आरएम दीपक चौधरी ने बताया कि बसों मेें डायरेक्ट अब किट नहीं लगाई जाती है। क्योंकी कई बार लोग उसे उखाड़ लेते हैैं या सामान निकाल लेते है। अब किट कंडक्टर दे दी जाती है, जिससे इमरजेंसी होने पर वह इसे इस्तेमाल कर सके।
दीपक चौधरी, आरएम
आदर्श अग्निहोत्री, पैसेंजर कॉलेज जाती हंू और यहां रेंट पर रह रही हंू। ऐसे में अधिकांश बस से ही सफर करती हूं। यहां बस में सुविधाओं का अभाव होने से ट्रैवल टफ टस्क लगता हैै।
रति, पैसेंजर मैने बस में कभी भी फस्र्ट एड किट नहीं देखी हैैं। यहां की बस हाला-डोला है। कभी भी अंजर-पंजर ढीले हो सकते हैैं।
योगिता, पैसेंजर