मौत का 'लाइसेंस' लेकर रात में निकलते हैं व्हीकल्स
- रात में नहीं लगती ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी
- सिविल पुलिस भी नहीं निभाती अपनी जिम्मेदारी - एक्सीडेंट में तीन सौ से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौतBAREILLY: अगर आप रात में अपने वाहन से सफर कर रहे हैं तो आपको कुछ ज्यादा अलर्ट रहना पड़ेगा। क्योंकि न जाने कब आप मौत के गाल में समा जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं है। दिल्ली में गोपीनाथ मुंडे की एक्सीडेंट में मौत की घटना के बाद पूरे देश में ट्रैफिक सिस्टम को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। यहां तक ट्रैफिक रूल में बदलाव करने के लिए बहस भी शुरू हो गई है। फ्राइडे नाइट को क्ख् बजे के बाद जब आईनेक्स्ट की टीम सिटी की सड़कों का जायजा करने निकली तो ट्रैफिक सिस्टम का हाल जानकर हैरान रह गई। रास्ते में पड़ने वाले किसी भी चौराहे पर न तो कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात था और न ही कोई सिविल पुलिस का जवान। सभी व्हीकल अपनी मर्जी से सड़कों पर फर्राटा भर रहे थे।
प्लेस : मिनी बाईपास मोड़ समय : पता नहीं अंधेरे में कब हो जाए हादसामिनी बाईपास मोड़ पर देखा कि यहां मोड़ के बीच में पुलिस की पिकेट बनी हुई है। इस पिकेट पर दिन में ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात रहते हैं, लेकिन रात में यहां कोई मौजूद नहीं था। यही नहीं इस मोड़ पर लगी हाई मास्क लाइट भी खराब पड़ी थी, जिससे मोड़ पर तीनों ओर आने वाले वाहन ही नहीं दिखाई पड़ रहे थे। हाईवे होने के चलते रात में ट्रक फर्राटा भर के निकल रहे थे कि अचानक दूसरी ओर से गाड़ी के आने पर कई बार हादसा होते-होते बचा। कुछ लोगों ने रात में पैदल रोड क्रॉस करनी चाहिए तो बड़ी मुश्किल से ही वो ऐसा कर सके। अगर वो थोड़ी सी जल्दबाजी करते तो उनकी जान जा सकती थी। हां, इतना जरूर था कि रात में किला एसएचओ जरूर यहां से गश्त करते नजर आए।
प्लेस : इज्जतनगर समय : सड़कों पर ऑटो का कब्जाजब टीम इज्जतनगर रेलवे स्टेशन के पास पहुंची तो देखा कि यहां रात में भी ट्रैफिक का बुरा हाल था। नैनीताल जाने वाले रोड के दोनों ओर ऑटो वालों का ही जमावड़ा था। यहां चीता मोबाइल खड़ी थी, लेकिन एक सिपाही वायरलेस लेकर मुस्तैद था तो दूसरा सड़क किनारे बने अवैध ढाबा में आराम फरमा रहा था। जब सिपाही ने कैमरे को देखा तो वह तुंरत ऑटो वालों को हटवाने में लग गया। साथ ही ऑटो वालों को दोष देने लगा। रात में ट्रेन के टाइम पर ज्यादा बुरा हाल हो जाता है। जाम न लगे इसलिए डयूटी कर रहे हैं।
प्लेस : डेलापीर चौराहा समय : यहां रहता है अंधेरा डेलापीर चौराहा से भी रात में हेवी व्हीकल गुजरते हैं, लेकिन इस चौराहा की बनावट ऐसी है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि अचानक चौराहा पर दिल्ली व नैनीताल की ओर जाने वाले रास्ते पर मोड़ है। रात में ट्रक हाईस्पीड में ही आकर व्हीकल मोड़ते हैं। चौराहा होने के बावजूद यहां लाइट का कोई इंतजाम नहीं है। यहां हाई मास्क लाइट लगी हुई है, लेकिन वो भी खराब है। प्लेस : पीलीभीत बैरियर समय : हम तो डयूटी से जा रहे हैंफिर टीम पीलीभीत बैरियर पर पहुंची। यहां पर चौकी पर कुछ पुलिसकर्मी व कुछ होमगार्ड मौजूद थे। यहां पर एक डीसीएम से एक ड्राइवर उतरकर चौकी की तरफ आने लगा। जब उस पर कैमरे की फ्लैश पड़ी तो वह साइड से कहीं और जाने का बहाना करने लगा। कुछ देर ठहरने पर एक सिपाही टार्च लगाकर पूछताछ करने पहुंचा, लेकिन जब कैमरा देखा तो बिना कुछ पूछताछ किए ही चला गया। कुछ देर बाद एक होमगार्ड आया और डरते हुए खुद की डयूटी ऑफ होने के बाद घर जाने की सफाई देने लगा।
प्लेस : सैटेलाइट बस अड्डा समय : पुलिस के सामने व्हीकल की छत पर बैठो रूल्स के हिसाब से सैटेलाइट बस अड्डा पर ऑटो को छोड़कर कोई भी व्हीकल सवारी नहीं भर सकता है। यहां पर कुछ गाडि़यों में ऊपर तक सवारियां लोड की जा रही थीं। न तो गाड़ी वालों को उनकी जान की चिंता थी और न खुद सवारियों को, जबकि कुछ दिन पहले ही फतेहगंज पूर्वी में ओवरलोडेड बस पलटने से क्ख् लोगों की जान चली गई थी। सैटेलाइट चौक पर दो पुलिसकर्मी पिकेट डयूटी दे रहे थे, लेकिन इस चौराहा पर भी कोई भी पुलिसकर्मी ट्रैफिक कंट्रोल के लिए नहीं लगा हुआ था। सभी वाहन अपनी मर्जी से तेज स्पीड में चौराहा क्रास कर निकल रहे थे। प्लेस : ईसाइयों की पुलिया समय : वनवे बना शो पीसईसाइयों की पुलिया से बियावान कोठी को जाने के लिए खुर्रम गौटिया होते हुए जाना पड़ता है, लेकिन दूसरी ओर से इस पर वाहन नहीं गुजर सकते। वाहन मालियों की पुलिया के पास से निकलते हैं। दिन में तो खुर्रम गौटिया के पास ट्रैफिक पुलिस खड़ी होती है, लेकिन रात में यहां कोई ट्रैफिक रूल नहीं चलता। यहां पर एक ही रोड से ओर से वाहन निकलते हैं वो भी तेज स्पीड में। ईसाइयों की पुलिया के पास अगर सैटेलाइट और श्यामगंज की ओर से आने वाला व्हीकल देखकर नहीं निकलेगा तो उसकी जान जोखिम में पड़ना ि1नश्चित है।
प्लेस : श्यामगंज चौराहा समय : एक्सीडेंट होते-होते बचा श्यामगंज चौराहा दिन में छोटे वाहनों से भरा रहता है, लेकिन रात में इस चौराहे पर बड़े वाहनों का ही कब्जा रहता है। क्योंकि इस चौराहा के आसपास सभी बड़ी मार्केट हैं और रात में नो इंट्री ओपन रहती है। कोई भी छोटा व्हीकल रात में यहां से ठीक से नहीं निकल सकता। रात में देखा कि ट्रक वाले यहां भी तेज स्पीड में चल रहे थे। एक बार तो दो ट्रक ही यहां आपस में टकराते हुए बच गए। यहां की चौकी पर एक सिपाही तैनात मिला, लेकिन वो चौकी में अंधेरा करके बैठा हुआ था। जब पूछा तो बताया कि तबियत खराब है और गर्मी कम लगे इसलिए लाइट बंद कर दी है। प्लेस : चौकी चौराहा समय : कैमरा देखा कुर्सी से उठे चौकी चौराहा से नेशनल हाईवे गुजरता है। फ्राइडे रात को यहां चौकी में तो कोई सिपाही मौजूद नहीं था, लेकिन दो सिपाही चौकी के बाहर कुर्सियों पर बैठे हुए थे। कैमरा देखकर वे खड़े हो गए। जब उनसे पूछा गया तो बताया कि पेट्रोलिंग में डयूटी लगी है। इस चौराहा पर कुछ लोग सड़क किनारे सवारी का इंतजार कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर रिक्शे वाले आराम से सो रहे थे, लेकिन दिल्ली की ओर से आने वाले बड़े वाहन फर्राटे भर के निकल रहे थे। सिविल पुलिस भी नहीं लेती जिम्मेदारी नाइट में ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी की वजह से नाइट में वाहन फर्राटा इसलिए भरते हैं। यही नहीं रात में गश्त करने वाली सिविल पुलिस के पास ही इसकी जिम्मेदारी होती है, लेकिन वो गश्त ही ठीक से कर ले तो ही सही है। रात में ट्रैफिक सही रहे इसके लिए सिविल पुलिसकर्मियों को रात में मेन चौराहों पर तैनात रहना होता है, जिससे वो गलत तरह से व्हीकल चलाने वालों पर लगाम लगा सकें और वहां से गुजरने वाले संदिग्धों से भी पूछताछ कर सकें। नो इंट्री ओपन होने के बाद बुरा हाल पुलिस के अनुसार ट्रैफिक पुलिस की डयूटी सिर्फ दिन में ही रहती है। गर्मी के दिनों में यह डयूटी सुबह 8 बजे से स्टार्ट होती है और रात में साढ़े नौ बजे समाप्त हो जाती है। इसके लिए सिटी के बिजी चौराहों पर ही पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, जिससे जाम लगने पर पब्लिक को आसानी से निकाला जा सके, जबकि सिटी में नो इंट्री का टाइम सुबह 8 बजे से स्टार्ट होकर रात में 9 बजे खत्म हो जाता है। रात में नौ बजे से सुबह 8 बजे तक सिटी के अंदर भी कोई भी बड़ा व्हीकल भी आराम से इंट्री कर सकता है। उससे कोई भी पूछताछ करने वाला नहीं है। रात में ट्रैफिक पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर 8म्भ्00000क्क् पर आने वाली ट्रैफिक प्रॉब्लम को सिटी कंट्रोल में बताया जाता है। चार तरह से नाइट में होती है पेट्रोलिंग सिटी में रात में ट्रैफिक के लिए कोई अलग से फोर्स तैनात नहीं होती लेकिन रात में गश्त व पेट्रोलिंग के लिए लगने वाली सिविल पुलिस के पास ही इसकी जिम्मेदारी होती है। सिटी में रात में पेट्रोलिंग चार तरीके से की जा रही है। पहले तरीके में रात क् बजे से सुबह भ् बजे तक जोनल चेकिंग की जाती है। जोनल चेकिंग के तहत सिटी को तीन जोन में बांटा गया है। इसमें डेली प्रत्येक जोन में एक सीओ व एक इंस्पेक्टर को अपने जोन के सभी थानों में लगने वाली पुलिकर्मियों की डयूटी को चेक करने के साथ-साथ पेट्रोलिंग भी करनी होती है। सिर्फ नाम की है चीता दूसरे तरीके से चीता मोबाइल को रात में पेट्रोलिंग के लिए लगाया जाता है। वर्तमान में सिटी में ब्क् चीता तैनात हैं। प्रत्येक थाना में ऐवरेज ब् चीता मोबाइल हैं। चीता की डयूटी रात में 8 बजे से शुरू होकर सुबह 8 बजे तक होती है। इस दौरान चीता को अपने थाना क्षेत्र में एरिया व बीट वाइज पेट्रोलिंग करनी होती है। तीसरे तरीके से चौकी इंचार्ज को अपने चौकी क्षेत्र में घूमना होता है। इसके तहत चौकी इंचार्ज की जिम्मेदारी होती है कि उसके एरिया में रात क्क् बजे के बाद कोई भी दुकान चाहें पान हो या फिर चाय की हो खुलनी चाहिए। अगर कोई संदिग्ध मिलता है तो उसकी भी चेि1कंग करें। लेकिन रात में नहीं आता कोई नजर नाइट में चेकिंग के इतने व्यापक इंतजाम सिर्फ कागजों पर ही है। जब फ्राइडे रात को आईनेक्स्ट की टीम सड़कों पर निकली तो कुछ पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से करते नजर आए बाकी जगह बुरा ही हाल रहा। न तो सड़क पर पेट्रोलिंग का कोई वाहन गुजरता हुआ दिखाई दिया और न ही कहीं नजर आई। एक दो जगह पिकेट डयूटी पर पुलिसकर्मी जरूर तैनात मिले, लेकिन किसी को रात में ट्रैफिक सिस्टम से कोई लेना देना नहीं था। एक्सीडेंट में गई जान दिन हो या रात सड़क हादसों में अक्सर कई लोग अपनी जान गवां देते हैं, लेकिन रात में सड़क हादसे में किसी का भी बचना मुश्किल ही होता है। अगर छोटा वाहन किसी बड़े वाहन की चपेट में आ गया तो उसमें बैठे लोगों की जान बचना ना के बराबर ही रहती है। यही नहीं रात में वाहन तेज स्पीड से भी चलते हैं और एक्सीडेंट करने वाला वाहन चालक भागने में कामयाब हो जाता है। पुलिस रिकार्ड पर गौर करें तो इस साल भ् महीने में फ्00 से अधिक एक्सीडेंट हो चुके हैं, जिनमें करीब सवा सौ लोग अपनी जान गवां चुके हैं और ख्00 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।