1 नंबर से रैंक वन का कंफ्यूजन
- कंफ्यूजन बना टॉप 5 का फंडा, स्कूल टॉपर होने के दो दावेदार
- ओवरऑल हाइयेस्ट मार्क्स के बावजूद टॉप रैंकिंग से खिसके धुरंधरBAREILLY: आईसीएसई बोर्ड में शानदार परफॉर्मेस देने और स्कूल में सबसे ज्यादा मार्क्स गेन करने के बावजूद चेहरे पर खुशी से ज्यादा शिकन थी। साथ के दोस्तों और टीचर्स से सबसे ज्यादा मार्क्स लाने पर बधाइयों का तांता लगा था, पर समझ ही नहीं आ रहा था कि इस बधाई का असल हकदार कौन है। अगर वह खुद नहीं तो सामने वाला कैसे और अगर सामने वाला है तो खुद के अव्वल होने का तर्क कैसे समझाएं। चेहरे पर भले ही मुस्कान तैर रही हो पर मन में तो हल्की उलझन थी। वजह भी साफ थी। सवाल जो बरकरार था कि आखिर कौन है स्कूल का ओवरऑल टॉपर। जीपीएम स्कूल में सिर्फ क् नंबर पर दो धुरंधरों के बीच टॉपर होने का कंफ्यूजन रहा। टॉप भ् के फंडे में फंसे स्टूडेंट्स इसी उधेड़बुन में रहे कि उनमें असली टॉपर कौन है।
टॉप भ् बना कंफ्यूजनवेडनसडे को दोपहर तीन बजे आईसीएसई बोर्ड का रिजल्ट डिक्लेयर हुआ। जीपीएम कॉलेज में भी अपनी मेहनत का रिजल्ट जानने के लिए क्0वीं के स्टूडेंट्स उमड़ पड़े। कई जहां उम्मीदों के मुताबिक नम्बर्स न आने से स्टूडेंट्स थोड़ा मायूस दिखे। वहीं स्कूल के दो मेधावियों के माथे पर शिकन थी। सिद्धार्थ आनंद और कुशाग्र सिंह वत्स स्कूल में सबसे ज्यादा मार्क्स गेन करने वाले स्टूडेंट्स रहे, लेकिन ओवरऑल जहां म्00 में से भ्भ्फ् मार्क्स लाने वाले कुशाग्र सिंह टॉपर होने के दावेदार रहे। वहीं सीआईएससीई के टॉप भ् रूल के तहत म् सब्जेक्ट्स में से स्टूडेंट्स को टॉप भ् नम्बर्स वाले सब्जेक्ट्स ही रिजल्ट के लिए सेलेक्ट करने होते हैं, जिसमें इंग्लिश का होना कंप्लसरी होता है। इस तरह भ्भ्ख् मार्क्स लाने के बावजूद ओवरऑल परसेंटेज पर सिद्धार्थ आनंद को टॉपर कहा गया।
सीआईएससीई का रूल भारीजीपीएम कॉलेज में आईसीएसई बोर्ड में कुल क्ब्भ् स्टूडेंट्स अपीयर हुए और सभी पास हुए। क्00 फीसदी रिजल्ट वाले इस कॉलेज में सभी स्टूडेंट्स से सबसे ज्यादा भ्भ्फ् मार्क्स कुशाग्र के रहे। कुशाग्र को मैथ्स में 9ख्, कम्प्यूटर में क्00, साइंस में 9ब्, सोशल साइंस में 9ख्, हिन्दी में 9ख् और इंग्लिश में 8फ् मार्क्स मिले। वहीं सिद्धार्थ को मैथ्स में 98, कम्प्यूटर में क्00, साइंस में 9ख्, सोशल साइंस में 9ब्, हिन्दी में 90 और इंग्लिश में बाकियों से काफी कम 78 मार्क्स ही मिले। सीआईएससीई के रूल के तहत ऐसे में कुशाग्र और सिद्धार्थ दोनों ने अपने हिन्दी सब्जेक्ट के मार्क्स रिजल्ट से हटाए, जिसके बाद टॉप भ् के बेसिस पर कुशाग्र के जहां 9ख्.ख् परसटेंज रहे। वहीं सिद्धार्थ को 9ख्.ब् फीसदी हासिल हुआ। इस तरह टोटल मार्क्स में कुशाग्र से एक नम्बर कम होने के बावजूद सिद्धार्थ को टॉपर सेलेक्ट किया गया।
फिर भी टॉपर है कुशाग्र भले ही सीआईएससीई के टॉप भ् रूल के नजरिए से कुशाग्र सिंह स्कूल के ओवरऑल टॉपर लिस्ट में दूसरे नम्बर पर रखे गए हो, लेकिन खुद की, फैमिली की और दोस्तों की नजर में वही असली टॉपर है। घर में सबसे छोटे कुशाग्र अपनी इस कामयाबी के लिए सेल्फ स्टडीज को सबसे अहम मानते हैं। कुशाग्र का कहना है कि सुबह जल्द उठकर पढ़ने से ही स्टडीज पर सबसे ज्यादा फोकस रहा। बड़े भाई ने हमेशा सपोर्ट किया। कभी खराब परफॉर्मेस भी रहा तो हौसला दिया। कुशाग्र के पापा का सपना है कि वह इंजीनियर बने, जबकि वह आईएएस बनना चाहता है। ऐसे में वह पहले बीटेक कर सिविल सर्विस की तैयारी करेगा, जिससे दोनों के सपने पूरे कर सकें।