पॉजिटिविटी से कोरोना को हराकर घर लौटे राममूर्ति
-300 बेडेड कोविड हॉस्टिल से 13 दिन बाद हुए डिस्चार्ज
-कोरोना पॉजिटिव पत्नी भी निगेटिव होकर लौट चुकी हैं घर बरेली। कोरोना सुनामी ने भले ही कितने भी भयावह हालात पैदा क्यों न कर दिए हों, परिस्थितियां भले ही कितनी भी विपरीत क्यों न लग रही हों, पर पॉजिटिविटी की एनर्जी से इन हालातों से लड़ा भी जा सकता है और जीता भी जा सकता है। सरकारी कोविड हॉस्पिटल में 20 अप्रैल से जिंदगी की जंग जंग लड़ रहे 61 वर्षीय राममूर्ति इसकी मिसाल हैं। अस्थमा पेशेंट होने के बाद भी उन्होंने अपनी पॉजिटिविटी की एनर्जी से कोरोना को मात दे डाली। निगेटिव होने के बाद वह मंडे को यहां से डिस्चार्ज होकर अपने घर लौट गए। हालात बेहतर होने की जगाई उम्मीदकोरोना के आपातकाल में सैकड़ों पेशेंट्स और उनके तीमादारों के लिए 300 बेडेड सरकारी कोविड हॉस्पिटल ही आखरी उम्मीद है। सीमित संसाधनों के बीच कोरोना पेशेंट्स के इलाज में यह हॉस्पिटल जिस तरह के हालातों का सामना कर रहा है वह भी किसी से छिपा नहीं है। इन हालातों के चलते ही हॉस्पिटल स्टाफ को पेशेंट्स और उनके तीमारदारों की नाराजगी और मिसबिहेव का भी सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी वह अपनी ड्यूटी के साथ ही इंसानियत के फर्ज को बखूबी निभा रहे हैं। साथ में कोई तीमारदार नहीं होने के बाद राममूर्ति स्टाफ के सेवा भाव के बल पर ही यहां से घर लौट सके हैं। उन्होंने यहां भर्ती अन्य मरीजों और उनके तीमारदारों में भी जिंदगी की उम्मीद जगाई है।
पत्नी भी डिस्चार्ज होकर लौटी घर 300 बेडेड हॉस्पिटल से घर लौट रहे राममूर्ति ने बताया कि पहले उनकी पत्नी सुषमा रस्तोगी कोरोना पॉजिटिव हुई थी। उन्होंने ही उसे यहां भर्ती कराया और इलाज के बाद वह निगेटिव होकर यहां से घर लौट गई। इसी दौरान वह भी पॉजिटिव हुए तो यहीं भर्ती हो गए। हालात बिगड़ने पर उन्हें यहां आईसीयू में रखा गया। कई दिन आईसीयू में रहने के बाद वह भी निगेटिव होकर आज घर लौट रहे हैं। वार्ड ब्वाय ने निभाया फर्ज300 बेडेड हॉस्पिटल का स्टाफ इंसानियत का फर्ज कैसे निभा रहा है यह राममूर्ति से भला कौन जान सकता है। राममूर्ति दो दिन पहले ही निगेटिव हो गए थे। साथ में कोई तीमारदार नहीं होने और पैर में फ्रेक्चर होने के चलते चलने में भी लाचार होने के चलते ही उन्हें यहां से डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा था। मंडे को जब उन्होंने खुद ही चले जाने की जिद की तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद वार्ड ब्वाय पवन उन्हें व्हील चेयर में लेकर गेट के बाहर पहुंचा और उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए टेंपो वालों की मिन्नतें करने लगा। बड़ी मिन्नतों के बाद एक टेंपो वाला उन्हें घर पहुंचाने के लिए राजी हुआ। पवन ने टेंपो का 200 रुपया किराया भी अपनी जेब से दे दिया।
बीएएमएस विभाग से ही हुए रिटायर राममूर्ति ने बताया कि वह बीएएमएस हैं और विभाग में ही सेवारत रहे। दो साल पहले ही वह नवाबगंज से रिटायर हुए। वह नैनीताल रोड पर शहीद गेट के पास ही रहते हैं। घर में पत्नी के अलावा कोई नहीं है। इसीलिए हॉस्पिटल में उनके साथ कोई तीमारदार नहीं रहा। कोरोना पॉजिटिव ऐसे बुजुर्ग दंपत्तियों को ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।