4डी से ग्रसित नौनिहालों के लिए आरबीएसके वरदान
यह भी जानें
-40 बच्चे साल 2019 में 4डी कैटेगरी के मिले -18 बच्चे साल 2021 में मिले - 27 बच्चे पिछले तीन सालों में हुए स्वस्थ - पिछले वर्ष हायर सेंटर भेजे गए फिजीकली चैलेंज्ड बच्चों को हायर सेंटर में मिला इलाज - समय पर ट्रीटमेंट मिलने पर एक मासूम की लौटी आवाज, तो दूसरे का हुआ सफल ऑपरेशन केस 1: बोलने लगी बच्चीशहर के शांति विहार निवासी की दो वर्षीय बच्ची जोकि जन्म के बाद कुछ भी नहीं बोल पाती थी। परिजन उसको बोलने का प्रयास कराते रहे, लेकिन वह लाख कोशिशों के बाद नहीं बोल पाई, वर्ष 2019 में सितंबर माह में आरबीएसके की टीम उनके यहां पहुंची तो परिजनों ने बच्ची की समस्या बताई और बच्ची को जिला अस्पताल में एडमिट कराया। डॉक्टर ने उसे 4डी ट्रीटमेंट के लिए हायर सेंटर लखनऊ के लिए रेफर कर दिया। वहां उसे इलाज मिला और करीब डेढ़ साल बाद बच्ची की जिंदगी गुनगुना रही है।
केस 2: होंठ हो गया सहीशहर के मीरगंज अंबरपुर निवासी डेढ़ माह के बच्चे का जन्म हुआ तो उसका ऊपर का होंठ दांतों में दबा था। साल 2020 में टीम ने सर्वे के दौरान उसे चिंह्नित कर रिपोर्ट हेल्थ डिपार्टमेंट को दी तो उसे तीन माह पहले हायर सेंटर लखनऊ भेजा गया था। बीते मंडे को हेल्थ डिपार्टमेंट को बच्चे की रिपोर्ट मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार बच्चे का सफल ऑपरेशन हुआ है। जिससे उसका होंठ नार्मल पोजीशन में आ गया है।
बरेली : ये दो केस तो बानगी भर हैं। शहर में इसी तरह कई बच्चों को आरबीएसके यानि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए संजीवनी मिली है। साल 2019 में आरबीएसके की टीमों ने जिले में डोर टू डोर सर्वे कर ऐसे 40 बच्चों को चिंह्नित किया था जो कि 4डी कैटेगरी में आते थे उन्हें हेल्थ डिपार्टमेंट ने हायर सेंटर इलाज के लिए रेफर किया गया जिसमें से 27 बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं, बाकी बच्चों को भी ट्रीटमेंट चल रहा है जिससे वे भी जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे। वहीं साल 2021 में जनवरी से अब तक जिले में 18 बच्चों को 4डी कैटेगरी के अंतर्गत हायर सेंटर रेफर किया गया है जिनका गवर्नमेंट की ओर से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। ये होता है 4डीइस कैटेगरी को चार ऐसे ही बीमारियों को रखा गया है जोकि नौनिहालों के लेकर जानलेवा साबित हो सकती है। 4डी में आने वाली कैटेगरी है डिसीज, डिफेक्ट, डिफीशिएंसी और डिसएबिलिटी। बच्चे को चेकअप करने के बाद जब यहां के हॉस्पिटल में मिल रहे इलाज से उसे फायदा नहीं पहुंचता है फिर उसे कैटेगरी के आधार पर हायर सेंटर लखनऊ रेफर किया जाता है।
यहां लग रहा कैंप शहर की भमौरा, शेरगढ़, बहेड़ी व मझगवां सीएचसी पर एक-एक सदस्यीय टीमों की ओर से मूक बधिर बच्चों के लिए शिविर लगाया जा रहा है। इन शिविरों में आरबीएसके की टीमों की ओर से सीएचसी पर बच्चों को लाकर उचित चेकअप और इलाज दिया जा रहा है। पिछले साल 4डी के तहत बच्चों को इलाज के लिए हायर सेंटर भेजा गया था, कई रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं। जिन पेरेंट्स के बच्चे ठीक हुए हैं वह बधाई भी देने आ रहे हैं। हालांकि इसका श्रेय आरबीएसके टीमों को जाता है। इसलिए पेरेंट्स से अपील है कि बच्चों में 4डी से संबंधित बीमारियों होने पर घबराएं नहीं बल्कि नजदीकी हेल्थ सेंटर्स में दिखाएं। पीएस आनंद, अपर शोध अधिकारी।