-रामलीला के विभिन्न प्रसंगों के दौरान दर्शक श्री राम, जय हनुमान और जय बजरंग बली के जयकारे लगाते रहे

रामलीला के विभिन्न प्रसंगों के दौरान दर्शक श्री राम, जय हनुमान और जय बजरंग बली के जयकारे लगाते रहे

BAREILLY: BAREILLY: शहर की रामलीला समितियों की ओर से वेडनसडे को रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचन किया गया। सदर बाजार की श्री रामलीला नाटक समाज, कटरा चांद खां और सुभाषनगर की श्री रामलीला सभा की ओर से कुंभकरण वध, मेघनाथ वध, राम की नागपाश में बंधना, लक्षमण शक्ति, हनुमान भरत मिलाप व राम मिलाप का मंचन किया गया। वहीं मढ़ीनाथ रामलीला समिति की ओर से बाली-सुग्रीव युद्ध, बाली वध, हनुमान का लंका प्रवेश, सीता दर्शन, सीता हनुमान संवाद व लंका दहन का मंचन किया गया। इसी क्रम में जिला प्रशासन की ओर से आयोजित चौधरी तालाब की रामलीला में रामायण के क्रमानुसार विभिन्न प्रसंगों का मंचन ि1कया गया।

राम ने किया सुग्रीव का राजतिलक

मढ़ीनाथ रामलीला समिति द्वारा बाली सुग्रीव युद्ध, बाली वध, हनुमान का लंका प्रवेश, सीता दर्शन, सीता हनुमान संवाद व लंका दहन का मंचन किया गया। सुग्रीव मित्रता, बाली वध और लंका दहन प्रसंग देख पंडाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। बाली अपने भाई सुग्रीव पर अत्याचार करता था। बाली के अत्याचारों से परेशान सुग्रीव हनुमान के बताए अनुसार राम से मिलने पहुंचे। जहां राम ने सुग्रीव की आपबीती सुन बाली को मारने का संकल्प लिया। सुग्रीव व बाली के युद्ध के दौरान राम ने चुपके से बाली का वध किया। इसके बाद सुग्रीव का राजतिलक कर वानर सेना के साथ आगे बढ़े। इसके बाद लंका दहन प्रसंग का मंचन हुआ। माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाने गए हनुमान की पूंछ में रावण ने आग लगवा दी। आक्रोशित हनुमान ने पूंछ की आग से समूची लंका को आग की लपटों में घेर दिया। जिसे देख दर्शक जय हनुमान और जय बजरंग बली के जयकारे लगाते रहे।

कुंभकरण निद्रा जागरण देख दर्शक हुए गदगद

सदर बाजार की श्री रामलीला नाटक समाज, कटरा चांद खां और सुभाषनगर की श्री रामलीला सभा की ओर से कुंभकरण वध, मेघनाथ वध, राम की नागपाश में बंधने की लीला, लक्षमण शक्ति, हनुमान भरत मिलाप व राम मिलाप का मंचन किया गया। इन सभी प्रसंगों में से कुंभकरण निद्रा जागरण देख दर्शक खिलखिला पडे़। रावण ने राम से युद्ध के लिए कुंभकरण को बुलाने के लिए सेना की टुकड़ी भेजी। टुकड़ी ने छह मास की निद्रा में डूबे कुंभकरण को जगाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन कुंभकरण की निद्रा नहीं टूट रही थी। जिसे दर्शक गदगद होते रहे। आखिरकार कुंभकरण की निद्रा टूटी और लक्ष्मण से युद्ध करते हुए प्राण गंवाए। फिर मेघनाथ वध व अन्य प्रसंगों का मंचन किया। इस मौके पर भारी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive