‘Return gift’ ने फीकी कर दी Bareillians की मिठास
Feel good for ‘Bareilly to Lalkuan’ but ‘red signal’ to expectationsदोपहर 12 बजे से रेल बजट में सिटी के लिए उम्मीदों और आशाओं के साथ टकटकी लगाक र टीवी के सामने बैठे बरेलियंस को एक नजर में रेल बजट देखकर निराशा ही हुई। हो भी क्यों ना, जब रेल बजट से उनके सफर को ईजी बनाने के लिए लगाई उम्मीदों पर पानी फिर गया हो। उम्मीदें पूरी ना होने का अफसोस चेहरों पर दिखाई दिया पर बरेली-लालकुआं के लिए एक डेली पैसेंजर, कासगंज-बरेली रूट पर होने वाले आमान परिवर्तन और कई टे्रनों के रूट एक्सटेंशन आदि ने कुछ मरहम जरूर लगाया है। नई ट्रेन का तोहफा बरेलियंस को एनईआर मंडल के तहत मिला है, वहीं एनआर में तो क्या पूरे रुहेलखंड को ही बजट में ऐसा कुछ नहीं मिला जिसे देखकर सुकून किया जा सके। नई टे्रन का तोहफा
एनईआर के इज्जतनगर मंडल को रेल बजट में बरेली से लालकुआं के लिए एक डेली पैसेंजर का तोहफा मिला है। इज्जतनगर मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह के मुताबिक, रूट पर डेली 12 हजार पैसेंजर्स सफर करते हैं, ऐसे में यह ट्रेन यात्रियों को काफी राहत प्रदान करेगी। बता दें कि इससे पहले इस रूट पर तीन पैसेंजस ट्रेन चल रही हैं।ये गुजरेंगी बरेली से
-बांद्रा टर्मिनस- रामनगर एक्स (वीकली) वाया नागदा, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, रामपुर -मऊ-आनंद विहार एक्स (सप्ताह में दो दिन)-कामाख्या (गुवाहटी)-आनंद विहार एक्स (वीकली) वाया कटिहार, बरौनी, सीतापुर कैंट, मुरादाबाद मथुरा जाना आसान रेल बजट में आमान परिवर्तन के लिए दिए गए रूट्स में बरेली-कासगंज रूट को 2013-14 तक ब्राडगेज में तब्दील कर दिया जाएगा। इस रूट के मीटर गेज से ब्राडगेज में चेंज होने से बरेलियंस के लिए मथुरा तक का सफर काफी आसान हो जाएगाइन्हें मिला विस्तार-चंडीगढ़-लखनऊ एक्सप्रेस अब पटना तक जाएगी.४अजमेर-किशनगंज एक्सप्रेस अब न्यू जलपाईगुड़ी तक चलेगी। -लालगढ़-गुवाहटी एक्सप्रेस अब न्यू तिनसुकिया तक ले जाएगी।(सभी ट्रेनों का स्टॉपेज बरेली में है.)हाईटेक 'जर्नी' का आएगा मजावाईफाई और इंटरनेट जैसी फैसिलिटीज ट्रेंस की जर्नी के दौरान प्रोवाइड करने का पब्लिक खासकर यूथ्स ने ज्यादा वेलकम किया है। इंटरनेट जैसी टेक्नीक्स को लाइफ का अहम पार्ट मानने वाले इन यूथ्स की मानें तो इस तरह की फैसिलिटीज से जर्नी के दौरान और उससे पहले की तमाम प्रॉब्लम्स का काफी हद तक सॉल्यूशन निकल सकेगा। यही नहीं वे इन फैसिलिटीज को जर्नी फ्रेंडली मान रहे हैं। खासकर 23 घंटे इंटरनेट की सहायता से ई टिकटिंग फैसिलिटी। जिसे यूथ्स एक राहत भरा कदम मान रहा है।
23 घंटे ई टिकटिंग से राहत
हर एरिया में टेक्नोलॉजी को यूज कर राह आसान बना रहे हैं। रेलवे की जर्नी में अभी टेक्नोलॉजी का उतना इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे में 23 घंटे ई-टिकटिंग की सुविधा राहत भरा है। यूथ्स के पास इतना टाइम नहीं है कि काफी दिन पहले काउंटर पर जाकर रिजर्वेशन कराएं। ई-टिकटिंग बेस्ट ऑप्शन है। इससे हमें ज्यादा सोच-विचार नहीं करना पड़ेगा। -अंकिता, स्टूडेंटहमारे लिए बेहद हेल्पफुलरिजर्वेशन काउंटर्स पर काफी भीड़ होती है। पीक मंथ में तो महज एक टिकट का रिजर्वेशन कराने में घंटों लाइन में लगना पड़ता है। जब टिकट मिलता है तो वेटिंग में। ऐसे में ई-टिकटिंग की सुविधा का और विस्तार करना हमारे लिए हेल्पफुल होगा। टिकट के लिए लंबी लाइन में घंटों खड़ा रहना गल्र्स के लिए प्रॉब्लम भरा होता है। इससे बहुत हद तक निजात मिलेगी।- गुरप्रीत कौर, स्टूडेंटवाई-फाई से मस्त होगा सफर
ई-टिकटिंग के टाइम को बढ़ाना अच्छी फैसिलिटी है। हमारे टाइम की काफी बचत होगी। साथ ही हम कहीं से भी किसी भी वक्त अपनी सीट का रिजर्वेशन करा सकते हैं। जरूरत नहीं है कि स्टेशन पर जाकर काउंटर्स पर लाइन लगाएं। वाई-फाई की सुविधा से हमें जर्नी के दौरान इंटरनेट के साथ कनेक्टिविटी में हेल्प मिलेगी। जर्नी के दौरान हमें जरूरत महसूस होती हैै।- गुरप्रीत, स्टूडेंटब्लैक मार्केटिंग पर लगामई-टिकटिंग की सुविधा की टाइमिंग बढ़ाने से टिकट की ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर काफी लगाम लग सकेगी। यही नहीं लंबी लाइन में वेट करने के बाद जब काउंटर पर नम्बर आता है तब सीट्स खत्म हो जाती हैं और वेटिंग बढ़ जाती हैं। ऐसे में ई-टिकटिंग से टाइम की बचत होगी और सीट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। वाई-फाई से जर्नी के दौरान भी हम ऑनलाइन काम कर सकते हैं।- यतेंद्र कुमार, स्टूडेंटPassengers बोले, facilities तो बढ़ाइए रेलमंत्री पवन कुमार बंसल ने भले ही डायरेक्ट किराया नहीं बढ़ाया है लेकिन सरचार्ज के नाम पर पैसेंजर्स पर बोझ बढ़ा दिया है। परदे के पीछे से पडऩे वाली इस मार से अब टिकट रिजर्वेशन और टिकट कैंसिल कराने पर जेब अधिक ढीली करनी होगी। यही नहीं तत्काल टिकट के साथ सुपरफास्ट ट्रेनों का सफर भी महंगा कर दिया गया है। ट्यूजडे को रेल बजट में इस ऐलान के बाद पैसेंजर्स में जबरदस्त गुस्सा है।हमारी भी तो बनती है responsibility
डीजल के दाम बढ़ रहे हैं तो किराया बढऩा भी लाजिमी है। रेलवे अपनी जेब से तो पैसा देगा नहींं। अगर फैसिलिटी की बात करें तो पूरी तरह से रेलवे पर ब्लेम करना भी गलत है। यह तो हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वह फैसिलिटी का ढंग से यूज करें। मोहम्मद उस्मान, पैसेंजरसब एक ही थाली के चट्टïे-बट्टïेकिसको क्या कहा जाए, सब तो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। इस बजट में भी ऐसा खास नही है, जिसकी वजह से सरकार को सराहा जाये। पैसों के साथ फैसिलिटी तो बढ़ाओ।सौरभ, पैसेंजरजेब काटने का ये नया फंडाकांगे्रस की सरकार में यह होना तो जाहिर सी बात है। अपने बारे में सोचने से फुर्सत मिले तो किसी और के बारे में सोचें भी ये लोग। आए दिन यात्रियों की जेब काटने का नया फंडा तैयार होता रहता है।मजिब-उर-रहमान, पैसेंजर फिफ्टी परसेंट सुविधा दीजिएस्टेशन पर फैसिलिटीज का टोटा है और किराया लगातार बढ़ा रहे हैं। किराये का एटलीस्ट फिफ्टी परसेंट तो फैसिलिटीज पर लगाना चाहिए। फिर से सरचार्ज के नाम पर रेट बढ़ा दिये हैं। रफीक अहमद खान, पैसेंजरBut big challenges ahead बजट से लगाई उम्मीदों में बरेलियंस के दिलों में कसक बाकी ही रह गई है। बरेलियंस को पूरी उम्मीद थी कि उन्हें हल्द्वानी से आगरा तक एक नई ट्रेन का तोहफा तो मिलेगा। वहीं रेलवे रूट के इलेक्ट्रिफिकेशन का भी बरेलियंस क ो बेसब्री से इंतजार था। पर इस रेल बजट में बरेलियंस की आस पूरी न हो सकी। रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल किराए पर जो फ्यूल चार्ज बढ़ाया है, वह लांग टर्म में फायदेमंद साबित हो सकता है। पर इस फायदे के साथ रेलवे के सामने जो चैलेंज है, वह इससे कहीं ज्यादा बड़ा है। कोई भी पैसेंजर ज्यादा अमाउंट खर्च करके रेलवे से भी बेहतर सुविधाओं और सुरक्षा की अपेक्षा करेगा। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि रेल विभाग इस सुविधाओं को मुहैया कराने में खरा उतरे। खुशी की बात यह है कि नई चलने वाली ट्रेनों में कई ट्रेनें बरेली से भी गुजरेंगी। वहीं बरेली-लालकुआं रूट पर एक नई पैसेंजर भी चलाई जा रही है। इतना ही नहीं यहां से चलने वाली तीन ट्रेन के रूट में भी विस्तार किया गया है। वहीं गरीब रथ का फेरा बढ़ाया गया है। उम्मीद है कि आने वाले बजट तक यह सभी योजनाएं क्रियान्वित भी हो जाएंगी। बरेली-कासगंज रूट के आमान परिवर्तन से तो मथुरा तक का सफर काफी ईजी हो जाएगा।अजय शुक्ला, मेंबर, जोनल रेलवे यूजर, कंसलटेटिव कमेटीसिर्फ ऐलान से नहीं सिक्योर होंगी वूमेन इस बार रेल बजट में महिलाओं की सुरक्षा पर खासा ध्यान दिया गया है। आरपीएफ में महिलाओं की भर्ती में दस फीसदी आरक्षण के साथ और महिला बटालियन तैनात होंगी.इस फैसले से सिटी की लेडी ब्रिगेड खुश तो हैं लेकिन उन्हें यह डाउट भी है कि क्या वाकई में यह फॅालो हो पाएगा। अभी तो इंतजार ही करना हैअच्छी बात है कि ट्रेन में महिला आरपीएफ को भी तैनात किया जाएगा। सरकार का यह फैसला सराहनीय है। लेकिन देखना होगा कि यह किस हद तक सक्सेज हो पाता है।अंजू, हाउस वाइफ कारगर साबित होगाट्रेन हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्या पुलिस और क्या मनचले एक जैसा ही बिहेव करते हैं। महिला पुलिस की तैनाती अच्छा कदम साबित होगा. एनम रोसलीन, नर्स सफर में फील होगी सुरक्षारेल बजट के दौरान सरकार ने अगर घोषणा की है तो अमल तो होगा ही। महिला आरपीएफ ट्रेन में होगी तो हम ज्यादा सेफ फील करेंगें। बेबी, हाउस वाइफ इंडस्ट्री को 'पवन मेल' का झटका रेल बजट महंगाई को वेलकम करने वाला साबित होगा। माल भाड़े के लिए बढ़ाए फ्यूल चार्ज और एक साल में दो बार होने वाले चार्ज रिवीजन से शहर के उद्यमी कारोबार में घाटे के साथ-साथ उपभोक्ताओं की जेब पर पडऩे वाले बोझ के रूप में देख रहे हैं। सिटी के कारोबारी रेल बजट को मार्केट के लिए नकारात्मक मानते हैं। कारोबारियों की मानें तो रोजमर्रा में यूज होने वाले जिंस आइटम्स से लेकर ऑटोमोबाइल तक का ट्रांसपोर्टेशन रेलवे से ही होता है, जब ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ेगा तो महंगाई तो खुद-ब-खुद ही बढ़ेगी। यह आशंका भी है कि रेलवे ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने पर रोड ट्रांसपोर्ट पर भी इसका असर दिखाई देगा। कंज्यूमर पर पड़ेगा महंगाई का बोझरेल बजट में 5 परसेंट तो डायरेक्टली फ्रेट इंक्रीज हुआ है। ऐसे में अदर कॉस्ट एड करने के बाद प्रोडक्शन में कम से कम 7 परसेंट के फ्रेज चार्ज का इंपैक्ट तो पडऩा ही है। वहीं जब रेलवे के चार्ज बढ़े हैं तो रोड ट्रांसपोर्ट भी महंगा होगा। किसी भी प्रॉडक्ट की कॉस्ट में 10 परसेंट फ्रेट एक्सपेंडीचर होता है। इस हिसाब 7 परसेंट का एक्स्ट्रा चार्ज लगने के बाद 12.5 परसेंट की एक्साइज ड्यूटी, 14 परसेंट क ा वैट और लोकल ट्रांसपोर्टर पर लगने वाले सर्विस चार्ज क ो मिलाकर उपभोक्ता को मिलने वाले प्रॉडक्ट के प्राइज में कम से कम 2 परसेंट का इजाफा तय है। -सुरेश सुंदरानी, एमडी, परम इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेडमार्केट में बढ़ेगी निगेटिविटीहमारे देश में रेलवे ही ट्रांसपोर्ट का बेहतर जरिया है। इंडस्ट्री का रॉ मैटीरियल, जिंस, इंफ्रास्ट्रक्चर मैटीरियल सभी रेलवे से ही आता है। ऐसे में जब ट्रांसपोर्ट रेट्स में बढ़ोत्तरी होगी तो उद्योगों की लागत बढ़ेगी और महंगाई का असर प्रॉडक्ट की कॉस्ट पर ही पड़ेगा, जो कंज्यूमर को बियर करना होगा। इससे मार्केट में एक बार फिर निगेटिविटी बढ़ जाएगी। वास्तव में यह कुछ साल पहले हुई वेस्टर्न रिशेसन का ही इंपैक्ट हैं, जो उस समय तो सामने नहीं आया पर अब धीरे-धीरे उसका असर दिखने लगा है। इस स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काफी सूझबूझ की जरूरत होगी।-किशोर कटरू, प्रेसीडेंट, चैम्बर ऑफ कॉमर्स, बरेलीउद्योगों पर गिरेगी गाजइंडस्ट्रीज क ो रन करने के लिए जो भी रॉ मैटीरियल आता है, उसका ट्रांसपोर्टेशन रेलवे से होता है। इसमें आयरन, केमिकल्स, कोल सबसे इंपॉर्टेंट हैं। कोल का तो 95 परसेंट ट्रांसपोर्ट रेलवे ही करता है। हाल ही में जब इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ 3.80 से बढ़ाकर 5. 60 किया गया था तो इंडस्ट्री एफेक्टेड हुई थी। यूपी में कोल से ही बिजली बनती है। कोल महंगा होने पर तो एक फिर टैरिफ बढेंगे तो इंडस्ट्री को झटका लगना ही है। ऐसे में इंटरनेशनल रिशेसन होने की वजह से लागत बढऩे के बावजूद प्राइज नहीं बढ़ाए जा सकते हैं। इस रेल बजट के बाद तो उद्योगों को 'सफर' करना होगा।-अभिनव अग्रवाल, डायरेक्टर, रामा-श्यामा पेपर मिलबोले लीडर्सरेल बजट में बरेली की जनता को मायूसी हाथ नहीं लगी है। नई ट्रेन, आमान परिवर्तन के साथ यहां से गुजरने वाली कुछ ट्रेंस का विस्तार किया गया है। कुछ ट्रेंस के फेरे भी बढ़े हैं। लंबी दूरी की ट्रेंस के विस्तार से पब्लिक की सिटी से जर्नी आसान हो जाएगी। वहीं आमान परिवर्तन और नई ट्रेन आने से सिटी को लाभ पहुंचेगा, खासकर बिजनेस पर्पज से। कारोबारियों को बिजनेस में काफी मदद मिलेगी। - प्रवीण सिंह ऐरन, सांसदबजट आम आदमी की नजर से निराशाजनक और अव्यवहारिक है। करोड़ों का घाटा दिखाकर किराए और मालभाड़े में दूसरे रास्तों से वृद्धि कर दी। जो आम आदमी पर बोझ डालने का काम करता है। खासकर बरेली की जनता को तो मायूसी के अलावा और कुछ नहीं मिला। यहां की पब्लिक को बजट से बहुत उम्मीदें थीं। बजट जमीनी हकीकत से दूर ही रहा। सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने बड़े दावे किए थे। बजट के बाद उनके दावों की पोल खुल गई है। इस लिहाज से उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।- संतोष गंगवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री