आउटर पर गाड़ी खड़ी जाने कब खत्म होगी इंतजार की घड़ी
ए क्लास बरेली जंक्शन को पुराने बजट से मिले महज खोखले वादे
बेस किचेन, डेमू मेंटनेंस, कैंट स्टेशन और नई ट्रेनों की उम्मीद हवा हवाई BAREILLY:देश और प्रदेश की राजधानी को मिलाने वाली अहम कड़ी के तौर पर पहचान होने के बावजूद बरेली जंक्शन की शोहरत उन सुविधाओं से कोसो दूर है, जो उसे महज कागजों में ही नसीब हुई। नॉर्दर्न रेलवे को हर साल म् करोड़ रुपए से ज्यादा की आमदनी देने वाले ए क्लास 'सपूत' का दर्जा पाए बरेली जंक्शन को अब तक तमाम रेल बजट में सिर्फ कोरे वादों का चम्मच ही पकड़ाया गया। हाल यह है कि इस ए क्लास स्टेशन की सुविधाएं 'सी कटेगरी' के मानक पूरे करने में ही हांफ रही। एक बार फिर नए रेल बजट से बरेली को हमेशा की तरह उम्मीदें बंध तो रही हैं, लेकिन साथ में खोखले दावों व वादों का कड़वा तजुर्बा भी रेड सिग्नल की तरह विकास की रफ्तार में रोड़ा बना हुआ है।
ठंडे बस्ते में रहा डेमू मेंटनेंस प्रोजेक्टबरेली में पिछले कई साल से डीजल-इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट, डेमू मेंटनेंस बनाने का प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ा दम तोड़ रहा है। इंडियन रेलवे ने करीब क्म् साल पहले बरेली को डेमू ट्रेन का ख्वाब दिखाया था। सीबीगंज में रेल स्लीपर फैक्ट्री बंद हो जाने के बाद एनईआर इज्जतनगर मंडल ने इस खाली जमीन पर डेमू मेंटनेंस वर्कशॉप प्रोजेक्ट का प्रस्ताव क्998 में भेजा था। रेलवे बोर्ड ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिए भ् लाख रुपए जारी भी किए। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट के लिए फ्7.भ्भ् करोड़ रुपए की डीपीआर बनी। लेकिन बार बार रेल बजट में इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट मंगवाए जाने के बाद भी इसे ग्रीन सिग्नल नहीं मिला।
सपना ही रहा मॉर्डन बेस किचेन ट्रेनों की पैंट्री कार में घटिया खाना व खराब क्वालिटी की बार बार शिकायतों पर रेल बजट में एक नया शिगूफा छोड़ा गया। बड़े व भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर मॉर्डन बेस किचेन बनाने की घोषणा की गई थी। बरेली जंक्शन में भी आईएसओ सर्टिफाइड मॉर्डन बेस किचेन बनाने की उम्मीदों को पंख लगाए गए। जिसमें मुसाफिरों को हेल्दी, हायजेनिक व क्वालिटी फूड दिए जाने की मंशा दिखाई गई। लेकिन यह घोषणा परवान न चढ़ी। जंक्शन पर पिछले कई महीनों से बंद पड़े इकलौते रिफ्रेशमेंट रूम के दरवाजे खुलवाकर एक निजी कंपनी को इसका जिम्मा दे दिया गया। शॉपिंग कॉम्पलैक्स पर लगे ब्रेकमॉल व कॉम्पलैक्स से खरीददारी का ग्राफ बढ़ता देख रेलवे की ओर से बरेली में भी शॉपिंग कॉम्पलैक्स बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। शहर में एनईआर की शहामतगंज में करीब फ्भ् एकड़ व सीबीगंज में भ्भ् एकड़ खाली जमीन पड़ी हुई है। लगभग पांच साल पहले एनईआर की ओर से रेल बजट में शॉपिंग कॉम्पलैक्स बनाने का प्रस्ताव भेजा गया। रेल मिनिस्ट्री की ओर से रेलवे लैंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी, आरएलडीए ने इन जमीनों का सर्वे भी किया। लेकिन बाद में यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। इससे इन जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे शुरू कर दिए। जबकि एनईआर की गोरखपुर व रामनगर और एनआर की श्रीनगर, अमेठी, रोहतक, पानीपत व सराय रोहिल्ला स्टेशनों में खाली जमीनों पर एनएलडीए की ओर से शॉपिंग कॉम्पलैक्स का निर्माण भी शुरू हो गया है।
चनेहटी नहीं बन सका कैंट स्टेशनक्ख् साल का 'वनवास' काटने के बावजूद चनेहटी स्टेशन को बरेली कैंट का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव रेल बजट में जगह न पास सका। लंबे समय से बरेली जंक्शन के नजदीक स्थित चनेहटी स्टेशन को कैंट का दर्जा दिलाने की लड़ाई और इसे रेल बजट में शामिल करने का प्रस्ताव जारी है। यहां तक कि प्रदेश के पूर्व राज्यपाल बीएल जोशी तक ने मई ख्0क्ब् में चनेहटी को बरेली कैंट बनाने की अधिसूचना जारी की। जिसके तहत बरेली कैंट के लिए ख्भ्0 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट में गेस्ट हाउस, कॉलोनी और गार्ड क्रू चेंज रूम बनाए जाने थे। लेकिन राज्यपाल की अधिसूचना भी इस प्रस्ताव को जमीन पर हकीकत का रूप देने में नाकाम रही। वहीं इस मुहिम में लंबे समय से जुटे सैनिक कल्याण समिति के पूर्व सैनिकों ने इस बार पीएम मोदी को प्रस्ताव भेजकर इसे रेलबजट में शामिल करने की गुहार लगाई है।
ब्रॉडगेज ट्रैक को नहीं मिली रफ्तारलंबे समय से बरेली-कासगंज और भोजीपुरा-टनकपुर लाइन को ब्रॉडगेज बनाने की कवायद लंबे अर्से से सुस्त पड़ी हुई है। बरेली वाया बदायूं से कासगंज तक 8ब् किमी। मीटरगेज को ब्रॉडगेज में बदलने को एनईआर ने ख्00ब्-0भ् में मंजूरी दी। लेकिन इसकी कवायद पिछले साल जनवरी में ब्लॉक लेकर शुरू हो सकी। अफसरों ने महज तीन महीनों में काम पूरा होने के वादे किए थे, लेकिन तब से क्ब् महीने बीतने के बावजूद ब्रॉडगेज लाइन बिछने का इंतजार हो रहा। इसके पूरा न होने से बरेली से दक्षिण भारत का सफर शुरू होने का सपना भी अधर में लटका है। वहीं भोजीपुरा वाया पीलीभीत टनकपुर तक क्0क् किमी लंबी लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने की कवायद भी पिछले म् साल से ठंडी पड़ी है। फ्ख्.8फ् करोड़ रुपए की लागत से इस लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के बाद पड़ोसी देश नेपाल का सफर न सिर्फ आसान हो जाता बल्कि उत्तराखंड में टूरिज्म को बढ़ावा भ्ाी मिलता।
नहीं मिला ट्रेनों को स्टॉपेज मोदी सरकार के पहले रेल बजट में 8 जुलाई को पूर्व रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने बरेली में 7 नई ट्रेनों को स्टॉपेज देने की घोषणा की थी। लेकिन सात महीने बाद भी इन सभी सात ट्रेनों को बरेली जंक्शन पर स्टॉपेज न मिल सका। पिछले रेल बजट में ख् जनसाधारण ट्रेनों व पांच एक्सप्रेस ट्रेनों को बरेली पर ठहरने की घोषणा की गई थी। इनमें सहरसा-अमृतसर जनसाधारण एक्सप्रेस, कानपुर-अमृतसर एक्सप्रेस वीकली और रामनगर-आगरा वीकली एक्सप्रेस ही बरेली जंक्शन में स्टॉपेज हासिल कर सकी। लेकिन सहरसा-आनंद विहार वाया मोतिहारी जनसाधारण एक्सप्रेस, गोरखपुर-आनंद विहार वीकली, कामख्या-कटरा एक्सप्रेस और न्यू दिल्ली-वाराणसी एक्सप्रेस को बरेली में स्टॉपेज नहीं मिला। इनमें से कुछ ट्रेनें तो शुरू भी न हो सकी। वहीं ए प्लस कटेगरी बरेली जंक्शन से गुजरने वाली क्ब् नॉन स्टॉप ट्रेनों को यहां स्टॉपेज दिए जाने की मांग लंबे समय से उठती रही। रेलवे अधिकारियों ने इस बारे में प्रस्ताव भी दिए लेकिन इन्हें रेल बजट में जगह न मिली। ----------------------------- बरेली में रेल बजट की घोषणाओं का कोई फायदा नहीं नजर आया। जंक्शन पर राजधानी रूकती है लेकिन बाकी की नॉन स्टॉप ट्रेनों का ठहराव नहीं। यह बात समझ में नहीं आती। सफाई का कुछ स्तर सुधरा लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ी। - भोपाल निमानी, मुसाफिर कई अहम ट्रेनों का अब तक जंक्शन पर ठहराव नहीं कराया जाना दुखद है। ए प्लस कटेगरी के मुताबिक तो जंक्शन पर साफ सफाई से लेकर अन्य जनसुविधाएं खरी नहीं उतरती। सभी प्लेटफॉर्म्स पर टॉयलेट्स ही नहीं अब और क्या कहे। - रोशन कुमार शर्मा, मुसाफिर अभी तक जंक्शन से कानपुर के लिए सीधी ट्रेन की सुविधा नहीं मिल सकी है। लखनऊ होते हुए कानपुर जाने की मजबूरी बनी हुई है। रेल बज की घोषणाएं ही जमीन पर नहीं दिखती बाकी की उम्मीद तो बेमानी लगती है। - मो। आसिम, मुसाफिर