दस से पन्द्रह वर्ष पुराना वाहन है और आपके वाहन का हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट एचएसआरपी ऑनलाइन बुक नहीं हो पा रही है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.इसके पीछे एक टेक्निकल रीजन है कि इंजन नम्बर साइट पर अपडेट नहीं होना.

बरेली (ब्यूरो) I अगर आपके पास दस से पन्द्रह वर्ष पुराना वाहन है और आपके वाहन का हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) ऑनलाइन बुक नहीं हो पा रही है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.इसके पीछे एक टेक्निकल रीजन है कि इंजन नम्बर साइट पर अपडेट नहीं होना। एचएसआरपी बुक करने के लिए आप जैसे ही पुरानी गाड़ी का इंजन नंबर फिल करेंगे वैसे ही आपको साइट पर यह शो होगा कि इस नंबर की गाड़ी के लिए नंबर आलरेडी एलॉट हो चुका है। यहां तक दिखा रहा कि कि नई गाड़ी कौन सी है और उसका ओनर कौन है। गाड़ी का मॉडल कौन सा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका कोई साल्यूशन नहीं है। बस इसके लिए थोड़ा प्रयास करना होगा। कंपनियों की तरफ से अथराइज्ड किये गये वेंडर्स के पास पहुंचना होगा। यहां आपको समाधान मिल जाएगा। या फिर आप आरटीओ ऑफिस में भी इस नम्बर को अपडेट करा सकते हैं। इसके बाद आप एचएसआरपी खुद बुक कर सकते हैं।

चलाया जा रहा है चेकिंग अभियान
पुलिस हो या फिर आरटीओ की टीम इन दिनों तीन प्वाइंट पर फोकस चेकिंग कर रही है। इसके लिए सभी को अलग अलग टारगेट दिया गया है। चेकिंग का पहला प्वाइंट है बाइक चालक ने हेलमेट लगा रखा है या नहीं। दूसरा प्वाइंट है कार के ड्राइवर ने सीट बेल्ट लगा रखा है या नहीं। तीसरा और महत्वपूर्ण प्वाइंट है गाड़ी पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगा है या नहीं। यह तीनो प्वाइंट एक नजर में आईडेंटीफाई हो सकते हैं तो मिसिंग पकड़ते ही चेकिंग में लगी टीम वीडियो बनाना शुरू कर देती है। गाड़ी रोक कर चालान काट दिया जा रहा है। इस तरह की चेकिंग शहर के आउटर एरिया में ज्यादा है खास तौर से उन प्वाइंट्स पर जो अंचल से आने वाले वाहनों को सिटी में इंट्री दिलाते हैं।

क्यों आ रही है दिक्कत
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बुक कराने के लिए सेपरेट साइट बनी है। इस साइट पर लॉग इन करने पर गाड़ी की डिटेल फिल करनी होती है। इसमें गाड़ी के ओनर का नाम भरना होता है। गाड़ी का नंबर भरना होता है और स्टेट यूज और टेरेटरी वाला आरटीओ ऑफिस चूज करना होता है। यहां तक सब कुछ आराम से हो जाता है। इसके बाद नंबर आता है गाड़ी का इंजन और चेचिस नंबर फिल करने का। 12-13 साल पुरानी गाडिय़ों में इंजन नंबर सिर्फ डिजिट में होता था। नई गाडिय़ों में इसे अंग्रेजी के कुछ कैरेक्टर के साथ मिक्स कर दिया गया है। कैरेक्टर ही गाड़ी को वेरीफाई करते हैं। पुरानी गाडिय़ों के साथ सिर्फ नंबर है तो उसे फिल करते ही दिखाने लगता है कि यह नंबर किसी और को एलॉट हो चुका है। उस गाड़ी का डिटेल भी सामने शो होने लगता है।

साइट पर दी जानी चाहिए जानकारी
फरीदपुर की रहने वाले सुदेश के नाम पर एक कार है। इसे उन्होंने 1777 में खरीदा था। उनकी नंबर की सीरिज की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने की डेट एक्सपायर हो चुकी है। उन्होंने एचएसआरपी बुक कराने के लिए साइट पर डिटेल फिल किया। इसके बाद सामने जो कुछ लिखकर आ रहा था उसे देखकर उनके होश उड़ गये। पता चला किसी अन्य के नाम गाड़ी को आलरेडी यह नंबर एलॉट किया जा रहा था। बात सिर्फ इतनी थी कि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन और चेचिस नंबर मिस मैच था। जैसे-तैसे रात कटी तो सुबह वह पहुंच गये गाड़ी की एजेंसी। यहां उन्होंने समस्या बतायी तो बुकिंग करने वाले एजेंट ने साल्यूशन दिया। उसने बताया कि ऐसे केस में इंजन नंबर के आगे 00000 जीरो एड कर देता है। ऐसा करके उसने बुकिंग डाली तो बुकिंग भी हो गयी और पूरा डिटेल उन्हीं की गाड़ी का शो होने लगा। यह देखकर वह दंग रह गयीं।

पहले कम्यूटर नहीं थी फीडिंग
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट तक यह सूचना पहुंची तो उसने इस पर क्वैरी की। इसमें बताया गया कि पहले नंबर कम्प्यूटर में फीड नहीं होते थे। मैन्युअल वर्किग होती थी। अब पूरा डिटेल फीड होने लगा है तो कंपनियों ने अंग्रेजी के कुछ लेटर के साथ अंकों की डिजिट को मिक्स कर दिया है। इससे हर गाड़ी का यूनीक इंजन नंबर हो गया है। इंजन नंबर से पहले पांच बार जीरो फिर कर देने पर यह सही हो जाता है। इस तरह की सूचना एनआईसी की साइट पर भी दे जाय तो लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। वेंडर की तरफ से बताया गया कि उनके पास हर दिन ऐसे केस आते हैं और इसी साल्यूशन से काम हो जाता है।


इसका साल्यूशन दो तरह से मिलता है। आपको आरटीओ ऑफिस आकर एक आवेदन देना होता है। इस आवेदन को लखनऊ के लिए फारवर्ड कर दिया जाता है। वहां से नया नंबर आ जाता है। इसके बाद आराम से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाई जा सकती है।
मनोज कुमार, एआरटीओ प्रशासन, बरेली

Posted By: Inextlive