प्राइवेसी है इंपार्टेंट, पर्सनल डिटेल शेयर करने से पहले सोचें-साइबर ठगी होने पर छिपाएं नहीं बल्कि तुरंत पुलिस को बताएं
बरेली (ब्यूरो)। साइबर क्रमिनल्स के लिए स्कूली बच्चे सॉफ्ट टार्गेट हैैं। उनके पास न सिर्फ जानकारी का अभाव होता है, बल्कि वह ज्यादा अलर्ट भी नहीं रहते हैैं। स्टूडेंट्स को अवेयर करने के लिए जीजीआईसी स्कूल में ट्यूजडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान स्कूली बच्चों ने बढ़ते साइबर क्राइम को समझा, साथ ही उससे बचने के उपाय भी जाने। बच्चों को सोशल मीडिया से लेकर बैंकिंग तक में होने वाली साइबर ठगी और उससे बचाव के बारे में साइबर एक्सपर्ट शालू ने बताया। बच्चों को सोशल मीडिया और इंटरनेट बैंकिंग इस्तेमाल करते समय उन्हें अलर्ट रहने की बात बताई गई। ताकि वह खुद भी अवेयर हों ओर दूसरों को भी अवेयर कर सकें। छात्राओं को यह भी बताया गया कि सोशल मीडिया या फिर किसी के साथ अपना फोटो शेयर करने से पहले कई बार सोचना चाहिए कि क्या यह सही होगा।
वेबसाइट का यूआरएल चेक करें
-यह जानने के लिए कि आप फेक वेबसाइट पर नहीं हैं, सबसे पहले वेबसाइट के यूआरएल को ध्यान से देखें। डोमेन नेम चेक करें।
-एचटीटीपीएस चेक करें
- जिस यूआरएल में &एस&य लगा हो ऐसी वेबसाइट पर ही सर्फिंग करें, जिसमें एस नहीं लगा है वे वेबसाइट सेक्योर नहीं हैं।
- यूआरएल में अगर लॉक का निशान नहीं है तो वह साइट सेफ नहीं है। अगर लॉक खुला हुआ तो वह वेबसाइट पार्शियली सेफ है।
-सेफ ब्राउजिंग करें
-पॉलिसी पेज चेक करें
-ब्राउजिंग हमेशा ट्रस्टेड और जेनुइन हो। ब्राउजर आपकी लॉगिन क्रैडेशियल्स, बैंकिंग इनफॉरमेशन चुरा सकता है।
ओटीपी कभी न करें शेयर
-ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त कंफर्म करने को यूजर के मोबाइल पर ओटीपी आता है। ओटीपी डालने के बाद ही पेमेंट कर सकते हैं। अधिकतर लोग फोन मैसेज के जरिए अपना ओटीपी नम्बर शेयर कर देते हैं, लेकिन गलती से भी ओटीपी शेयर नहीं कर चाहिए। इससे फ्रॉड हो सकता है।
कस्टमर केयर से हो सकता है फ्रॉड
इस तरीके के फ्रॉड में प्राय: वह लोग फंसते हैं जो किसी भी समस्या के लिए गूगल से कस्टमर केयर नम्बर या फिर हेल्पलाइन नम्बर सर्च करते हैं, और बिना व्यक्ति की सत्यता जांच किए आपनी व्यक्तिगत तथा बैंकिंग संबधित गोपनीय जानकारी उस व्यक्ति से साझा कर देते हैं। फ्रॉड करने वाले फेक वेबसाइट बनाकर अपना मोबाइल नम्बर विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर नम्बर के नाम से एड कर देते हैं। इस वेबसाइट और अपने कस्टमर केयर नम्बर को गूगल एडसेंस के माध्यम से प्रमोट करा देते है। इससे कोई व्यक्ति कस्टमर केयर का नम्बर सर्च करता है तो पहले फ्रॉड वाले का नम्बर ही दिखाई देता है।
इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए कस्टमर केयर का नम्बर उक्त कंपनी के ऑफिशियल वेबसाइट से ही प्राप्त करें। अपनी बैंकिंग संबंधित गोपनीय जानकारी जैसे डेबिट, क्रेडिट कार्ड नम्बर, सीवीवी, ओटीपी, आधार कार्ड और पैन कार्ड आदि किसी से शेयर न करें। फेक वेबसाइट से होने वाले फ्रॉड
1-फेक वेबसाइट के माध्यम से प्राय: फिशिंग जैसे फ्रॉड होते हैं। फ्रॉडस्टर विभिन्न कंपनियों की फेक वेबसाइट बनाकर लोगों से धोखाधड़ी करते हैं।
2-बड़ी कंपनियों की फेक वेबसाइट बनाकर फ्रेंचाइजी सर्विस देने के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की जाती है।
3-फेक इंवेस्टमेंट एंड ट्रेनिंग की वेबसाइट्स बनाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी की जाती है।
फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए 1930
साइबर थाना से एक्सपर्ट एसआई शाूल का कहना है कि किसी भी बेवसाइट या इंटरनेट पर दिख रहे लुभावने ऑफर्स से सावधान रहें। यदि साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं तो अपनी शिकायत अपने नजदीकी थाना के साइबर हेल्प डेस्क पर दर्ज कराएं। या साइबर क्राइम की वेबसाइट ष्4ड्ढद्गह्म्ष्ह्म्द्बद्वद्ग.द्दश1.द्बठ्ठ व 1030 पर कॉल कर शिकायत कराएं।
टीचर्स की बात
बच्चों को आभासी दुनिया की हकीकत से रूबरू कराना जरूरी है। उसके बारे में सही-गलत की जानकारी होनी चाहिए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह पहल काफी अच्छी है आमतौर पर हर वक्त निगरानी संभव नहीं है। लेकिन टीचर, माता-पिता और बच्चे के बीच रिश्तों में पारदर्शिता जरूरी है। बच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि ऐसा कुछ होने पर वह आपको जरूर बताएं।
दीप्ति वाष्र्णेय, प्रिंसिपल जीजीआईसी
करुणा चौधरी, टीचर
-अधिकतर बच्चों के हाथ में मोबाइल आ गया है। सोशल मीडिया पर एक्टिविटी ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, उससे काफी डर लगता है। हमारे बच्चे इसके शिकार न हों, इसके लिए बच्चों को अलर्ट करना जरूरी है। जागरूकता कार्यक्रम से हमारे बच्चों ने बहुत कुछ सीखा होगा।
प्रवीणा श्रीवास्तव, टीचर
स्टूडेंट्स की बात
यह कार्यक्रम बहुत ही अच्छा था साइबर क्राइम से बचने के लिए बहुत सी जानकारी आज मुझे लगी। कैसे लोग झूठ बोलकर ठगी करते हैं और कैसे बचा जाए।
सोनम
फेक अकाउंट की बात हमेशा याद रहेगी। कार्यक्रम में साइबर क्रइाम से बचने के लिए बहुत सी अहम जानकारी मिली है। इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
संजना
छवि
इंटरनेट और इलेक्ट्रिॉनिक डिवाइस से जो फ्रॉड होता है उसे साइबर क्राइम कहते हैं। सोशल मीडिया पर कोई भी पर्सनल फोटो शेयर कभी न करें यह अहम बात रही।
गुलनाज
-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तरफ से जो वर्कशॉप में सीखने को मिला वह काफी महत्वपूर्ण रहा। इससे सोशल साइट के अकाउंट पर भी सिक्योरिटी अहम है।
साबिया