-स्कूलों को नहीं मिले मॉडल पेपर, हेडमास्टर्स ने अपने हिसाब से तैयार किये प्रश्नपत्र

-घर से कॉपी लाकर, ब्लैक बोर्ड पर लिखे प्रश्नपत्र को हल करते मिले बच्चे

BAREILLY: विश्व का सबसे युवा देश अपनी धड़कन यानि बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाई के बेहतर साधन मुहैया कराने का वादा करता है। इस क्रम में 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' के नाम पर शिक्षा विभाग करोड़ों रुपया खर्च कर रहा है। लेकिन बच्चों की शिक्षा का असली चेहरा निराशाजनक है। बेसिक स्कूलों में एनुअल एग्जाम शुरू हो चुके हैं। हालात ये हैं कि एग्जाम देने के लिए बच्चों को पेपर तक अवेलेबल नहीं हैं। बच्चे घर से कापी लाकर बोर्ड पर लिखे प्रश्नों को देखकर एग्जाम दे रहे हैं। साथ ही स्कूलों की कंडीशन ऐसी है कि आप देखकर उनके फ्यूचर की कल्पना कर सकते हैं। प्राइमरी स्कूलों में चल रहे एग्जाम्स का ऐसा ही चेहरा हम आप तक पहुंचा रहे हैं।

प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क्

टाइम: सुबह क्क्.00 बजे

स्कूल में इंटर करते ही आंगन में छा चुकी धूप से बचने के लिए ऊंची दीवार की ओट में बच्चे बैठे मिले। कुल ब्0 बच्चों के इस स्कूल में क्लास फ् व ब् की परीक्षाएं चल रही थीं। छप्पर से सटी दीवार पर बने ब्लैक बोर्ड पर क्वेश्चन पेपर लिखा था। व्यवस्था का जिक्र करने पर इंचार्ज ने एक मात्र टीचर होने से हो रही परेशानियां गिनाने लगीं और विभाग द्वारा एग्जाम के लिए कोई ग्रांट न देने की बात भी कही। किराये के इस स्कूल की बदतर हालत में बच्चों को बैठने के लिए टाट-पट्टी तक नहीं थी। एग्जाम का सच तो तब सामने आया जब कई बच्चे यह भी नहीं बता सके कि वो किस पेपर का एग्जाम दे रहे हैं।

मुझे मॉडल पेपर के बेस पर पेपर तैयार करने की जानकारी थी, लेकिन नगर खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा ख्8 फरवरी को एक मीटिंग आर्गनाइज की गई, जिसमें कहा गया कि वेबसाइट पर मॉडल पेपर अपलोड नहीं है। इसलिए अपने हिसाब से पेपर बना लिया जाए। इसलिए मैंने अपने हिसाब से पेपर तैयार कर लिया।

- शिवानी राठौर, इंचार्ज-प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क्

प्राइमरी स्कूल माधोबाड़ी

टाइम: सुबह क्क्.फ्0 बजे

एक छोटे से कमरे के स्कूल में कक्षा एक से चार तक के सभी बच्चे पेपर देते दिखे। शिक्षा विभाग की बेरुखी का असर बच्चों पर न पड़े, इसलिए स्कूल की इंचार्ज ने अपने रुपये से बच्चों के लिए आंसर शीट का इंतजाम कर लिया था। अलग-अलग बैठाना, बच्चों के अंदर नकल न करने की समझ पैदा करने का माहौल बनाना तो इस छोटे से कमरे में संभव नहीं था, लेकिन इन टीचर्स की इस छोटी सी कोशिश ने एक संदेश जरूर दिया। विभाग के पास एग्जाम के लिए फंड नहीं है, तो इसका दूसरा रास्ता टीचर्स खुद निकाल सकते हैं। लेकिन इस स्कूल तक भी मॉडल पेपर की कोई जानकारी नहीं पहुंची। टीचर द्वारा पेज पर लिखकर दिये गए पेपर से ग्रुप में बैठे बच्चे आंसर लिख रहे थे।

हमें मॉडल पेपर की कोई जानकारी नहीं मिली, हर साल की तरह ही इस साल भी अपने हिसाब से पेपर बना लिया। हर साल स्कूल डेवलपमेंट का रुपया आता था, लेकिन इस साल रुपया नहीं आया है। समस्या तो है लेकिन इसका असर बच्चों पर न पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।

- हरभजन कौर, हेडमास्टर-प्राइमरी स्कूल माधोबाड़ी

प्राइमरी स्कूल गंगापुर-ख्

टाइम: दोपहर क्ख्.0भ्

एक टिन के नीचे चल रहे इस स्कूल में कक्षा ख् व फ् की परीक्षाएं देते बेतरतीब बैठे स्टूडेंट मिले। एक हेडमास्टर और दो प्राइमरी टीचर्स वाले इस स्कूल में दो ब्लैक बोर्ड पर कक्षा ख् व फ् का पेपर चॉक से लिखा मिला। टीचर्स से प्रिंटेड पेपर प्रोवाइड न कराने के बाबत पूछा गया, तो उन्होंने विभाग द्वारा रुपया न भेजने का जवाब दे दिया। झुंड बनाकर बैठे इन बच्चों से जब प्रश्नपत्र का नाम पूछा तो सिर्फ एक छात्र को विषय का नाम पता था। बच्चों की कॉपियां देखी तो सबने सिर्फ प्रश्नपत्र ही उतार रखा था। कई बच्चों को तो असल में एग्जाम के मायने तक नहीं पता थे। हेडमास्टर ने बताया कि मॉडल पेपर नहीं मिला, अपने हिसाब से पेपर बनाया है। कई बच्चे लिख नहीं पाते, इसलिए इनसे एक ओरल एग्जाम भी लिया जाएगा।

हमें कोई मॉडल पेपर नहीं प्रोवाइड कराया गया है। बच्चे घर से कॉपियां लाये हैं। प्रिंटेड पेपर और आंसर शीट मिले तो बच्चे भी पेपर देने में रुचि दिखाएं, लेकिन हम क्या करें कई बच्चों को तो टॉफी का लालच देकर स्कूल में रोका है।

- फरहाना अफजाल, हेडमास्टर- प्राइमरी स्कूल गंगापुर-ख्

आज से होंगे भ्वीं और 8वीं के पेपर

क्क् मार्च से कक्षा क् से ब् व म् से 7वीं तक की कक्षाओं के पेपर जारी हैं, जबकि भ्वीं व 8वीं के पेपर्स क्फ् मार्च से ख्0 तारीख तक चलेंगे। फ्राइडे को एग्जाम सुबह 8 बजे से दोपहर क्ख् बजे तक चलेगा। इसके लिए बीएसए द्वारा स्कीम जारी की गई है। विभाग की ओर से एग्जाम्स के लिए कोई फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है। ऐसे में बच्चे घर से आंसर शीट लाकर एग्जाम दे रहे हैं, जबकि गुरुजी प्रिंटेड पेपर के अभाव में ब्लैक बोर्ड पर पेपर लिखकर काम चला रहे हैं। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा मॉडल पेपर प्रोवाइड कराने का आदेश आया था, इस पेपर के आधार पर हेडमास्टर्स को कक्षा फ् से 8वीं तक के क्वेश्चन पेपर तैयार करने थे, लेकिन ये जानकारी और पेपर ज्यादातर स्कूलों के पास नही पहुंचे हैं। मॉडल पेपर स्कूलों को प्रोवाइड कराने की जिम्मेदारी ब्लॉक लेवल अधिकारियों को दी गई थी, लेकिन इन अधिकारियों ने वेबसाइट से पेपर डाउनलोड होने में हो रही परेशानियों का हवाला देकर स्कूलों तक मॉडल पेपर नही पहुंचाया। बता दें कि सभी प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों को ख्भ् मार्च तक कॉपी चेक कर ख्8 मार्च को रिजल्ट अनाउंस कराना है।

Posted By: Inextlive