बच्चों में पढ़ने की ललक जगाएगी बरखा
बरखा बुक्स के जरिए कॉमिक्स जैसी किताबें पढ़ने का मौका पाएंगे प्राइमरी के बच्चे
सिलेबस से अलग मनोरंजन के लिए एनसीईआरटी ने तैयार की हैं ये किताबें, जुलाई में होगी उपलब्ध BAREILLY: प्राइमरी स्कूलों में अब बच्चे 'छुपन छुपाई', 'गिल्ली डंडा', 'मीठे-मीठे गुलगुले', 'फूली रोटी' पढ़ने के लिए स्कूल आएंगे। नन्हे-मुन्ने बच्चों में पढ़ने की ललक पैदा करने के लिए एनसीईआरटी खास किताब बरखा मुहैया कराने जा रहा है, जो सिलेबस से अलग होगा। यह किताब पूरी तरह बच्चों के मनोरंजन के लिए है। ताकि, रोचक कहानियों से बच्चे व्यावहारिक नॉलेज हासिल कर सकें। कॉमिक्स जैसी है 'बरखा बुक्स'कहानियों की खासियत इनके कंटेंट में हैं, इस कहानियों को बहुत ज्यादा भारी भरकम न बनाते हुए एनसीईआरटी ने सरल भाषा में आसपास का वातावरण समझाने की कोशिश की है। 'बरखा' को चार सीरीज में बांटा गया है, जिसमें हर सीरीज में क्0 कहानियां हैं। कहानियों की विशेषता है कि इन्हें स्टीरियोटाइप से इतर बनाने की कोशिश की गई है। मसलन, कहानी 'फूली रोटी' के जरिए ये समझाने की कोशिश है कि खाना बनाना सिर्फ मम्मी का काम नहीं। इसका पात्र जुहैब मां से रोटी बनाना सीखता है। कहानियों के पात्रों में भारत की धर्मनिरपेक्षता का ख्याल रखा गया है, कहानियों को तस्वीरों के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है। जिन्हें कॉमिक्स का पुट दिया गया है।
ताकि नन्हा पाठक स्कूल आए एनसीईआरटी द्वारा इन बुक्स को डेवेलप करने के पीछे कई कारण है, इसमें पहला बड़ा कारण बच्चों के अंदर क्रिएटिविटी और पढ़ने को लेकर रुझान पैदा करना है। इससे बच्चों में स्कूल आने की दिलचस्पी बढ़ेगी। इन कहानियों में रिटेन कंटेंट बहुत कम है, तस्वीरों के जरिए ज्यादा समझाने की कोशिश की गई है। ऐसे में बच्चे किताबों को लेकर दिलचस्पी दिखाएंगे, जिससे उनकी इमैजिनेशन और समझ तो बढ़ेगी ही बच्चे में एक पाठक पैदा होगा, जो निश्चित तौर पर उसके व्यक्तित्व विकास में सहायक होगा। कैसे होगी यूज -क्लास क् व ख् के बच्चों के लिए लिखी गई है कहानियां, मनोरंजन और समझ बढ़ाने के लिए उपलब्ध करायी जाएंगी। स्कूल लाइब्रेरी के रूप में उपलब्ध होंगी ये बुक्स। खाली समय में बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाएंगी। बरखा को सिलेबस में नहीं शामिल किया गया है। किताबें, स्कूल टाइम में बच्चों को मनोरंजन के लिए पढ़ाई जाएंगी। किताबों के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। किताबें किताबें मिलते ही स्कूलों क ो मुहैया करा दी जाएंगी। - मुकेश सिंह, डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर-ट्रेनिंग