50वें दिन एसआरएन में जिंदगी हार गई प्रीति
प्रयागराज ब्यूरो । पचास दिन तक जिंदगी और मौत की जंग हुई। जिसमें प्रीति को हार जाना पड़ा। पचास दिन से लगातार मां और पिता दोनों उसकी जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे, मगर दोनों की कोई हिकमत काम न आई। आखिरकार प्रीति की मौत हो गई। बेटी की मौत पर मां पिता दोनों रोते बिलखते रहे। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। मामले में हमलावार घटना के पांचवे दिन गिरफ्तार कर लिया गया था।
14 जून को हुई थी घटना
खीरी थाना क्षेत्र के चैलारी गांव में रहने वाला रमेश कुमार सूरत में नौकरी करता था। गांव में उसकी पत्नी धर्मशीला, बेटी प्रीति और एक बेटा रहता था। गांव के रहने वाले पूर्व कोटेदार ने कुछ दिनों पूर्व धर्मशीला से छेड़ाखानी की थी। जिस पर धर्मशीला ने पूर्व कोटेदार की शिकायत पुलिस से की थी। पुलिस कोटेदार को पकड़ कर ले गई। पंचायत के बाद मामला छूट गया। इसके बाद 14 जून की रात में पूर्व कोटेदार ने धर्मशीला पर हमला कर दिया। धर्मशीला घर की चहारदीवारी में बेटी और बेटे साथ सो रही थी। हमलावर ने तेज धारदार हथियार से धर्मशीला पर हमला किया मगर तब तक प्रीति की नींद खुल गई। प्रीति ने हमलावर को धक्का दे दिया। जिससे धर्मशीला बच गई। इस बीच प्रीति पर हमलावर ने हमला कर दिया। उसकी गर्दन पर वार किया। जिससे उसे गंभीर चोट आई। हमले में उसकी मां धर्मशीला भी चोटहिल हो गई। दोनों को घटना के बाद एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर एक सप्ताह बाद धर्मशीला ठीक हो गई। जबकि प्रीति लगातार एडमिट रही। कई बार ऑपरेशन हुआ मगर घाव सूखा नहीं।
प्रीति को बचाने में धर्मशीला और रमेश कुमार लाखों के कर्जदार हो गए। प्रीति लगातार अस्पताल में रही। जिससे उसकी दवाइयों का खर्च दोनों ने उठाया। बहुत पैसा दोनों ने उधार लिया है। दोनों को उम्मीद थी कि बेटी बच जाएगी तो कर्ज लिए पैसा कमाकर वापस कर देंगे। मगर दोनों लाख जतन करके प्रीति को बचा नहीं पाए।