-डिस्ट्रि1ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड के 29 बेड रेगुलर चल रहे फुल

-ओपीडी में कुल मरीजों के एक चौथाई बच्चे डायरिया से पीडि़त

-हर दिन 10-12 बच्चे हो रहे एडमिट, पुराने केसेज डिस्चार्ज करने की मजबूरी

BAREILLY: गर्मी बढ़ने के साथ ही डायरिया की चपेट में आने वाले मरीजों का आंकड़ा भी दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी की सबसे ज्यादा मार छोटे बच्चों पर पड़ी है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल आने वाले मरीजों में डायरिया के सबसे ज्यादा केसेज बच्चों के ही हैं। हॉस्पिटल का बच्चा वार्ड गंभीर डायरिया से पीडि़त बच्चों का बोझ पूरी तरह नहीं उठा पा रहा। बच्चा वार्ड में रोजाना डायरिया से पीडि़त बच्चों के पहुंचने से इलाज के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। बची कसर नर्सिग स्टाफ की कमी पूरी कर रही। बच्चा वार्ड के फुल होने से कई बार परिजनों को अपने बच्चों को निजी हॉस्पिटल का रुख करना पड़ रहा है।

29 बेड भ्ाी नाकाफी

बच्चा वार्ड में नन्हें-मुन्नों के इलाज के लिए 29 बेड की व्यवस्था है। आमतौर पर वार्ड के एक चौथाई से ज्यादा बेड खाली रहते हैं। लेकिन पिछले दो हफ्तों से डायरिया व टायफाइड के बढ़ने से वार्ड की स्थिति नाजुक बनी हुई है। स्टाफ का कहना है कि वार्ड के सभी बेड पिछले 8-9 दिनों से लगातार फुल हैं। जबकि रोजाना ही करीब 12-14 केसेज इमरजेंसी व ओपीडी से एडमिट होने के लिए आ रहे। जिसमें से 8-10 केसेज डायरिया के ही हैं। वहीं टायफाइड की केसेज की तादाद फिलहाल कम है लेकिन गर्मी बढ़ने व खराब खान-पान व पानी से इस बीमारी के भी बढ़ने की आशंका है।

दो दिन में डिस्चार्ज की मजबूरी

डायरिया से पीडि़त बच्चों के वार्ड में लगातार एडमिट होने से सभी बच्चों को प्रॉपर इलाज मुहैया कराने में दिक्क्त आ रही। क्रिटिकल कंडीशन में डायरिया से पीडि़त बच्चों को करीब 6-8 दिन तक एडमिट रखना पड़ता है। लेकिन लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए नर्सिग स्टाफ भी दो दिन तक बेहतर इलाज देने के बाद बच्चों की कंडीशन परख रहा। अगर बच्चे की हालत खतरे से बाहर हो गई और दवाओं व डॉक्टरी सलाह पर घर पर ही उसका बाकी इलाज होना पॉसिबिल हो तो उन्हें दो से तीन दिन में डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है। जिससे गंभीर हालत में आ रहे अन्य बच्चों को तुरंत ही जरूरी इलाज मिलने में दिक्क्त न हो।

कम स्टाफ पर ज्यादा बोझ

बच्चा वार्ड में लगातार बढ़ते प्रेशर के चलते नर्सिंग स्टाफ पर भी लगातार दबाव बना हुआ है। वार्ड में एक सिस्टर व एक नर्स की ही परमानेंट नियुक्ति है। वहीं तीन नर्सिग स्टाफ संविदा पर ड्यूटी कर रही। जबकि शासनादेश के मुताबिक हर 10 बेड पर एक नर्स के हिसाब से हर शिफ्ट में ही कम से कम तीन नर्स होनी चाहिए। सुबह की शिफ्ट में सबसे ज्यादा मरीजों के आने से 2 नर्स और दिन व रात की शिफ्ट में सिर्फ 1-1 नर्स पर बच्चों की देखरेख की पूरी जिम्मेदारी है। मैनपॉवर की यह कमी व्यवस्था बनाए रखने में आड़े आ रही। स्टाफ को अक्सर इमरजेंसी की स्थिति में एक बेड पर दो बच्चों को इलाज देना पड़ रहा। जबकि बेहतर माली हालत वाले कई परिजन बेड फुल होने की स्थिति में अपने बच्चे को इलाज के लिए कहीं और आसरा तलाश रहे।

ओपीडी में आने वाले मरीजों में से करीब एक चौथाई डायरिया से पीडि़त बच्चे हैं। गर्मी बढ़ने व खान-पान में सावधानी न बरतने से टायफाइड के भी मरीज आने लगे हैं। बच्चों को बाहर का तला भुना व बासी खाना न दें। - डॉ। श्रीकृष्ण, पीडियाट्रिशियन

मौसम में उतार चढ़ाव से डायरिया के मरीज बढ़ गए है। बच्चा वार्ड में बेड फुल हैं, मरीज लगातार आ रहे। लेकिन बच्चों के इलाज के इंतजाम में कमी न होने की पूरी कोशिश है। अगले दो -तीन महीने यह स्थिति बनी रहेगी। - डॉ। कर्मेन्द्र, मेडिकल सुपरिटेंडेंट

Posted By: Inextlive