करोड़ों रुपए हाथ में पर बिजली 'हवा' में
- हर साल करोड़ों रुपए का फंड मिलता है विभाग को
-फिर भी सिटी में है लोकल फॉल्ट का लोचा BAREILLY: हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर में लोकल फॉल्ट का लोचा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। शहर में सेंट्रल रोस्टिंग के बाद भी जमकर कटौती जारी है। हैरानी की बात ये है कि विभाग को बिजली व्यवस्था प्रॉपर रखने के लिए हर साल करोड़ों का फंड जारी होता है। ट्रांसफार्मर, फीडर, सब स्टेशन, नए पोल व वायर के नाम पर फंड स्वीकृत हो रहे हैं, मगर फिर भी 'करोड़ों की बिजली' कहां जा रही है, किसी को नहीं पता। इस साल फ्0 करोड़ रुपए काफंडव्यापार विकास निधि के तहत इस साल करीब फ्0 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं मगर लोकल फॉल्ट में जरा सी भी कमी नहीं आ रही हैं। आखिर हर साल करोड़ों रुपए का फंड जारी होने के बाद भी लोकल फॉल्ट की समस्या विभाग क्यों दूर नहीं कर पा रहा है। यह सोचने वाली बात है
कम नहीं लोकल फॉल्टविभागीय लापरवाही के चलते लोकल फॉल्ट का लोचा कम नहीं है। एचटी और एलटी लाइन टूटने की समस्या हो या फिर ट्रांसफार्मर फुंक जाने की। आए दिन कोई न कोई समस्या उत्पन्न हो जा रही है। बीते एक महीने में ही भ् बार एलटी लाइन टूट चुकी है। जबकि, शहदाना, कोहाड़ापीर, संजयनगर, जगतपुर, सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, करगैना जैसे एरिया में क्00 से अधिक ट्रांसफार्मर फुंक चुके हैं। अभी हाल में म्म् केवी लाइन के दो टॉवर भी गिरने की घटना हुई है। इसके इसके चलते सिटी के कई फीडर ठप हो गए।
नहीं होते क्षमता के अकॉर्डिग सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा जो भी उपकरण लगाए जाते हैं। वह बिजली कंजम्शन के अकॉर्डिग नहीं होते हैं। इसकी वजह से थोड़ा बहुत लोड बढ़ने पर ही उपकरण जवाब दे जाते हैं। अगर विभाग पहले से ही सावधानी बरते तो इस तरह की समस्या उत्पन्न ही न हो। बिजली खपत के हिसाब से ट्रांसफार्मर लगाए जाने के लिए रेजिडेंट्स कई बार धरना प्रदर्शन और हंगामा भी कर चुके हैं। जो भी फंड स्वीकृत होते हैं, उससे इंफ्रास्ट्रक्टर को सही किए जाने का काम किया जाता है। ओवर लोड और बिजली चोरी के चलते इस तरह की समस्या ज्यादा उत्पन्न होती है। -समुद्दीन, एसडीओ, बिजली विभाग