बरेली में तीन गुना बढ़ा पाल्यूशन
2020 पीएम 10 पीएम 2.5 एक्यूआई
10 अप्रैल 84.14 43.19 84 16 अप्रैल 77.3 50.99 85 23 अप्रैल 75.13 49.18 82 30 अप्रैल 73.92 44.08 82 7 मई 74.44 49.12 82 2021 22 फरवरी 259.25 106.28 254 25 फरवरी 247.65 102.17 241 1 मार्च 242.49 107.31 2584 मार्च 237.77 105.9 250
8 मार्च 234.17 105.31 251 यह हैं स्टैंडर्ड मानक पीएम 10 - 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर पीएम 2.5- 60 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर एक्यूआई-51-100 तक -तीन गुना ज्यादा बिगड़ी आबोहवा की सेहत -पिछले साल अप्रैल में नॉर्मल से नीचे था एक्यूआई-इस साल अप्रैल से पहले ही 251 पहुंचा एक्यूआई
बरेली: कोरोना ने भले ही लोगों को घरों में कैद कर दिया, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पॉल्यूशन काफी कम हो गया। पिछले साल के मुकाबले शहर में पाल्यूशन तीन गुना तक बढ़ गया है। थर्सडे को एक्यूआई 251 रिकॉर्ड किया गया है। पिछले साल अप्रैल की बात करें जब कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाया था, उस समय एक्यूआई नॉर्मल से भी कम था। लेकिन शहर में होने वाले निर्माण कार्य और उनसे उड़ने वाली धूल के चलते शहर का पॉल्यूशन पिछले साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गया है। जोकि खराब की श्रेणी में आता है। ऐसे में जिम्मेदारों के साथ ही बरेलियंस को भी अलर्ट और अवेयर रहने की जरूरत है जिससे शहर को गैस चेंबर बनने से रोका जा सके। निर्माण कार्य बने मुसीबतशहर में प्रदूषण का मेन कारण माने तो इस वक्त ट्रंक सीवर लाइन खोदाई का काम चल रहा है। इस खोदाई में मानकों को भी अनदेखा कर काम कराया जा रहा है। पानी आदि का छिड़काव नहीं होने से शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। यहां तक कि पिछले वर्ष की अपेक्षा बात करें तो इस बार वायु प्रदूषण तीन गुना से भी अधिक बढ़ा हुआ है। जिसको लेकर प्रदूषण विभाग के अफसर भी चिंतित हैं।
खानापूरी कर रहा जल निगम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जब विभागों को शासन से कार्रवाई की संस्तुति किए जाने की चेतावनी दी गई तो आननफानन में उन्होंने पानी का छिड़काव कराना शुरू कर दिया। नियमानुसार निर्माण कार्य के पास खोदाई के बाद निकले मलबे पर पानी का लगातार छिड़काव कि या जाना जरूरी है। ताकि सूखने के बाद धूल का गुबार न उड़े मगर जल निगम की ओर से चौकी चौराहा मार्ग पर पानी का छिड़काव सिर्फ एक बार ही किया जा रहा है। छिड़काव के थोड़ी देर बाद वहां सिर्फ धूल का गुबार उड़ता है। वाहन भी बढ़ा रहे पॉल्यूशनबरेली कॉलेज बॉटनी विभागाध्याक्ष डॉ। आलोक खरे का कहना है कि अव्यवस्थित तरीके से हो रहे निर्माण कार्य के साथ वाहनों की बढ़ती तादाद भी प्रदूषण की मुख्य वजह है। इधर, कोरोना के मामले कम होने पर लोग बेतहाशा घरों से बाहर निकलकर वाहनों से फर्राटा भर रहे हैं। निर्माण कार्य होने से लंबा जाम लगता है। इस दौरान लगातार वाहन स्टार्ट रहते हैं, जिससे निकलने वाला खतरनाक धुआं वातावरण में बढ़ता जाता है। इस वजह से भी सिविल लाइंस का चौकी चौराहा का इलाका सर्वाधिक प्रदूषित दर्ज हो रहा है। निर्माणदायी संस्थाओं समेत लोगों को भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
प्रदूषण से भी बचाएगा मास्क कोविड चिकित्सालय के सीएमएस डॉ। वागीश वैश का कहना है कि प्रदूषण का असर लंबे समय बाद सेहत पर दिखाई देता है। स्वस्थ व्यक्ति पर सालों बाद मगर जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं उन पर दस से 15 दिन में ही दुष्प्रभाव शुरू हो जाता है। पिछले दिनों डॉक्टर्स फॉर एयर क्लीन की रिपोर्ट में प्रदूषित क्षेत्र में रहने वालों पर कोरोना संक्त्रमण होने पर हालत बेहद खराब होने की आशंका जताई थी। क्योंकि प्रदूषण सीधे फेफड़ों पर असर करता है। इससे शरीर क ो ऑक्सीजन सही से न मिलने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। बताया कि लोग मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलें। यह कोरोना और प्रदूषण दोनों से बचाव करेगा। यह है मानकएक्यूआई के बारे में एक्सपर्ट की माने तो 0-50 तक होने पर अच्छा माना जाता है। जबकि 51-100 तक होने पर भी संतोषजनक माना जाता है। लेकिन 101-200 के बीच में होने पर यह थोड़ा प्रदूषित माना जाता है। इससे फेफड़े की बीमारी आदि होने के भी चांसेस रहते हैं। वहीं 201-300 एक्यूआई खराब होता है इसमें लम्बे समय तक रहने से सांस लेने तक की प्रॉब्लम होती है। 301-400 तक बहुत खराब होता है और 402-500 तक एक्यूआई हार्ट रोगियों के लिए नुकसान दायक होता है। 402 से ऊपर का एक्यूआई को आपातकाल भी कहा जाएगा।
प्रदूषण के मेन कारण -हवा के बहाव में कमी आना -अत्याधिक धूल या फिर बारुद का धुआं होना -पराली जलाना आदि से -वाहनों की संख्या अधिक होना जुर्माना भी लगा लेकिन नहीं सुधरे क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ऑफिस ने पिछले दिनों शहर में मानकों की अनदेखी कर कराए जा रहे निर्माण कार्यो को लेकर कार्यदायी संस्था को नोटिस जारी किया। इतना ही नहीं ठेकेदार और निगम की संस्था को जिम्मेदार मानते हुए जुर्माना भी लगाया था। लेकिन इसके बाद भी कोई मानक का अभी भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जिस कारण जहां पर निर्माण कार्य चल रहा होता है और जहां पर निर्माण हो चुका होता है वहां पर धूल से लोगों का निकलना दूभर हो रहा है। टेम्प्रेचर बढ़ने से बढ़ रही प्रॉब्लम सर्दी के बाद अब गर्मी शुरू हो गई है, टेप्रेचर भी 30 प्लस है। ऐसे में शहर में कहीं पर भी निर्माण कार्य पर पानी का छिड़काव भी किया जाता है तो वहां पर पानी तुरंत सूख जाता है। जिस कारण फिर से धूल उड़ना शुरू हो जाती है। बीमारियों में आई थी कमी लॉकडाउन के दौरान शहर की आबोहवा साफ होने से बीमारियों में भी खासी कमी आई। धूल और धुएं के कारण उस समय मौसम में एलर्जी के मरीज भी काफी कम हुए थे। वाहन और कूड़ा कम होने से प्रदूषण का स्तर भी काफी गिरा था। डॉक्टर्स की माने तो प्रदूषण कम होने से क्रोनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानि फेफड़ों की बीमारी बढ़ती है लेकिन लॉकडाउन के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ, जिससे बीमारी भी कम हुई थी। =================== शहर में प्रदूषण की निगरानी लगातार की जा रही है। टीम भी जाकर मौके पर देखते हैं और दोषी मिलने पर नोटिस जारी किया जाता है। शहर में इस वक्त प्रदूषण बढ़ा है इसको लेकर विभाग भी अलर्ट है। रोहित सिंह, क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अधिकारी