बीमार है बरेली की आबोहवा!
हो रही air monitoring
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के डायरेक्शन में देश के कई सिटीज में नेशनल एयर मॉनिटरिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। यूपी के 11 डिस्ट्रिक्ट्स में यह प्रोग्राम चल रहा है। बरेली इनमें से एक है। इसमें संबंधित इंस्टीट्यूट की मदद से उस शहर के एयर पॉल्यूशन की जानकारी इकट्ठी की जा रही है। बरेली कॉलेज के एनवायरमेंट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट पिछले एक साल से एनवायरमेंट को मॉनिटर कर रहा है। पिछले साल भर में हर महीने एसपीएम खतरे के निशान से ऊपर ही मिला। सबसे खतरनाक कंडीशन राजेन्द्र नगर में हाईवे पर मिली। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर शहर में एसपीएम के आंकड़े यूं ही बढ़ते रहे तो लोगों में फेफड़े और सांस की प्रॉब्लम काफी बढ़ जाएगी। इसका बच्चों के आईक्यू पर भी बुरा असर पड़ेगा।
Vehicles बढ़े, pollution बढ़ा
डॉ। डीके सक्सेना बीसीबी में पीजी डिप्लोमा एनवायरमेंट मैनेजमेंट के इंचार्ज हैं। उन्होंने बताया कि एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा सोर्स है व्हीकल्स का धुआं। में मेनली एसपीएम, आरएसपीएम, एसओएक्स और एनओएक्स की जांच की जाती है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के स्टैंडर्ड के मुताबिक, हवा में ये चारों तत्व एक निश्चित मात्रा तक ही नॉर्मल माने जाते हैं। उससे ऊपर निकलते ही वे ह्यूमन बॉडी के लिए डेंजरस हो जाते हैं। जनवरी से अक्टूबर तक की जांच में यह पाया गया कि शहर की हवा में एसपीएम की मात्रा निर्धारित सीमा से ज्यादा बढ़ा है। एसपीएम एनवायरमेंट में मौजूद महीन डस्ट पार्टिकल्स होते हैं। ये सांस के जरिए फेफड़े में पहुंचते हैं।
चार जगह लगे sampler
डॉ। डीके सक्सेना के अनुसार, शहर में चार हाई वैल्यूज सैम्पलर लगे हुए हैं। ये आईवीआरआई, बीसीबी, प्रभा सिनेमा और सैटेलाइट पर लगे हैं। ये ऑटोमेटिकली एयर पॉल्यूशन रिकॉर्ड करते हैं। एयर में मौजूद इन तत्वों में आरएसपीएम 200, एसपीएम 200, एसओएक्स 80 और एनओएक्स 80 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के अंदर होने चाहिए। इससे ज्यादा होने पर ये हानिकारक हो सकते हैं।
Dangerous SPM
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, दिल्ली के साइंटिस्ट सुशील कुमार त्यागी ने बताया कि एसपीएम व्हीकल्स के धुएं से बढ़ता है। एसपीएम में दो तरह के पार्टिकिल्स होते हैं। एक मेटल और दूसरा ऑर्गेनिक फॉर्म में। मेटल्स में लेड, निकेल, जिंक और आयरन हवा में घुल जाते हैं। लेड न्यू बॉर्न बेबीज के लिए काफी खतरनाक होता है। यह आईक्यू पर निगेटिव प्रभाव डालता है। वहीं लेड से नर्वस सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। निकेल से आंखों की प्रॉब्लम हो सकती है। ऑर्गेनिक फॉर्म में कैंसर जनित पॉल्यूटेंट निकलते हैं। साथ ही फाइन पार्टिकल्स से सांस संबंधी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।
Standard figure
RSPM SPM SOX NOX
200 200 80 80
Actual record
Month RSPM SPM SOX NOX
जनवरी 219 341 9.79 19.79
फरवरी 229 356 8.83 19.18
मार्च 221 338 9.58 19.02
अप्रैल 201 201 10.01 26.33
मई 214 338 7.52 26.82
जून 175 218 8.39 24.76
जुलाई 244 303 11.16 21.22
अगस्त 174 287 7.57 17.39
सितम्बर 161 254 10.01 26.33
अक्टूबर 180 254 10.96 16.24
नोट: सभी आंकड़े माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर मेंReport by: Gupteshwar Kumar