जल्दबाजी में भूले 'कानून'
हम रोज पहनते हैं helmetकानून के पारखी और इसके रखवालों ने हेलमेट न पहनने के सवाल पर कमोबेश यही जवाब दिया। बिना हेलमेट पहने राइडिंग कर रहे इन लोगों ने एक बार भी यह एक्सेप्ट नहीं किया कि वे हेलमेट नहीं पहनते। सभी ने हमेशा हेलमेट पहन गाड़ी चलाने की बात कही। बिना हेलमेट राइडिंग करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जल्दबाजी और वर्कलोड में पहनना भूल गए। हालांकि उनकी खास बात ये रही कि बिना हेलमेट कैमरे में कैद होने पर उन्होंने इसे सेफ्टी के लिए जरूरी बताया। साथ ही सभी को हेलमेट पहन राइडिंग करने की सलाह भी दी।चालान नहीं तो डर कैसा
ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करने वालों के खिलाफ पुलिसवाले ही चेकिंग कर उन्हें कानून फॉलो करने का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन जब वे खुद ही इन नियमों को फॉलो न करें तो इन्हें भला कौन सिखाएगा। वहीं बिना हेलमेट के राइडिंग करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ कभी चालान या जुर्माना नहीं किया जाता। एडवोकेट्स भी आसानी से इस चेकिंग के घेरे में नहीं आते। ऐसे में इन्हें कभी हेलमेट की जरूरत ही नहीं महसूस होती है। इसलिए हेलमेट नहीं लगाते।Reguler checking होनी चाहिए
महीने में एक-दो बार चेकिंग कर लोगों को इसे पहनने के लिए समझाया नहीं जा सकता। जब तक रेग्युलर और सीरियस चेकिंग नहीं होगी, तब तक लोग हेलमेट की अहमियत नहीं समझेंगे। यह कहना था खाकी के साथ काले कोट वालों का। इनका मानना है कि जब तक टेंपरेरली हेलमेट चेकिंग व्यवस्था रहेगी, तब तक बदलाव नहीं होगा। ऐसे में लोग खासकर वर्दी वाले कभी भी हेलमेट को पहनना सेफ्टी के लिए जरूरी नहीं समझेंगे। इसके लिए निजाम को भी सुधार करना होगा तभी जनता भी अवेयर होगी। पुलिस के साथ एडवोकेट्स ने भी माना कि कानून के सामने सभी बराबर हैं। रूल्स को फॉलो कराने में उन पर भी प्रेशर होना चाहिए।'वैसे तो हमेशा ही हेलमेट पहनता हूं, लेकिन हेलमेट की स्ट्रिप खराब होने के कारण मजबूरी में नहीं पहना। हेलमेट सही कराने ही जा रहा हूं.' - प्रवीण खुराना, एडवोकेट, 34 साल'हेलमेट तो अक्सर ही पहनते हैं, लेकिन कई बार काम के प्रेशर और भागमभाग में हेलमेट पहनना भूल जाते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है.' - वेदप्रकाश भारती, पुलिसमैन, 47 साल