शहर के सभी पुलिस स्टेशन्स में कंडम वाहनों की भरमार वर्षों से नीलामी न होने के कारण वाहनों के पुर्जे तक गायब


(बरेली ब्यूरो)। लावारिस और मुकदमों में शामिल लाखों रुपए के वाहन बरेली के सात थानों में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं। वर्षों से नीलामी न होने के कारण हजारों वाहन कंडम हो चुके हैं। आलम यह है कि इन वाहनों के पाटर््स तक गायब हो चुके हैं। किसी का टायर गायब तो किसी वाहन का इंजन ही गायब हो चुका है। ऐसे में नीलामी में इन वाहनों के बेहतर दाम मिलना मुश्किल होगा। लेेकिन, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण वर्तमान में इनके कारण थानों की हालत कबाड़खानों सी हो गई है।


शहर के बारादरी, प्रेमनगर, इज्जतनगर, किला, शहर कोतवाली, सुभाषनगर व कैंट थाने में सालों से हजारों वाहन पुलिस अभिरक्षा में खड़े हुए हैं। यहां पर हजारों वाहन धूप, बारिश झेलते हुए कबाड़ हो चुके हैं। थाना परिसर में लंबे समय से गाडिय़ों के खड़े रहने से उनकी सुरक्षा भी पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। इन गाडिय़ों के पाटर््स भी गायब हो चुके हैं। इसकी वजह से कई बार पुलिस को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लावारिस व कंडम वाहनों की जिम्मेदारी मालखाना प्रभारी की होती है। लेकिन, वह इनकी देखभाल में ज्यादा समय नहीं दे पाते। इससे यह वाहन खड़े-खड़े कबाड़ बन जाते हैं।

एक-दूसरे पर रखे कंडम वाहन
थानों को मॉडर्न थानों व कोतवाली के रूप में विकसित किया गया है। इसके बाद भी परिसर में गाडिय़ों की संख्या अधिक होने के कारण काफी जगह घिरी रहती है। बारादरी थाना जिले का सबसे हाईटेक थाना है। लेकिन, इसके मुख्य गेट से एंट्री करते ही आपको कंडम व लावारिस वाहन खड़े मिलेंगे। इसके अलावा किला कोतवाली में जगह न होने पर इन वाहनों को कोतवाली के बाहर खाली जगह में खड़ा किया गया है। जबकि प्रेमनगर कोतवाली में तो जगह के अभाव के चलते कंडम वाहनों को एक दूसरे के ऊपर रखा गया है।

पनप रहे मच्छर, सता रहा बीमारी का भय
थानों में कबाड़ व कंडम वाहनों से मच्छर पनप रहे हंै। क्योंकि जिस जगह पर ये वाहन खड़े किए गए हैं, उस स्थान की सफाई नहीं हो पाती है। इससे मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में पुलिसकर्मियों को बीमारी का भय लगा रहता है।

छह माह बाद नीलामी का है नियम
लावारिस दाखिल किए गए वाहन या किसी भी मुकदमे से जुड़े वाहन के बारे में पुलिस को छह माह के भीतर उसके मालिक को नोटिस भेजना होता है। अगर इसके बाद भी वह गाड़ी लेने नहीं आता है या उसे कोर्ट से रिलीज कराने की प्रक्रिया नहीं शुरू करता है तो कोर्ट से अनुमति लेकर आरटीओ की मदद से पुलिस वाहन को नीलाम करा सकती है।

वर्जन
नीलामी की प्रक्रिया काफी लंबी है। इसमें मजिस्ट्रेट व सीओ आदि होते हैं, जिससे प्रक्रिया धीरे-धीरे संपन्न होती है। मुकदमे में जब्त वाहनों को कोर्ट का फैसला आने के बाद ही संबंधित कार्रवाई की जाती है, जबकि लावारिस वाहनों की छह माह के बाद नीलामी कर दी जाती है।
रविंद्र कुमार, एसपी सिटी

नीलामी की प्रक्रिया पूरे जिले में एक साथ होती है। डेढ़ वर्ष पूर्व नीलामी कराई गई थी। वर्तमान में कोतवाली में करीब 120 कंडम व लावारिस वाहन हैं।
हिमांशु निगम, शहर कोतवाल

Posted By: Inextlive