खली की फैक्ट्री में पुलिस का छापा
अवैध तरह से खली बनाने का आरोप
सड़ी खली, नमक और घूंटा मिलाकर बनायी जा रही थी खली पुलिस ने लिए सैंपल, रिपोर्ट आने के बाद होगी एफआईआर BAREILLY: बारादरी के माधोबाड़ी में खली बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। जहां पुलिस को कई ब्रांड के फर्मा भी मिले हैं। पुलिस ने खाद्य व अपमिश्रण विभाग की टीम को भी मौके पर बुलाया लेकिन टीम नहीं पहुंची। पुलिस ने फैक्ट्री से सेंपल कलेक्ट किए हैं। सेंपल की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सड़ी हुई खल बोरियों मेंबारादरी पुलिस को सूचना मिली थी कि माधोबाड़ी में अवैध खली बनाने की फैक्ट्री चल रही है। सूचना पर एसएसआई बारादरी अनिल कुमार पुलिस टीम के साथ फैक्ट्री में पहुंचे। फैक्ट्री के मालिक अशोक कुमार की जगह पर उनके छोटे भाई मनोज कुमार मिले। मनोज कुमार कालीबाड़ी के रहने वाले हैं। पुलिस ने जब उनसे फैक्ट्री के लाइसेंस के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि लाइसेंस भाई के नाम था। पुलिस जब फैक्ट्री के अंदर गई तो पाया कि सड़ी हुई खल बोरियों में भरी हुई है।
कई कंपनियों के फर्मा मिलेइसके अलावा सड़ी खली का मिश्रण पड़ा हुआ है। इसमें नमक और धान का घूंटा मिलाया गया था। इसे मिलाकर मशीन में डालकर खली निकाली जा रही थी। खली निकलने के बाद इसे बोरियों में पैक कर पशु आहार के नाम पर महंगे दामों में बेचा जाता है। पुलिस को फैक्ट्री में अलग-अलग नाम से कई कंपनियों के फर्मा मिले। यही नहीं फर्मा में कई तो बरेली जिले के अलावा बांदा, उन्नाव व अन्य जिलों के थे।
जान जा सकती है जानवर की चीफ वेटनरी आफिसर कृष्णपाल सिंह ने बताया कि खली, सरसों से बनती है। अगर इस तरह का मिश्रण कर खल बनायी जा रही है तो सीधे-सीधे जानवर की जान ले सकती है। कोई डॉक्टर भी इससे बीमार होने वाले जानवर का इलाज नहीं कर पाएगा। उन्होंने बताया कि इस तरह के मिश्रण से क्रोनिक डायरिया यानि लगातार दस्त, फंगल इंफेक्शन, किडनी स्टोन, लीवर स्टोन व अन्य बीमारी हो सकती हैं। फंगल इंफेक्शन की अभी तक कोई दवा भी नहीं बनी है। डॉक्टर भी टीका न लगाने की बात कहकर मामले को टरकाने का प्रयास करेगा।