- अकेले रहने वाले बुजुर्ग की चोरी की एफआईआर पुलिस ने एक महीने बाद लिखी

- झूठा भरोसा देकर थाने के लगवाते हैं चक्कर, फिर दर्ज नहीं करते एफआईआर

तो ऐसे करती है पुलिस बुजुर्ग की हेल्प

BAREILLY: आइए माता जी, हम तो आपकी सुनने के लिए ही हैं, कुर्सी डाल लीजिए, माता जी, हमें अच्छा नहीं लगता कि आप थाना क्यों आती हैं। आपकी एफआईआर तो हम लिख ही लेंगे। जी हां, ये बातें पुलिस बुजुर्गो की हेल्प के लिए नहीं कहती है बल्कि उन्हें भरोसे में लेकर थाने से टरकाने के लिए करती है, जिससे काम में देरी हो और चोर या बदमाश आराम से अपना बचाव कर सके। कोतवाली पुलिस ने बुजुर्ग दंपति के साथ हेल्प के नाम पर कुछ इसी तरह से व्यवहार किया। घर से लाखों की चोरी की एफआईआर लिखाने गए बुजुर्ग को पूरे एक महीने तक थाने के चक्कर लगवाए उसके बाद अधिकारियों के दवाब में आकर एफआईआर लिखी गई।

ख्9 मई को ही हुए थे शिफ्ट

90 वर्षीय रघुनंदन सक्सेना अपनी पत्‍‌नी रेखा सक्सेना के साथ आवास विकास कॉलोनी सिविल लाइंस कोतवाली में रहते हैं। वह मूलरूप से प्रेमनगर के रहने वाले हैं और रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। उनकी इकलौती बेटी श्रद्धा सक्सेना शादी के बाद से गुड़गांव में रहती है। उनके दामाद चार्टेड एकाउंटेंट हैं। रघुनंदन सिटी के सस्ता साड़ी बाजार व डॉक्टर अजय खन्ना के रिश्तेदार भी हैं। वह पहले रामपुर गार्डन में किराए पर रहते थे। ख्9 मई को बेटी के आने पर उन्होंने आवास विकास में शिफ्ट किया।

कपड़ों में रखती थीं ज्वेलरी

रेखा सक्सेना ने बताया कि 8 जून को बेटी अपने घर चली गई। उनके पास ख्भ् तोला ज्वेलरी थी, जिसमें उनका मंगलसूत्र भी था। ज्वेलरी बैग में रखती थीं और ज्यादातर कपड़ों में छुपाकर रख देती थीं, जिससे इस बारे में किसी को शक न हो। घर में बर्तन साफ करने व खाना बनाने के लिए उन्होंने आसपास के घरों में काम करने वाली विनीता को रख लिया। विनीता ने खुद को सैटेलाइट में रहने की बात बताई थी।

ख्0 जून को हुई थी चोरी

ख्0 जून को अचानक उनके बैग से ज्वेलरी गायब हो गई। उनका कहना है कि उनके घर में कोई आता-जाता ही नहीं है इसलिए उन्हें नौकरानी पर ही शक है। जब नौकरानी से पूछा तो उसने मना कर दिया। यही नहीं वह कुछ दिन काम करने भी नहीं आयी। ख्क् जून को वह कोतवाली में मामले की एफआईआर दर्ज कराने गई। इस पर उन्हें जांच की बात कहकर लौटा दिया। कुछ दिनों बाद फिर से वह पहुंची तो बड़े प्यार से उन्हें थाना में बैठाया गया, लेकिन एक बार फिर एफआईआर दर्ज न कर चौकी में जाने के लिए कहा। इस तरह से उन्हें कई बार थाना से बिना एफआईआर दर्ज कर लौटा दिया गया। जबकि उनकी दोनों किडनी खराब हैं और पति चल नहीं सकते हैं। उन्होंने इसकी शिकायत आईजी से की। यही नहीं उन्होंने एसएचओ के खिलाफ कोर्ट से कार्रवाई की भी बात कही तो अचानक सैटरडे को उनकी एफआईआर लिख दी गई।

Posted By: Inextlive