चुनावी पारा हाई, क्राइम ग्राफ लो
-- चुनाव के दौरान सिटी में गिर गया क्राइम ग्राफ
-- क्रिमिनल या तो गए जेल या फिर हो गए चुनाव में बिजी BAREILLY: सिटी पूरी तरह से चुनावी समर में रम गई है। हर तरफ सिर्फ चुनाव से जुड़ी बातें ही रही हैं। पुलिस-प्रशासन मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का पालन कराने में लगा हुआ है, लेकिन इस चुनाव में एक खास बात यह भी है कि क्रिमिनल्स पर भी स्वयं ही कोड ऑफ कंडक्ट लग गया है। यही वजह है कि सिटी में क्राइम सिर्फ ना के बराबर ही रह गया है। इसके पीछे की वजह अलग-अलग हैं, लेकिन क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि क्रिमिनल्स पर यह कोड ऑफ कंडक्ट हमेशा ही लागू रहे और बरेलियंस हमेशा चैन की नींद सोएं। लगातार हो रही थीं वारदातेंसिटी में चुनावी बिगुल बजने से पहले लगातार क्राइम होता रहा। शायद ही कोई ऐसा दिन गया होगा, जिस दिन कोई बड़ी वारदात सिटी में ना हुई हो। लूट-चोरी की वारदात आम हो गई थी। लोगों का जीना मुहाल हो गया था। छेड़खानी की वारदातें भी लगातार हो रही थीं। पुलिस के तमाम प्रयास भी बेकार जा रहे थे। यही नहीं मर्डर की वारदातें भी लगातार हो रही थीं। पुलिस के रिकॉर्ड पर ही गौर करें तो साल 2013 में 110 मर्डर की वारदातें हुई थीं। नाइट चेकिंग, वाहनों की चेकिंग, समेत कई प्रयास भी क्राइम कंट्रोल के लिए किए गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
मार्च में दो वारदात लोकसभा इलेक्शन चुनाव की घोषणा पांच मार्च को हुई, लेकिन इसकी तैयारी पहले से ही कर दी गई थी। यही वजह रही कि डेट घोषित होने से पहले ही इसका असर दिखने लगा। क्राइम अपने आप कंट्रोल होने लगा। लूट, मर्डर व छेड़खानी की वारदातें ना के बराबर ही रह गई। मार्च माह में सिर्फ दो मर्डर की वारदातें हुई। एक मामले में सुभाषनगर में जमीनी विवाद में पूर्व फौजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई तो दूसरे मामले में बारादरी में भाजपा नेता की हत्या कर दी गई। दोनों ही मामलों में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। चुनाव में बिजी हैं क्रिमिनल्सचुनाव के दौरान क्राइम ग्राफ अक्सर गिर जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह क्रिमिनल्स का चुनाव में इंवाल्व हो जाना है। चुनाव से पहले क्रिमिनल अपने खर्चे के लिए वारदातों को अंजाम देते हैं, लेकिन चुनाव के समय वे प्रत्याशियों से खर्च निकलना स्टार्ट कर देते हैं। हर कोई किसी ना किसी पार्टी के कैंडीडेट के चुनाव प्रचार में जुड़ जाता है। इस दौरान उसे खाने के साथ-साथ पीने को भी मिलता है। कुछ को तो अन्य खर्च भी मिलता है। साथ ही चुनाव प्रचार में लगे होने के चलते पकड़े जाने का भी डर नहीं रहता है।
पुलिस की सख्ती भ्ाी है वजह वहीं क्राइम ग्राफ कम होने की दूसरी वजह पुलिस-प्रशासन की सख्ती भी है। चुनाव में आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके लिए जगह-जगह पुलिस व मजिस्ट्रेट की टीमें चेकिंग के लिए लगी होती हैं। इससे क्रिमिनल्स को डर रहता है कि कहीं चेकिंग में वो पकड़े ना जाए। इसके अलावा चुनाव से पहले ही पुलिस क्रिमिनल्स पर लगाम कसना स्टार्ट कर देती है। बरेली एसएसपी ने भी चुनाव से पहले दस साला क्रिमिनल्स का रजिस्टर तैयार कराया। वारंटियों की गिरफ्तारी कराई। इसके अलावा मुचलकों के तहत पाबंद करना भी स्टार्ट कर दिया। लाइसेंसी असलहों को जमा करने के साथ-साथ अवैध हथियारों की भी धरपकड़ तेज कर दी। अवैध शराब की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई। ये हुई कार्रवाई 112 अवैध असलहे पकड़े गए 14031 लाइसेंसी असलहे जमा कराए 30,160 लोग मुचलकों में पाबंद किए गए45 हजार लोगों को 1077/क्क्म् का नोटिस भेजा गया
चुनाव के दौरान पुलिस की सक्रियता ज्यादा बढ़ जाती है। घर-घर जाकर चेकिंग की जा रही है। वारंटियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ नोटिस भेजे जा रहे हैं और लोगों को मुचलके के तहत पाबंद किया जा रहा है। इसी के चलते क्राइम कंट्रोल में रहता है। - डॉ। एसपी सिंह, एसपी क्राइम