अस्पताल संचालकों के साथ ही जिम्मेदार भी बरत रहे लापरवाही

(बरेली ब्यूरो)। यदि आप अपना या किसी संबंधी का उपचार कराने के लिए अस्पताल जा रहे हैं तो जरा सावधान रहिएगा। क्योंकि शहर में कई नामी अस्पताल ऐसे हैं, जहां फायर सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। यहां यदि कभी आग लगने की घटना घटी तो आपकी जान को खतरा हो सकता है। इसलिए आप जिस हॉस्पिटल में जा रहे हैं तो सबसे पहले वहां फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच कर लें। ताकि यदि वहां डीडीपुरम स्थित लूथरा टावर जैसे हादसा हो जाए तो स्थिति को तुरंत काबू किया जा सके। रविवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के चार नामी हॉस्पिटलों का रियलिटी चेक किया तो दो अस्पतालों में खामियां ही खामियां मिलीं। वहां पर मरीजों की जान की न तो हॉस्पिटल संचालकों को परवाह है, न ही जिम्मेदार अधिकारी इन हॉस्पिटलों में जाकर निरीक्षण करते हैं।
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केस.1
अस्पताल: ईशान हॉस्पिटल
समय: दोपहर 12:40 बजे

फायर एक्सटिंग्यूसर ही गायब
हमारी टीम विकास भवन रोड स्थित ईशान हॉस्पिटल पहुंची तो पाया कि सभी फायर एक्सटिंग्यूसर्स की रिफिलिंग की डेट निकले चार दिन हो चुके है। हॉस्पिटल संचालक की घोर लापरवाही तो तब सामने आई, जब देखा कि इमरजेंसी वार्ड के बाहर लगा फायर एक्सटिंग्यूसर ही गायब था। सिर्फ वहां पर लिखा था अग्निशमन यंत्र और फायर एक्सटिंग्यूसर की एक छायाप्रति लगी थी। सोचिए यदि लूथरा टावर जैसा हादसा हो जाए तो क्या होगा। अस्पताल संचालक तो मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर ही रहे हंै। अधिकारी भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे।

वर्जन
फायर एक्सटिंग्यूसर रिपलेसमेंट की बात ऑलरेडी चल रही है। होली के अवकाश के चलते नहीं हो पाया था। जल्द ही एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्यूसर रिप्लेस करा दिए जाएंगे।
-डॉ। कौशल कुमार, ईशान हॉस्पिटल


केस.2
अस्पताल : गंगाशील
समय : दोपहर 1:35 बजे

एक माह पहले रिफिल होना था एक्सटिंग्यूसर
डीडीपुरम स्थित गंगाशील अस्पताल में भी कई खामियां नजर आईं। अस्पताल में फायर सेफ्टी को लेकर उपकरण तो पाए गए। लेकिन, उनमें से कई फायर एक्सटिंग्यूसर की रिफिलिंग डेट की पर्ची ही हटी मिली। इसके अलावा इमरजेंसी वार्ड के बाहर लगे फायर एक्सटिंग्यूसर की रिफिलिंग की डेट फरवरी 2022 की थी। ऐसे में यदि किसी कारणवश आग जैसा हादसा हो जाए तो क्या ऐसे एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्यूसर अपना काम कर पाएंगे।

वर्जन
मेरे पास फायर एनओसी है। फायर एक्सटिंग्यूसर की एक्सपायरी डेट को लेकर जानकारी नहीं है। आज ही दिखवाता हूं।
डॉ। निशांत, संचालक गंगाशील अस्पताल

केस 3
अस्पताल : साईं हॉस्पिटल
समय : दोपहर 2:35 बजे

यहां नहीं मिली कोई खामी
स्टेडियम रोड स्थित साई हॉस्पिटल में सभी फायर सेफ्टी नॉम्र्स उपलब्ध मिले। इसके अलावा फायर एक्सटिंग्यूसर की रिफिलिंग डेट चेक की तो वह काफी शेष मिली। साथ ही अस्पताल में अन्य फायर सेफ्टी उपकरणों का भी रियलिटी चेक किया तो सभी दुरुस्त पाए गए।

वर्जन
फायर सेफ्टी को लेकर हम काफी जागरूक हैं। क्योंकि अस्पताल में मरीज जीवन की आस लेकर आते हैं। यदि अस्पतालों में ही लोग हादसे का शिकार हो जाएं तो लोग उपचार कराने आने से कतराने लगेंगे।
डॉ। शरद, संचालक, साईं हॉस्पिटल

केस .4
फायर सेफ्टी उपकरण मिले दुरुस्त
डीडीपुरम स्थित केके हॉस्पिटल में जब टीम पहुंची तो अस्पताल में सभी फायर सेफ्टी उपकरण दुरुस्त मिले। इसके अलावा फायर एक्सटिंग्यूसर की रिफिलिंग डेट भी अभी एक वर्ष शेष है। साथ ही अस्पताल में अन्य फायर सेफ्टी उपकरण भी सही अवस्था में पाए गए।

वर्जन
अस्पतल के फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर हम काफी सतर्क रहते हैं। अस्पतल का कामकाज मेरा बेटा डॉ। सुधांशु कथूरिया देखता है। यदि उसे किसी तरह की कोई कमी मिलती है तो उसे तत्काल प्रभाव से ठीक करवा देता है।
-डॉ। सुनील कथूरिया, संचालक, केके हॉस्पिटल

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फायर एक्सटिंग्यूसर रिफिल कराने के नियम

सीएफओ चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि पाउडर वाले फायर एक्सटिंग्यूसर का एक्सपायरी समय सीमा 3 वर्ष होती है। तीन वर्ष के बाद उसे रिप्लेस करा लेना चाहिए। यदि यदि तीन वर्ष से पहले यदि उसका प्रेशर कम हो जाए तो उसे हाइड्रो टेस्ट कराना चाहिए। साथ ही सीओटू वाले फायर एक्सटिंग्यूसर के एक्सपायर होने का समय पांच वर्ष है।

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लूथरा टावर हादसे के बाद से लगातार संस्थानों के ओनर्स के साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा हादसा न हो। इसके बाद भी लोग अवेयर नहीं हो रहे है। जल्द ही ऐसे लोगों और संस्थानों को चिह््िनत किया जाएगा जो फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
चंद्रमोहन शर्मा, सीएफओ

फैक्ट एंड फिगर
04 नामी हॉस्पिटलों का किया रियलिटी ऑपरेशन
02 अस्पतालों में मिला फायर सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन

Posted By: Inextlive