कोशिश घर से हो तो बन जाए कुछ बात
-घर से ही अगर प्लास्टिक को कर दिया जाए अलग
-अवेयरनेस और आलस की कमी के चलते ऐसा नहीं करते बरेलियंस BAREILLY:शहर में प्लास्टिक वेस्ट बड़ी मुसीबत है। यह तय है, लेकिन अगर थोड़ी-थोड़ी शुरुआत भी कर दी जाए तो फिर बात बन जाए। करना ज्यादा कुछ नहीं है बस, थोड़ी सी अवेयरनेस और थोड़ी सी मेहनत मिलकर काम बना सकती है। क्योंकि हर बात के लिए प्रशासन का मुंह ताकना भी ठीक नहीं है। क्योंकि यह बात प्रशासन के बस की नहीं है। अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए की शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सालों से बंद पड़ा हुआ है। वहीं इंसीनरेटर का भी कैपेसिटी के लिहाज से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। एक कुंतल प्लास्टिक होती है डिस्पोजशहर में परसाखेड़ा व सिटी शमशान में नगर निगम के इंसीनेटर लगे हुए हैं। निगम के अधिकारी बताते हैं कि इन दोनों ही इंसीनेटर में एक कुंतल प्लास्टिक का डिस्पोज किया जाता है। जबकि इन दोनों ही इंसीनेटर की कैपेसिटी क्भ् कुंतल से ज्यादा प्लास्टिक डिस्पोज करने की है। चिंता की बात यह है कि इस शहर में वर्तमान में करीब क्8 कुंतल से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट निकलता है।
आरएनडी की जरूरतप्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक शहर में रिसाइकिल प्लास्टिक से बनाए गए आइटम्स को एक बार से ज्यादा यूज नहीं करना चाहिए। क्योंकि, रिसाइकिल प्रोडक्ट से बनाई गई चीजों को दोबारा से रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है। वह ब्0 मॉइक्रॉन से कम हो जाती हैं। पीसीबी के साइंटिस्ट के अनुसार रिसाइकिल प्लास्टिक वेस्ट से सड़क व अन्य सामानों को बनाने के लिए रिसर्च की जरूरत है।
छोटी कोशिश से मिल जाएगा बड़ा रिजल्ट - शॉपिंग के लिए जाते समय घर से कैरी बैग लेकर जाएं। - शॉपकीपर्स को पॉलीथिन बैग की बजाय कपड़े अथवा कागज के बैग्स की डिमांड करें। - घरों में प्लास्टिक का यूज दिन प्रतिदिन कम करने का प्रयास करें। - प्लास्टिक वेस्ट को दोबारा से यूज करने की बजाय कबाड़ी अथवा सफाई कर्मचारी को सौंप दें। - प्लास्टिक वेस्ट को घर के कूडे़ कचरे से अलग रखें। बाक्स---- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लानकूड़ा निस्तारण के लिए परसाखेड़ा में बनाए गए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट केवल दिखावा बनकर रह जाएगा। प्रशासन के प्रयासों के बावजूद भी इसमें कूड़ा का निस्तारण नहीं हो रहा। हाल ही में त्रिशूल एअरबेस ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर प्लांट को चालू करने की रिक्वेस्ट की थी। रक्षा मंत्रालय ने प्रशासन को पत्र लिखकर प्लांट को जल्द शुरू कराने की अपील भी की, लेकिन मामला जस का तस ही रहा।
प्लास्टिक वेस्ट को इंसीनरेटर पर डिस्पोज किया जा रहा है। लेकिन लोगों की सहभागिता कम है, जिससे प्रतिदिन निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट का पूरी तरह निस्तारण नहीं हो पा रहा है। डॉ। एसपीएस सिद्धू, नगर स्वास्थ्य अधिकारी रिसाइकिल प्लास्टिक वेस्ट को रियूज करके सड़क बनाई जा सकती है। लेकिन इसे बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत है। आरके त्यागी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पहले पॉलीथिन बैग्स ही यूज करते थे, लेकिन अब शॉपिंग के लिए घर से ही कैरी बैग लेकर निकलते हैं। लोगों को प्लास्टिक को नो कहना होगा। अस्मिता, स्टूडेंट प्लास्टिक को नहीं कहने की हिदायत निगम कर्मचारियों की ओर से दी जा रही है। साथ ही प्लास्टिक वेस्ट और कचरे को अलग करने की रिक्वेस्ट भी करते हैं। दानिश, आर्टिस्ट