Pet lovers turns into pet breeders
हर साल 2000 नए pet loversपिछले 5 सालों में सिटी में पेट लविंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। पेट्स को लेकर बरेलियंस में जबरदस्त क्रेज देखने को मिल रहा है। पेट्स एक्सपर्ट ने बताया कि शहर में हर साल करीब 2000 नए पेट लवर्स सामने आ रहे हैं। इनमें भी पपीज को लेकर स्पेशल दीवानगी है। खुद को इंटरटेन करने से लेकर घरों की सिक्योरिटी तक के लिए बरेलियंस पेट्स पर जेब खोलकर अपना प्यार जाहिर कर रहे हैं। सिचुएशन तो ये है कि अब ये शौक स्टेटस सिंबल भी बन गया है।Imported puppies की demand
पेट लविंग की हदों नेअपने आगे सरहदों को भी बौना साबित कर दिया है। पेट लवर्स में इंपोर्टेड पपीज की डिमांड जबरदस्त बढ़ी है। अपने इस प्यार और शौक पर बरेलियंस 50 हजार से एक लाख रुपए तक खर्च करने से भी गुरेज नहीं कर रहे। किसी समय जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर पपीज की चाहत रखने वाले लोग अब एग्रेसिव, इंटेलिजेंट और फन लविंग रॉट वाइलर, ग्रेट डेन और सेंट बर्नाड जैसी ब्रीड्स को प्रिफर कर रहे हैं। पंजाब और दिल्ली की पेट एजेंसियां ऑस्ट्रेलिया और रशिया से पेट्स इंपोर्ट कर डिमांड फुलफिल कर रही हैं।Pair में ले रहे puppies
पेट लविंग के शौक ने कई लोगों को प्रोफेशनल पेट ब्रीडर्स बना दिया है। दरअसल सिटी में बेहतरीन ब्रीड के पपीज की डिमांड है। इसलिए शुरुआत में शौकिया पेट लवर्स रहे लोगों ने इस डिमांड को पूरा करने के लिए पपीज को पेयर में लेना शुरू कर दिया। साल भर में मेटिंग के लिए तैयार हो जाने पर पेयर की ब्रीडिंग कराई जाती है। इनके बच्चों को पेट लवर्स 2 से 20 हजार रुपए तक में हाथों-हाथ ले रहे हैं। वहीं इंपोर्ट किए गए पपीज के लिए लाख डेढ़ लाख रुपए खर्च करना भी पेट लवर्स के लिए नॉर्मल है।दी जाती है proper guidence
अगर आप प्रोफेशनल पेट ब्रीडर या फिर शॉप से पेट ले रहे हैं तो आपको पहले उनकी पसंद की ब्रीड की गाइडेंस दी जाती है। इसमें पेट लवर्स की जरूरत को समझा जाता है। उन्हें इंटरटेनमेंट के लिए ट्वॉय ब्रीड जैसे चाइनीज पग, पॉमेरियन और घर की सिक्योरिटी के लिए लार्ज ब्रीड जैसे डोबरमेन, जर्मन शेफर्ड व ग्रेटडेन ब्रीड सजेस्ट की जाती है। इसके बाद अगर वे पेट्स का बिजनेस करना चाहते हैं तो उनकी पसंद की ब्रीड में बेहतर कैटेगरी का सेलेक्शन कराया जाता है। इसके बाद पपीज की कीमत पर सेलेक्शन होता है, जिसमें कई बार फ्री से लेकर 20 हजार तक में डील फाइनल होती है।'डॉग्स वाली मैडम' के नाम से famousसदर में रहने वाली मंजू सिंह वहां के पूरे एरिया में डॉग्स वाली मैडम के नाम से फेमस हैं। इसकी वजह से उनका अपने 19 पेट्स के लिए प्यार। मंजू सिंह के पास पॉमेरियन और भोटिया नस्ल के कुल 19 पेट्स हैं। दो साल पहले तक इनकी तादाद 27 थी। अपनी औलाद न होने पर मंजू सिंह और उनके पति लेट अशोक कुमार सिंह ने अपना सारा प्यार इन्ही बेजुबानों पर उड़ेल दिया। इन सभी को प्यार से वह अपने बच्चे ही कहती हैं। किटी, रिक्कल, पप्पी, टिंगू, माउ, डॉन, टैडी और जिम्मी नाम पुकारने पर सारे उन्हें घेर कर बैठ जाते हैं। अपने बच्चों के लिए मंजू ने इनके कमरे में एसी और म्यूजिक सिस्टम तक लगावाए हैं। मंजू ने बताया कि वे अपने पेट्स के पपीज को एक से ढाई हजार रुपए में सेल करती हैं। बेहद जरूरी है इनकी care
पेट्स को प्यार के साथ ही पैसे से जोड़कर पालने वाले तमाम पेट ब्रीडर्स को कई अहम बातों का ख्याल रखना पड़ता है। प्रोफेशनल पेट ब्रीडर्स को अपने पेट्स के रहने, खाने, उनके बिहेवियर और मेडिकल चेकअप्स पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होता है। पेट्स को प्रॉपर डॉग फूड ही डाइट में देना चाहिए, हर तीन महीने में डॉक्टर से उनका चेकअप कराना जरूरी है, साथ ही रेग्युलर टाइम पीरियड में उन्हें जरूरी वैक्सीन और एक्रीसाइड ट्रीटमेंट देना कंपल्सरी है। ठंडे एरियाज से जुड़े पेट्स को एसी अवेलबेल कराना होता है। वही ब्रीडिंग के लिए उनके मेटिंग पार्टनर से लेकर उनकी प्रेग्नेंसी तक में पेटब्रीडर्स को बेहद कॉन्शस व अवेयर रहना होता है।घर-घर में pet breeders
मुंशीनगर में रहने वाली लता ठाकुर प्रोफेशनली पेट ब्रीडर हैं। पिछले तीन सालों में उन्होंने करीब 15 पपीज सेल किए हैं। लता ठाकुर के पास जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, चाइनीज पग और सेंट बर्नाड ब्रीड के पेट्स हैं। इनमें तमाम डॉग शोज में अवॉर्ड जीतने वाला सेंट बर्नाड ब्रीड का मार्शल भी है। लता ठाकुर ने एक महीने पहले ही दिल्ली की एक एजेंसी के जरिए रशिया से सेंट बर्नाड ब्रीड के दो पेट दो लाख रुपए में खरीदे हैं। लता की प्लानिंग इस पेयर से ब्रीडिंग करवा इनके बच्चों को दिल्ली में बेचने की है। हर पपी की कीमत करीब 25-35 हजार रुपए तक होगी। लता कहती हैं कि अब फीमेल पेट की डिमांड बढ़ गई है। लोग अब पेट ब्रीडिंग के जरिए बिजनेस जो करने लगे हैं। घर-घर में पेट ब्रीडर्स हो गए हैं, जिससे पेट्स की कीमत में कमी आई है। साथ ही परफेक्ट ब्रीडिंग कराने में सावधानी न बरतने पर कमजोर नस्ल के पेट्स भी पैदा हो रहे हैं।