परफेक्ट लीडर आधी आबादी की पहली पसंद
-- इलेक्शन में अहम भागीदारी निभाने को शहर तैयार
-- डेवलेपमेंट का मुद्दा और स्वच्छ नेता प्रियॉरिटी परBAREILLY: लोकसभा इलेक्शन की दस्तक ने देश भर में एक बार फिर चुनावी माहौल बना दिया है। बदलाव और विकास के मुद्दे पर एक ओर जहां राजनीति के धुरंधर एक दूजे पर चुनावी हमलों में तेजी ला रहे हैं। वहीं पॉलिटिक्स के पारखी भी अपनी समझ से चुनावी रूख का अंदाजा लगाने में मशगूल हैं। नए वोटर्स को लुभाने में पॉलिटिकल पार्टीज से लेकर इलेक्शन कमीशन तक अपना जोर लगाए हुए है। इन सबके बीच बेहद खामोशी के साथ शहर की आधी आबादी भी इस इलेक्शन में अपनी भागीदारी निभाने को तैयार है। हाउस वाइव्स मौका मिलते ही अपनी हल्की फुल्की बातों में इलेक्शन और नई सरकार से जुड़े मुद्दों और उम्मीदों पर चर्चा भी कर रही हैं। राजेन्द्र नगर में ममता खत्री के घर पर चाय की चुस्कियों पर इस चुनावी चर्चा में शामिल हाउस वाइव्स का आईनेक्स्ट ने जाना नजरिया।
आम पब्लिक के बीच जाएं नेतापिछले नौ सालों में बरेली में रह रही ममता खत्री ने नेताओं की नीयत से चुनावी चर्चा शुरू की। उन्होंने कहा कि देश में जो भी पॉलिटिकल लीडर हैं, वह महज इलेक्शन तक ही पब्लिक के बीच में अपनी मौजूदगी दिखाते हैं। इलेक्शन जीतने के बाद उनका समय आम पब्लिक की प्रॉब्लम्स सुलझाने के लिए नहीं मिलता। इलेक्शन में हमें ऐसे लीडर्स को ही चुनना होगा, जो बाद में भी पब्लिक के बीच में जाएं। ऐसे लीडर्स जो हर किसी की प्रॉब्लम को सिर्फ सुनने के लिए ही नहीं उसे सुलझाने में भी पूरी हेल्प करें।
परफेक्ट हो लीडर ममता की बात को काटते हुए राज छाबरिया ने अपने लीडर की क्वालिटी में परफेक्ट होने की शर्त भी जोड़ दी। राज छाबरिया ने कहा कि लीडर हर तरह से परफेक्ट होना चाहिए। वह सभी को एक जैसा तो समझे ही, उसमें सिस्टम को चलाने की स्किल्स और लापरवाही करने वालों पर स्ट्रिक्ट होने की काबिलियत भी होनी चाहिए। वह खुद भी जागरूक हो और पब्लिक को भी विकास व सुधार के मामले में अवेयर करें। उसमें ईमानदारी से काम करने और करप्शन को कंट्रोल करने की भी ताकत होनी चाहिए। जो वादा करें उसे पूरा भी करें। वीमेन सेफ्टी पर उठे कारगर कदमलीडर्स इमेज पर चल रही चर्चा पर ब्रेक लगाते हुए मीरा देवल ने देश भर में महिलाओं की सेफ्टी का सवाल दागा। हल्के नाराज मूड में बोलते हुए मीरा देवल ने कहा कि महिलाओं की सेफ्टी के कहीं भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। गर्ल्स के लिए तो हालात और भी बदतर हैं। बेटियों को घर से बाहर अकेले भेजने पर डर लगता है। उन पर घर से लेकर सोसाइटी की तमाम पाबंदी लगाई जाती है, जबकि क्राइम में शामिल लड़कों पर कोई कंट्रोल नहीं। शहर में भी वीमेन के खिलाफ क्राइम को रोकने में सरकार से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन तक कुछ नहीं कर पाए।
महंगाई ने तोड़ी कमर मीरा की बात को सपोर्ट करते हुए रिचा अग्रवाल ने कहा कि सिर्फ महिलाओं की सेफ्टी ही नहीं महंगाई भी हमारे लिए परेशानी का सबब है। एलपीजी के दाम हो या राशन, किचन से लेकर बाजार तक हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। पिछले कुछ सालों में जबरदस्त महंगाई बढ़ी है। हम अच्छी फैमिली से हैं, इसके बावजूद महंगाई ने टेंशन दी है। गरीब लोग कैसे इस महंगाई में अपने बच्चों को पालने और उनकी एजुकेशन का खर्चा उठा पाते होंगे यह सोचा जा सकता है। रिचा की बात पर मीरा और ममता ने भी हामी भरी और नई सरकार से इस ओर ध्यान देने की उम्मीद जताई। शहर की सफाई पर हो कामचर्चा में शामिल सबसे उम्रदराज और अनुभवी म्भ् साल की कौशल्या देवी ने भी शहर की हालत पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि एक समय था जब बरेली में बहुत कम जगह गंदगी के ढेर देखने को मिलते थे, वरना पूरा शहर बेहद साफ सुथरा रहता था, लेकिन समय के साथ शहर की सफाई का हाल भी गंदा हो गया। सुविधाएं तो बढ़ी पर साथ ही हर ओर गंदगी के ढेर भी लग गए। इस बार चुनाव में वह नेता आना चाहिए जो शहर की सफाई की ओर भी ध्यान दें। जो शहर की साफ सुथरी तस्वीर को एक बार फिर लोगों के सामने ला सकें।