बस सैंपल लेने भर में एक्शन में रहता है एफएसडीए
- पिछले साल भेजे गए 319 सेंपल में से 234 की ही आई रिपोर्ट
BAREILLY: मैगी जैसे प्रोडक्ट में खतरनाक केमिकल मिले होने की पुष्टि के बाद अब हड़कंप मचा हुआ है। लोगों का भरोसा इस कदर टूट गया है कि वह कोई भी पैक्ड फूड खरीदने पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। आलम यह है कि मार्केट में तमाम प्रोडक्ट की सेल पर भी लोगों की इस दहशत का सीधा असर आया है। हालांकि इसका सिंपल का कारण यह है कि जिस विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वह खानापूर्ति करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर लेता है। यहीं कारण है कि मार्केट में 'जहर' बेच रहे लोगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। दीपावली-होली तक सिमटी जांचएफएसडीए के पास जिम्मेदारी है कि मार्केट में जितने भी फूड प्रोडक्ट बिक रहे हैं, वक्त-वक्त पर उनकी क्वालिटी चेक करे, लेकिन विभाग की हालत यह है कि दीपावली और होली में मिठाई, खोआ और दूध से आगे ही नहीं बढ़ पा रहा है। बताते हैं कि विभाग अपना ज्यादातर अभियान होली-दीपावली में चलाकर मिठाईयों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज देता है। जबकि पैक्ड फूड के सैंपल वह आमतौर पर नहीं लेता है। संभवत यही कारण है कि पैक्ड फूड के नाम पर सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।
एक साल में लिए गए फ्क्9 सैंपल एफएसडीए ने पिछले साल के फाइनेंशियल ईयर में फ्क्9 सैंपल लिए गए। इन सैंपल को जांच के लिए लखनऊ लैब भेजा गया। फाइनेंशियल ईयर खत्म हुए दो महीने से ज्यादा बीत गए, लेकिन अभी तक इन सैंपल में से सिर्फ ख्फ्ब् की रिपोर्ट ही आई है। जबकि बाकी सैंपल की रिपोर्ट का विभाग इंतजार कर रहा है। इस रिपोर्ट में 8फ् सैंपल हुए। जिसमें से 7भ् से जुर्माना वसूला गया। बाकी का क्या? पूछने पर अधिकारी बताते हैं कि उन मामलों में कार्रवाई प्रोसेस में है। पांच हजार से ज्यादा फूड प्रोडक्ट विभाग की वर्किंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में पांच हजार से ज्यादा फूड प्रोडक्ट बिक रहे हैं, लेकिन विभाग के सैंपलिंग की लिस्ट को देखा जाए तो ज्यादातर मिठाई, दूध व इस तरह की खुली चीजों के ही ज्यादा ही है। पैक्ड फूड आयटम में विभाग का ध्यान ही नहीं जाता है। वह इसके नाममात्र के सैंपल भी नहीं लेता है। यहीं कारण है कि बिना किसी डर के लोग पब्लिक की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।मैगी मामले के बाद टूटी नींद
नियमत: लैब में सेंपल के बाद क्भ् दिन के अंदर जांच रिपोर्ट आ जानी चाहिए। लेकिन, वर्तमान समय में जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन महीने तक का समय लग रहा है। जोकि, मिलावट खोरों के खिलाफ समय पर कार्रवाई न हो पाने का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। हालांकि, पूरे देश लेबल पर मैगी का मामला उछलने पर एफएसडीए ने सिर्फ मई महीने में ही ब्भ् सैंपल ले चुका है। जबकि, अप्रैल ख्0क्भ् में मात्र ख्0 सैंपल ही लिए गए थे। जिन्हें लैब जांच के लिए भेज दिया गया है। हालांकि, अप्रैल और मई में लैब भेजे गए सेंपल की जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। मैगी के 8 सैंपल लिए गए मैगी के खिलाफ मामला गरमाने के बाद विभाग थोड़ा बहुत एक्टिव हुआ है। अधिकारियों ने मैगी के 8 सैंपल अभी तक लिए है। जिनको जांच के लिए लखनऊ लैब भेज दिए गया है। अधिकारियों ने बताया कि मैगी कंपनी के सभी प्रोडक्ट जैसे वेज आटा नूडल्स, ओट्स नूडल्स और चिकन नूडल्स सभी के सैंपल लिया गया है। तो दायर होता है केसअधिकारियों ने बताया कि, जो भी रिपोर्ट निगेटिव आती है उस मामले में केस दायर किया जाता है। अनसेफ रिपोर्ट आने पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट और बाकी मामला एडीएम सिटी के यहां दर्ज होता है। केस की सुनवाई के बाद जो भी निर्णय होता है उसके मुताबिक, संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। एफएसडीए के रूल्स के मुताबिक, दोषी व्यक्ति पर मैक्सिमम क्0 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
होना चाहिए लाइसेंस एफएसडीए रूल्स के मुताबिक, खाद्य सामाग्री बेच रहे व्यक्ति को लाइसेंस लेना अनिवार्य है। लाइसेंस के लिए दुकान का अड्रेस प्रूफ, वोटर आईडी होना जरूरी है। संबंधित व्यक्ति को ऑफिस से चालान लेकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। मूल फाइल ऑफिस में देकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। रजिस्ट्रेशन फीस क्00 रूपए है। जबकि, लाइसेंस फीस ख् हजार से लेकर साढ़े सात हजार रूपए है। बॉक्स वर्ष ख्0क्ब्-ख्0क्भ् - टोटल फ्क्0 सेंपल लिए गए। - ख्फ्ब् सेंपल की रिपोर्ट आयी। - 8फ् सेंपल निगेटिव पाए गए। - 7भ् लोगों पर भ्,भ्म्,000 रुपए का जुर्माना। - 8भ् सेंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है। वर्ष ख्0क्भ्-ख्0क्म् अप्रैल - ख्0 सेंपल लिए फ्8 के खिलाफ केस दर्ज। मई - ब्भ् सेंपल लिए गए इनमें से 8 मैगी के सेंपल शामिल है। बरेली डिस्ट्रिक्ट के कर्मचारियों की संख्याखाद्य सुरक्षा अधिकारी - भ्
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी - क् विभागाध्यक्ष - क् । सैंपल लिए जाने का काम पूरे साल होता है। कच्चे खाद्य पदार्थ को प्रतिरक्षक के साथ लैब भेजा जाता है। ताकि, प्रोडक्ट का जिस कंडीशन में सैंपल लिया गया है वह उसी कंडीशन में पड़ा रहे। अजय कुमार जायसवाल, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी सैंपल, सेंपल