यूपी पीसीएस का नया पैटर्न रास नहीं आ रहा स्टूडेंट्स को
करीब 43 परसेंट स्टूडेंट्स ने छोड़ा एग्जाम
नए पैटर्न के बदलाव के फेवर में हैं स्टूडेंट्स BAREILLY: यूपीपीएससी में नया पैटर्न 2012 में लागू हुआ था। स्टूडेंट्स अभी भी इस नए पैटर्न से अभ्यस्त नहीं हो पाए हैं। वे इसमें बदलाव के फेवर में हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि इससे यूपी बोर्ड और शुद्ध रूप से हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। नए पैटर्न से हो रहा मोहभंग ही शायद स्टूडेंट्स की कम होती संख्या का कारण है। संडे को कंडक्ट किए गए पीसीएस प्री 2014 में करीब 43 परसेंट स्टूडेंट्स गैरहाजिर रहे। पुराने पैटर्न के फेवर में हैं स्टूडेंट्सपीसीएस के एसपिरेंट्स पैटर्न में किए गए बदलाव के बिल्कुल भी फेवर में नहीं हैं। वे पुराने पैटर्न को बेहतर मानते हैं। स्टूडेंट्स का इसको लेकर अपना-अपना तर्क है। जो विशुद्ध रूप से हिंदी भाषी हैं उन्हें इसे क्वालीफाई करने में काफी दिक्कत हो रही है। स्टूडेंट्स का कहना है कि नए पैटर्न में यह मालूम ही नहीं चलता कि कौन सा सब्जेक्ट कितने मार्क्स का आएगा। सीसैट वाले पोर्शन में मैथ्स, साइंस, इंग्लिश और हिंदी, रीजनिंग के क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा इंग्लिश पर जोर दिया जा रहा है। स्टूडेंट्स इसी बात से खफा हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि कॉम्प्रिहेंसन के क्वेश्चंस काफी डिफिकल्ट आते हैं। सब्जेक्ट हटा दिया गया है, जिससे सबसे ज्यादा ह्यूमैनिटी वाले स्टूडेंट्स को नुकसान हो रहा है। यूपी बोर्ड के जो स्टूडेंट्स हैं वे अपने सब्जेक्ट पर मजबूत पकड़ बनाकर इसे क्वालीफाई कर लेते थे, लेकिन सब्जेक्ट हटने से उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं इंग्लिश पर ज्यादा जोर होने की वजह से और मैथ्स व साइंस के क्वेश्चंस पूछे जाने से सीबीएसई बोर्ड से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को ज्यादा फायदा पहुंच रहा है। वहीं इन क्वेश्चंस का हिंदी अनुवाद इतना डिफिकल्ट होता है कि हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को भी क्वेश्चंस समझ में नहीं आते। स्टूडेंट्स का मानना है कि यह पोर्शन तब और ईजी हो जाता जब मार्क्स के हिसाब से यह संतुलित होता।
8,500 स्टूडेंट्स रहे अब्सेंट सिटी के 31 कॉलेजेज के 39 सेंटर्स पर पीसीएस प्री का एग्जाम कंडक्ट कराया गया। इन पर करीब 18,560 स्टूडेंट्स को अपीयर होना था, लेकिन करीब 43 परसेंट स्टूडेंट्स गैरहाजिर रहे। करीब 8,500 स्टूडेंट्स अब्सेंट रहे। एग्जाम दो पालियों में कंडक्ट कराया गया। पहली पाली 9:30 से 11:30 बजे तक और दूसरी पाली शाम में 2:30 से 4:30 बजे तक एग्जाम हुआ। इंग्लिश के क्वेश्चंस सबसे ज्यादापीसीएस प्री के सीसैट वाले पोर्शन में सबसे ज्यादा क्वेश्चंस इंग्लिश से पूछे गए। यही बात स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा खली। खासकर हिंदी भाषी और यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स को। हिंदी के मात्र 15 क्वेश्चंस पूछे गए जबकि इंग्लिश के 26. मैथ्स से काफी कम क्वेश्चंस आए थे। इस पोर्शन में स्टूडेंट्स को रीजनिंग और डिसिजन मेकिंग के क्वेश्चंस ज्यादा ईजी लगे। वहीं सुबह की पाली में जनरल स्टडीज, हिस्ट्री और करेंट अफेयर्स से क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। इसमें स्टूडेंट्स को हिस्ट्री सबसे ज्यादा टफ लगी। स्टूडेंट्स का कहना था कि इस बार काफी पुरानी हिस्ट्री के क्वेश्चंस पूछे गए थे। वहीं करेंट अफेयर्स से भी दो-तीन वर्ष पहले तक के क्वेश्चंस पूछे गए थे।
फर्स्ट पोर्शन में हिस्ट्री के क्वेश्चंस काफी टफ थे। काफी पुरानी हिस्ट्री के क्वेश्चंस पूछे गए। अभी जो यूपी पीसीएस का जो पैटर्न है वह इंग्लिश मीडियम से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को ज्यादा फेवर करता है। अब जो पैटर्न है उसमें सब्जेक्ट का कोई मतलब ही नहीं है। - महेश कुमार, पीसीएस एसपिरेंटकरेंट अफेयर्स के क्वेश्चंस दो-तीन साल के पहले के थे। ऐसा अक्सर होता नहीं है। शाम की पाली के सीसैट वाले पोर्शन में सबसे ज्यादा खामी यह है, उसमें निश्चित नहीं रहता कि कौन से पार्ट के क्वेश्चंस कितने पूछे जाएंगे।
- सचिन कुमार, पीसीएस एसपिरेंट सेकेंड पाली में इंग्लिश के क्वेश्चंस ज्यादा पूछे गए। पिछले काफी समय से इंग्लिश पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। हम नए पैटर्न के बदलाव के फेवर में हैं। सीसैट से नुकसान ज्यादा हो रहा है। - किरण, एसपिरेंट सीसैट वाले पोर्शन में कुछ भी संतुलित नहीं है। यह मालूम ही नहीं चलता कितने मार्क्स का कौन से सब्जेक्ट के क्वेश्चंस पूछ लिए जाएंगे। इससे तैयारी पर असर तो पड़ता ही है। बाकी डिसिजन मेकिंग और रीजनिंग के क्वेश्चंस को हल करने में काफी मजा आया। - सतीश कुमार, एसपिरेंट । अव्यवस्थाओं से घिरे स्टूडेंट्स ने किया हंगामा - सामान की रखवाली के लिए जमकर वसूले गए रुपएBAREILLY: पीसीएस के एग्जाम में व्यवस्थाओं को लेकर जो डीएम ने दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनकी जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। स्टूडेंट्स को सेंटर्स पर काफी प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ा। काफी डिस्ट्रिक्ट्स के स्टूडेंट्स दूर से आए थे। अधिकांश ने सिटी में बीती सैटरडे रात को ही डेरा डाल लिया था। सेंटर्स पर उन्हें भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। पीने के लिए ना तो पानी की व्यवस्था थी और ना ही उनके सामान को रखने का समुचित इंतजाम। सामान की रखवाली के बदले कॉलेज में उनसे जमकर अवैध वसूली की गई। इसके विरोध में कई सेंटर्स पर खूब हंगामा भी हुआ। कई सेंटर्स पर स्टूडेंट्स ने देर से क्वेश्चन पेपर देने की भी कंप्लेन की है।
निशुल्क व्यवस्था के चुकाने पड़े दाम स्टूडेंट्स को जो एडमिट कार्ड दिया गया था उस पर साफ लिखा गया था कि स्टूडेंट्स को सामान जमा कराने, पीने का पानी मुहैया कराने जैसी फैसिलिटीज प्रोवाइड कराने के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क ना वसूला जाए। बावजूद उनसे जमकर वसूली की गई। बरेली कॉलेज में एक बैग के बदले ख्0 रुपए और एक मोबाइल को जमा कराने के बदले क्0 रुपए वसूले गए। यही नहीं अगर किसी स्टूडेंट ने अपने किसी साथी के बैग में मोबाइल रखवाया तो उससे भी जबरन मोबाइल जमा करने के रुपए वसूल लिए गए। स्टूडेंट्स ने किया हंगामा सामान के बदले शुल्क वसूले जाने को लेकर बरेली कॉलेज में सुबह एग्जाम देने आए स्टूडेंट्स ने हंगामा कर दिया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन करते हुए खूब नारेबाजी भी की। करीब आधे घंटे हंगामा चला। स्टूडेंट्स की व्यवस्था करने वालों के साथ काफी देर तक तीखी नोकझोंक हुई। मामला हाथापाई तक पहुंच गया। मौके पर मौजूद पुलिस भी कुछ नहीं कर पा रही थी। एग्जाम के लिए लेट होने पर स्टूडेंट्स विवाद को छोड़ सेंटर्स के अंदर चले गए। बीसीबी में भ् सेंटर बनाए गए थे। करीब ख्,भ्00 स्टूडेंट्स एग्जाम देने आए थे, लेकिन इनके लिए पीने की पानी की व्यवस्था नहीं थी। जबकि डीएम ने खुद निगम का टैंकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इसी सेंटर पर स्टूडेंट्स क्वेश्चन पेपर लेट मिलने की भी कंप्लेन की है। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स ज्यादा होने की वजह से एग्जाम लेट शुरू हुआ लेकिन ओमएमआर शीट टाइम पर ले लिया गया।