सैर सपाटा को निकल रहे लोग, कागजों में कोरोना जांच
- हफ्ते में महज तीन-तीन दिन हो रही बस अड्डों पर कोरोना जांच
- गैर राज्यों से शहर लौट रहे लोगों की नहीं हो रही जांच बरेली : शहर से सटे बदायूं जिले में हाल ही में दो युवकों में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि हुई है दोनों का इलाज राजकीय मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। बावजूद इसके शहर में अलर्टनेस नदारद नजर आ रही है। शहर की सड़कों पर भारी संख्या में वाहन नजर आ रहे हैं। वहीं कोरोना जांच के नाम पर बस खानापूरी की जा रही है। जंक्शन पर रात में जांच, सुबह सन्नाटा कोविड की थर्ड वेव को लेकर शासनादेश के अनुपालन में जंक्शन पर रात में हेल्थ विभाग की टीम पैसेंजर्स की आरटी-पीसीआर जांच कर रही हैं। वहीं, सुबह की ट्रेनों से आने वाले पैसेंजर्स का आवाजाही बिना जांच के ही जारी है।रोडवेज, सैटेलाइट पर हफ्ते में एक-एक दिन जांच
कोविड की सेकेंड वेव का असर कम होने के बाद शासन से मिली छूट के बाद बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ बाजारों में उमड़ रही है। ऐसे में पुराने रोडवेज और सैटेलाइट बस अड्डे पर भी पैसेंजर्स की संख्या में इजाफा हुआ है। लेकिन यहां कोरोना जांच सिर्फ हफ्ते में दो दिन की जा रही है। एक दिन टीम पुराने रोडवेज पर जांच को भेजी जा रही है वहीं अगले दिन सैटेलाइट बस स्टैंड पर कैंप लगातार जांच हो रही है।
सीमाओं पर बेखौफ लौटे रहे लोग शासन की ओर से छूट मिलने के बाद पहाड़ों पर घूमने के शौकीन लोग यहां से आरटी-पीसीआर जांच कराकर उत्तराखंड घूमने जा रहे हैं लेकिन वहां से लौटने के बाद सीमाओं पर बिना जांच के ही शहर लौट रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि अगर किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं और वह बिना जांच के ही अन्य लोगों के संपर्क में आता है तो कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा अधिक है। जंक्शन पर रात में टीमें जांच कर रही हैं, वहीं रोडवेज बस अड्डों पर जांच को टीमें भेजी जा रही हैं हालांकि मानव संसाधन की कमी के चलते अभी गैर प्रदेशों से लौटने वाले सभी की जांच नहीं हो पा रही है, जल्द टोल प्लाजा और सीमाओं पर जांच को टीमें लगाई जाएंगी। डॉ। अशोक कुमार, जिला सर्विलांस अधिकारी