Bareilly: पहले चरण के चुनाव होने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही लोगों की परेशानियां बढऩे का काउंट डाउन भी शुरू हो चुका है. रीजन बसों का इलेक्शन ड्यूटी में लगना. इससे पैसेंजर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


बढ़ाएंगे बसों के फेरे
बरेली डिपो के एआरएम राजेश यादव ने बताया कि हमारे पास पर्याप्त संख्या में बसें हैं। किसी भी रूट पर पैसेंजर्स को चुनाव के दौरान परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिन रूट्स पर अतिरिक्त बसों की जरूरत होगी। वहां बसों के फेरे बढ़ाकर प्रॉब्लम को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इनमें बरेली के अलावा पीलीभीत और बदायूं की बसें भी शामिल हैं। राजेश यादव ने बताया कि हम हर जगह से 45-45 बसें एडमिनिस्ट्रेशन को देंगे, ताकि किसी भी रूट पर बसों की कमी न हो. 
हालात बदतर होने की उम्मीद
ज्यादातर लोगों का कहना है कि हल्द्वानी जाने के लिए पहले ही रेलवे ने छोटी लाइन की ट्रेनों को बंद कर दिया है। उस पर भी अगर बसें भी चुनाव में लग गई तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे लेकिन अधिकारी दावे कर रहे हैं कि पैसेंजर्स को जर्नी में किसी भी तरह की प्रॉब्लम नहीं होगी। इससे आगे प्रॉब्लम इस बात की है कि उत्तराखंड में जब चुनाव होंगे तो वहां से आने वाली बसें यहां नहीं आएंगी। ऐसे में हो सकता है कि लोगों को सफर करना पड़े। इस पर एआरएम राजेश यादव ने कहा कि चुनाव के दौरान अगर एडमिनिस्ट्रेशन जिलों की सीमाओं को अगर सील भी करता है तो भी बसों को इससे फ्री रखा जाता है। उसके बाद भी प्रॉब्लम नहीं होगी।
बसों की जरूरत
पहले चरण के चुनाव में एडमिनिस्ट्रेशन ने बरेली रीजन से 176 बसों की मांग की थी। एआरएम नीरज अग्रवाल ने बताया कि उनमें से 15 बसें एडमिनिस्ट्रेशन को दी जा चुकी हैं। इनका इस्तेमाल एडमिनिस्ट्रेशन हाई सिक्योरिटी फोर्सेज को ले जाने के लिए करेगा. 
नहीं होगी problem
पैसेंजर्स ने बताया कि बसों की संख्या में कमी हो जाने से ट्रांसपोर्टेशन फैसिलिटी में प्रॉब्लम नहीं होगी लेकिन रुहेलखंड डिपो के एआरएम नीरज अग्रवाल इससे  इंकार करते हैं। उन्होंने बताया कि एडमिनिस्ट्रेशन ने 176 बसों की मांगी है। उनकी मांग हमें बरेली रीजन से पूरी करनी है।

बरेली रीजन में टोटल बस - 467 पुराने रोड वेज में कुल बस - 210सैटेलाइट बस अड्डे में कुल बस- 80उत्तराखंड से आने वाली बसों की संख्या- 20 रोजाना पैसेंजर्स ट्रैवल करते हैं-  6-7 हजार नोट- रोडवेज डिपार्टमेंट से मिले आंकड़े के मुताबिक

इलेक्शन ड्यूटी में जाने के कारण निश्चित तौर पर बसों की संख्या में कमी होगी, जिसका सीधा असर पैसेंजर्स पर पड़ेगा। एडमिनिस्ट्रेशन को इस प्रॉब्लम के बारे में सोचना चाहिए।
-अंकित वर्मा, स्टूडेंट
चुनाव के दौरान एडमिनिस्ट्रेशन चाहे लाख दावे करे लेकिन प्रॉब्लम तो जरूर होगी। देखने वाली बात यह होगी कि उनके दावे कहां तक सही साबित होता है।
  -नदीम अख्तर, स्टूडेंट
रेलवे ने लालकुआं जाने के लिए ट्रेनों को पहले ही बंद कर दिया। रही बची कसर बसों को चुनाव में लगाकर पूरी हो गई। चुनाव हमारे लिए है कि हम चुनाव के लिए यह समझ में नहीं आ रहा।
-अंकित गुप्ता, स्टूडेंट
रोडवेज को डेली पैसेंजर्स का भी ध्यान रखना चाहिए। उनको ये सोचना चाहिए कि जो उन पर डिपेंड हैं उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
-नितिन जायसवाल, प्राइवेट जॉब
पैसेंजर्स को किसी भी तरह की कोई्र परेशानी नहीं होने दी जाएगी। जरूरत पडऩे पर बसों के फेरे बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।
 - राजेश यादव, एआरएम, बरेली डिपो
पैसेंजर्स को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसका पूरा ख्याल हम रखेंगे. 
-नीरज अग्रवाल, एआरएम रुहेलखंड डिपो

Posted By: Inextlive