Bareilly: नगर निगम के 70 वार्डो में 103 पार्क हैं. वैसे तो बीते पांच वर्षों में इनका चेहरा चमकाने के लिए निगम ने अपने खजाने से इन पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च भी कर दीजिए. पर ग्राउंड रियलिटी चेक करने के बाद ऐसा लगता है पार्कों की हरियाली ठेकेदार और निगम के इंजीनियर मिलकर हड़प गए. तभी तो जिन पार्कों में बच्चों को धमाचौकड़ी मचानी चाहिए वह खंडहर बने हुए हैं.


इंद्रा पार्क में दो लाख फूंके  मॉडल टाउन को बरेली शहर के आइडियल कॉलोनी की नजीर के तौर पर बसाया गया था। इस कॉलोनी में टोटल 11 पार्क आते हैं। यहां के कुछ एक पार्क को छोड़ दे तो बाकी के हालात भी बिगड़े हुए हैं। सबसे खस्ता हाल इंद्रा पार्क का है। 2 साल पहले इस पार्क पर दो लाख खर्च किया गया है। मगर न तो यहां पौधों में हरियाली आई और न ही पार्क में रौनक छाई।  कई वार्ड में पार्क ही नहीं  


गौर करें कि शहर में पार्कों के निर्माण में असमानता है। यूं तो कहने के लिए शहर के 70 वार्डों में 103 पार्क बने हुए हैं। पर आपको हैरानी होगी कि से सभी पार्क सिर्फ 16 वार्ड में ही सिमटे हुए हैं। बाकी वार्डों में पार्क है ही नहीं। ऐसे में शहर के अधिकतर बाशिंदों को स्वच्छ एनवायरमेंट के लिए तरसना पड़ता है।जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट

राजेंन्द्र नगर एरिया में सर्वाधिक पार्क आते हैं और सबसे ज्यादा बुरा हाल भी यहीं है। पार्कों को अवैध कब्जों से बचाने के लिए निगम की तरफ से कोई सार्थक पहल हुई नहीं है। हालांकि निगम के रिकॉर्ड बयां करते हैं कि 5 लाख से यहां के पार्कों के रंगाई पुताई पर खर्च किए गए। मगर यहां ये कवायद पिछले 6 सालों में एक बार भी नहीं की गई। कॉन्ट्रेक्टर और जेई की मिलीभगत से पैसा सेक्शन तो होता है। पर जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। पार्षद के अनुसार, सबसे ज्यादा पार्क वाले वार्ड के पार्क के डेवलपमेंट के लिए कोई बजट नहीं दिया गया है।  वाटिका में बह गए चार लाखपॉश कॉलोनियों में शुमार रामपुर गार्डन के वाटिका पार्क को देखकर लगता ही नहीं कि कभी यहां बच्चे खेला भी करते थे। पार्क का गेट-झूले टूटे हैं और पार्क में घनी झाडिय़ां उग आईं हैं। हालात ये है कि कोई अंदर दाखिल भी नहीं हो सकता है। पार्क के झूलों, फुटपाथ और पेड़-पौधों की व्यवस्था नगर निगम की तरफ से की जाती है। इस पार्क के बाउंड्री, झूलों पर निगम ने 4,00,000 रुपए खर्च किए हैं। मगर हालात में कोई सुधार नहीं आया है। पार्क के डेवलपमेंट के लिए आया ये पैसा पौधों की क्यारियों के रास्ते कहां बहा किसी को हवा भी नहीं लगी।  पार्कों में खर्च का ब्यौरा एरिया - माडल टाउन पार्क - इंद्रा पार्क खर्च - 2,00,000 रुपए एरिया - गांधी नगर पार्क -शिव शक्ति मंदिर के पास पार्क

खर्च - 2.75 लाख रुपए एरिया - रामपुर गार्डन पार्क - वाटिका पार्क  खर्च - 4,00,000 रुपए एरिया - स्टेट बैंक कॉलोनी  पार्क -  एरिया का सबसे बड़ा पार्क खर्च - 3,50,000 रुपए सुर्खा के पार्क में सूखाअब पुराने शहर के सुर्खा क्षेत्र में आने वाली स्टेट बैंक कॉलोनी के पार्क तो किसी एंगल से लगता ही नहीं कि पार्क हैं। ये पार्क 3.5 लाख के खर्च पर डेवलप किया गया। मगर न तो यहां के झूले बचे और न ही बेंच। हालात ये है कि कॉलोनी के ही एक रसूखदार रेजिडेंट इस पार्क पर अवैध कब्जे की कोशिशों में लगे हैं। पार्क की बदहाली का आलम ये है कि दूर से महज झाडिय़ों के अलावा यहां कुछ नजर भी नहीं आता है।अफसरों की ड्यूटी पर माली
पार्कों के रखरखाव के लिए मालियों का टोटा है। शहर के 103 पार्कों के लिए निगम के पास सिर्फ 57 माली है। इन मालियों में से भी ज्यादातर की ड्यूटी प्रशासनिक अधिकारियों के घर में लगी हुई है। गांधी नगर के पार्षद बताते हैं कि वार्ड में 17 पार्क है। मगर हमें माली सिर्फ 3 दिए गए हैं। इनमें से भी एक माली रिटायर हो गया, जबकि दूसरे की डेथ हो गई। अब सिर्फ एक ही माली के हवाले है सारे पार्क। कुछ ऐसे ही हालात बाकी वार्ड के पार्कों का भी है। सोर्सेज के मुताबिक प्रशासनिक अधिकारियों के घर में तैनात मालियों की संख्या 31 के आस-पास है।गांधीनगर में गोलमालगांधीनगर की स्टोरी भी जुदा नहीं है। वार्ड के 17 पार्क आते हैं। यहां के पार्कों पर वैसे तो 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। मगर सोर्सेज की मानें तो ये पैसा कुछ खास पार्क पर ही खर्च हुआ, जबकि दूसरे पार्कों की झोली खाली रह गई। अब शिव मंदिर के पास वाला पार्क, ब्रजलोक पार्क सहित कॉलोनी के कई पार्क इतने खर्च के बावजूद न तो कॉलोनी के बच्चों के खेलने लायक बन सके और ही बुजुर्ग यहां टहल सकते हैं।

Posted By: Inextlive