ट्रैफिक पुलिस की ढील तो निगम की लापरवाही से चलना दूभर
हमारी सड़क खाली करो
- घंटा घर तिराहे से कोहाड़ापीर तक का सफर मुश्किलों भरा, कहीं झटके तो कहीं भिड़ने का डर - सड़क के दोनों तरफ बनी अवैध पार्किग, निगम के अधिकारी आंखे मूंदकर व्यवस्थाएं होने दे रहे ध्वस्त - डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करने में लगते हैं 20 मिनट, प्रदूषण भी बढ़ा रहा परेशानियां बरेली। शहर की लगभग हर मुख्य सड़क व चौराहे पर सिर्फ अतिक्रमण ही नजर आता है। कहीं ट्रैफिक पुलिस की ढील तो कहीं नगर निगम की लापरवाही ने शहर का सूरत ही बदल कर रख दी है। मुनाफाखोरों के लालच और जगह-जगह रिक्शा-टेंपो लेकर घूमने वालों ने नियमों को ताक पर रखकर व्यवस्थाएं ध्वस्त कर दी हैं। इसके चलते इन इलाकों से गुजरने वाले बरेलियंस को ना सिर्फ समय व ईंधन गंवाना पड़ता है, बल्कि उनकी सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।ऐसी ही हालत घंटा घर तिराहे से लेकर कोहाड़ापीर चौराहे तक है। जहां पूरी सड़क पर ठेले, फड़, दुकानों से बाहर निकला सामान और अवैध पार्किग ही नजर आती है। रास्ता साफ कराने को लेकर की जाने वाली शिकायतों पर कुछ दिन अभियान चलाकर चालान व अन्य कार्रवाई कर खानापूर्ति के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
ना एंट्री-एक्जिट पर रोक और ना ही पार्किंग
सड़क पर देर रात तक भीड़भाड़ नजर आती है। ऐसे में चाहिए की व्यवस्थाओं को बनाए रखकर व्यापारी कारोबार करें, लेकिन ऐसा नहीं होता। यहां खरीदारी करने आने वाले लोग सड़क किनारे ही अवैध पार्किग बनाकर यातायात व्यवस्था बिगाड़ते हैं। वहीं दोनों किनारों पर खड़े पुलिसकर्मियों को नो एंट्री की देखरेख व व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी लगाया जाता है। लेकिन ऐसा होता नहीं। रिक्शा-टेंपो वाले जहां-तहां अपने मन मुताबिक खड़े होकर सवारियां भरते हैं। जगह-जगह स्टैंड बना लिए हैं। वहीं बड़े वाहन भी बेरोकटोक यहां से गुजरते हैं। सड़क पर ही लोडिंग-अनलोडिंग घंटाघर से कोहाड़ापीर की तरफ बढ़ने पर सड़क के किनारे कॉस्मेटिक व दवाओं का थोक मार्केट भी है। यहां तंग गलियां होने के चलते अधिकतर व्यापारी मेन रोड पर अपना माल दिन व रात में मंगवाकर लोडिंग-अनलोडिंग कराते हैं। ऐसे में यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है। अधिकतर रिक्शे व लोडर गाडि़यां इतनी ज्यादा भरी होती हैं, कि आसपास के गुजरने वाले लोगों को भी बचकर निकलना पड़ता है। सड़कों पर सजाते हैं दुकान का सामानघंटाघर से लेकर कोहाड़ापीर चौराहे तक कपड़ा, मशीनरी, हार्डवेयर व दवाओं की दुकानें हैं। यहां दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी दुकानों का सामान बाहर तक सजा देते हैं। जिससे दोनों तरफ से सड़क के काफी हिस्से पर कब्जा हो जाता है। घंटा घर से चलते ही सड़क पर कहीं मशीनरी, कहीं कुंडों से लटके पाइप, स्कूल बैग, कपड़ों के गट्ठर, नमकीन के ढेर और टायरों के ढेर नजर आते हैं। रास्ते में पड़ने वाली कोहाड़ापीर चौकी के गेट पर भी तमाम चाट-पकौड़ी के ठेले नजर आते हैं। लेकिन पुलिस भी इस अतिक्रमण को नजरअंदाज कर देती है।
बरेलियंस हो रहे बीमार। कुतुबखाना के नाम से मशहूर इस इलाके में रिटेल व थोक कारोबारियों की दुकानों की ही नहीं बल्कि प्रदूषण की भी भरमार है। यहां अक्सर जाम के चलते लोगों को काफी देर तक खड़ा रहना पड़ता है। गाडि़यों से निकलने वाले धुएं में शामिल हानिकारक गैसें यहां प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा देती हैं, जिससे लोग बीमार होते हैं। यहां से गुजरने और खरीदारी करने आने वाले बरेलियंस ही नहीं यहां के व्यापारी भी प्रदूषण को लेकर चिंता जताते हैं। प्रदूषण के चलते लोगों को दिल, सांस व अन्य रोग लग रहे हैं। ये कहते हैं व्यापारी।सड़क पर हो रही अव्यवस्थाओं के पीछे ट्रैफिक पुलिस की ढील का बड़ा हाथ है। नो एंट्री के बावजूद बड़े वाहन व टेंपो-रिक्शा पूरा दिन ही सड़क से गुजरते हैं। निगम भी कार्रवाई नहीं करता। - नदीम शमसी, समाजसेवी और व्यापारी
मार्केट के व्यापारी ही व्यवस्था बनाने में सहयोग नहीं करते हैं। ट्रैफिक पुलिस की ढील भी अतिक्रमण की बड़ी वजह है। कई बार ज्ञापन देने के बावजूद सुधार नहीं हुआ। अब व्यापारी धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं - दीपक अग्रवाल, बर्तन व्यापारी ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही नो एंट्री के बावजूद रोजाना सैकड़ों बड़े वाहन यहां से गुजरते हैं, जिससे जाम की स्थिति बन जाती है। व्यवस्थाओं में सुधार के लिए व्यापारी, प्रशासन व बरेलियंस सभी को अपनी जिम्मेदारियां समझनी होंगी। - अमित खनेजा, हार्डवेयर व्यापारी