90 फीसदी पार्क में नहीं है पानी की व्यवस्था
- नगर निगम ने कराया पार्को का सर्वे, 90 फीसदी बदहाल, पानी की व्यवस्था नहीं
- गांधी उद्यान में भी एक सबमरसिबल खराब, निगम के बजट में पार्को को जगह नहीं - रेनोवेशन के बावजूद मेंटनेंस के लिए कोई योजना नहीं, पीपीपी मॉडल में रहे फेलBAREILLY: शहर को चमकाने की नगर निगम की कवायद भले ही थोड़ी बहुत कारगर रही हो, लेकिन अपने पार्को की देखभाल में पूरी तरह गैर जिम्मेदार रहा है। कई साल से शहर के पार्को पर आंख मूंदे बैठे निगम को कंक्रीट का डेवलपमेंट तो दिखता है, लेकिन हरियाली से उन्हें ऐतराज है। देर से ही सही पर पिछले साल निगम ने अपने पार्को की हालत जानने को उनका सर्वे कराया। सर्वे में जो रिपोर्ट निकलकर सामने आई वह एंवायरमेंट लिए निगम की संवेदनहीनता और गैर जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करती है। उद्यान विभाग के मुताबिक शहर में क्फ्ख् पार्को में से 90 फीसदी में पानी की व्यवस्था ही नहीं है। वहीं कुछेक को छोड़ बाकी सभी पार्क टूटी बाउंड्री व बदहाली का सामना कर रहे हैं। सर्वे की रिपोर्ट शासन को भेजी गई, जिस पर कार्ययोजना तैयार करने तक की कवायद हुई।
बिन पानी सब सूनमाली और चौकीदार की कमी झेल रहे निगम के पार्को में हरियाली को जिंदा रखने के लिए पानी की ही व्यवस्था नहीं है। निगम के लगभग सभी पार्क बिना पानी के दम तोड़ रहे हैं। कहीं कहीं जो हैंडपंप थे वह कई साल से सूखे पड़े हैं। शहर के सबसे बेहतर माने जाने वाले गांधी उद्यान में भी पौधों को पानी देने के लिए दो में से एक सबमरसिबल दो महीनों से खराब है। वहीं रखरखाव न होने से ज्यादातर की दुर्दशा हो गई है। निगम की ओर से इन पार्को में पानी की व्यवस्था न कराए जाने से आस पड़ोस के लोग चाहकर भी यहां हरियाली बनाए रखने की कोशिश न कर सकें।
मेंटनेंस का पता नहींनिगम की ओर से पार्कों की बदहाली पर कारगर कदम उठाने के खोखले दावे करने पर कभी भी कोई कमी नहीं रही। बार बार मांग उठने के बावजूद जिम्मेदार हरियाली बचाने के हवा हवाई बातें ही करते रहे, जबकि इन पार्को की बदहाली दूर करने को कोई ठोस योजना और उस पर काम करने की कवायद कभी नहीं हुई। हरियाली के लिए निगम की संवेदनशीलता इसी से पता चलती है कि पार्को के लिए कोई बजट ही नहीं अलॉट होता। ऐसे में अगर पार्को का रेनोवेशन हो भी जाए तो बाद में उनकी मेंटनेंस कैसे हो इसके लिए भी कोई प्लान जिम्मेदारों के पास नहीं।
हवा हुआ पीपीपी प्लान अपने ही पार्को को दुरुस्त रखने में फिसड्डी रहे नगर निगम ने पीपीपी मॉडल के तहत भी हरियाली बचाने की कोशिश की। मंशा थी प्राइवेट कंपनीज व लोगों की मदद से पार्कों की सूरत-ए-हाल बदली जाए। रिलायंस टेलीकॉम कंपनी से साल की शुरुआत में ही ब् पार्को की बदहाली दूर कर उनका ब्यूटीफिकेशन किए जाने का प्लान कागजों में तैयार हुआ, लेकिन म् महीने बाद भी यह योजना कागजों में हरियाली बढ़ाती रही। न तो कंपनी की ओर से पार्को का ब्यूटीफिकेशन हुआ और न ही निगम ने इस योजना के लड़खड़ाते कदमों को सहारा देने की कोशिश की।