सुकून की बजाय छेड़छाड़ से बढ़ती है टेंशन
- शहर के पार्को के अंदर-बाहर लगता है शोहदों का जमावड़ा
- बाहर निकलते ही घूरती हैं निगाहें, अकेली देखकर पीछा भी करते हैं। BAREILLY: 'फ्रेंड्स के संग पार्को में सैर करने का मतलब लफंगों के वल्गर कमेंट्स से दो चार होना पड़ेगा। कमेंट्स को इग्नोर भी कर दें तो लफंगों के पीछा करने से बहुत बुरा फील होता है.' यह कहना है गांधी उद्यान समेत अन्य पार्को के माहौल के बारे में सिटी की गर्ल्स का। आई नेक्स्ट के इज्जत करो कैंपेन के दौरान सिटी की गर्ल्स ने अपनी बातों को बेबाकी से रखा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पार्को के बाहर पुलिस भी रहती है। लेकिन कार्रवाई न होने की वजह से उन्हें पुलिस से कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं पेरेंट्स की ओर से आवाज मुखर करने की बजाय मामले को छिपाने की बात सिखाई जाती है। अंदर-बाहर घूरती हैं निगाहेंपार्क, मल्टीपरपज होते हैं। जहां, फ्रेंड्स के संग मस्ती, किसी मुद्दे पर चर्चा, जॉगिंग, एक्सरसाइज समेत हंसी मजाक के माहौल संग खुली हवा का बेहतर तालमेल होता है। लेकिन अब पार्क शोहदों के अड्डे बनते जा रहे हैं। क्लास, कोचिंग के बाद फ्रेंड्स के संग बोरियत को दूर करने के लिए पार्क में आई गर्ल्स इनके वल्गर कमेंट्स का शिकार होती हैं। गांधी उद्यान में फ्रेंड्स के संग घूमने पहुंची गर्ल्स ने बताया कि करीब म् महीने बाद उद्यान में आयी हूं। पिछली बार पार्क के बाहर कुछ लड़कों ने दूर तक पीछा किया था। घर पहुंचकर मां से बताया तो उन्होंने उद्यान जाने से मना कर दिया। साथ ही मामले को इग्नोर करने का सुझ्ाव दिया।
सुनने वाला कोई नहीं आई नेक्स्ट रिपोर्टर से खुलकर सामने आने से कतराते हुए गर्ल्स ने बातचीत में छेड़छाड़ के दर्द की दास्तां को बयां किया। लड़की ने बताया उसके मुताबिक - छेड़छाड़ की शिकायत फैमिली समेत प्रिंसिपल से भी की थी। सभी इग्नोर करने को बोलते हैं। - पार्को में शोहदे घूरने के साथ ही कमेंट करने से भी बाज नहीं आते। - करीब म् माह पहले लड़कों ने पार्क में कमेंट करते हुए घर तक पीछा किया था। - महिला कांस्टेबल चेकिंग करती हैं लेकिन जाने के बाद फिर से शोहदों की हरकत शुरु हो जाती है। - पुलिस कहती है कि हम धरपकड़ करने का कोई फायदा नहीं, चालान न होने से छूट जाएंगें। - क्योंकि सात साल से कम सजा वाली धाराओं में थाने में जमानत का प्रावधान है।- क्00 और क्090 पर कॉल करने पर जब तक पुलिस पहुंचती है तब तक शोहदे जा चुके होते हैं।
- कभी कभार कोई दिक्कत होने पर लड़के मदद करने के बॉडी को टच करने की कोशिश करते हैं। - अमूमन पार्क में शोहदे अश्लील हरकत करते हुए हमें घूरते रहते हैं। - पार्को में शोहदों की लिस्ट में युवा, उम्रदराज समेत बुजुर्ग भी शामिल हैं। गर्ल्स ने खुद ही सुझाए सेफ्टी टिप्स छेड़छाड़ के सदमे से खुद को बाहर निकालकर शोहदों का मुकाबला करने के लिए गर्ल्स ने स्वयं ही प्रिपेयर हो गई हैं। खामोशी से शोहदों की हरकतें बढ़ती हैं उनका मुंहतोड़ जवाब मिलना जरूरी है। उनके मुताबिक - गर्ल्स को सेल्फ कॉफिंडेंस आनी चाहिए। ताइक्वांडों की क्लासेज ज्वॉइन करना जरूरी है। - किसी लड़की के साथ ऐसा होने पर अन्य लड़कियां मिलकर निपटें। - बाजार, पार्क, कॉलेज या कहीं भी बेवजह की हरकतें कर रहा हो तो उसकी शिकायत जरूर कर दें। पार्को में छेड़छाड़ की घटनाएं सबसे ज्याद होती हैं। पुलिस हर जगह मौजूद नहीं रह सकती इसलिए गर्ल्स को सेल्फ डिफेंस आनी जरूरी है। कोमल, स्टूडेंट छेड़छाड़ की शिकार गर्ल्स को फैमिली या पुलिस से मदद न मिलने पर निगेटिव थिंकिंग आती है। मेंटल हैरेसमेंट होने से गर्ल्स कॅरियर पर फोकस नहीं कर पाती हैं। शीतल, टीचर