...और बन गए भाग्यविधाता
और जारी रखी पढ़ाई
71.8%
जब लगन हो तो कोई भी कांटा राह में नहीं आ सकता है। बस ऐसा ही सोचती हैं सुमन रानी। सुमन के पापा कार ड्राइवर हैं। चार भाई-बहन के परिवार में सुमन सबसे बड़ी हैं। सुमन के अलावा उनके दो भाई भी पढ़ाई कर रहे हैं। सुमन की मां ने बताया कि उनके परिवार में पहली बार किसी ने इतनी पढ़ाई की है और इतने अच्छे नंबरों से पास हुई हैं। सुमन ग्रेजुएशन करने के बाद एलएलबी करना चाहती हैं। उनका मानना है कि अगर आप एक बार इच्छा कर लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी प्रिंसिपल को देती हैं। क्योंकि वह 9वीं के बाद पढ़ाई छोडऩे जा रही थीं। ऐसे में उन्हें प्रिंसिपल मैम ने ही आगे पढ़ाई करने की प्रेरणा दी और हर कदम पर सहयोग भी किया। यहां तक कि स्कूल में उनकी फीस भी माफ कर दी। उनके घर में जश्न का माहौल है।
- सुमन रानी,केपीआरसी कला केंद्र कन्या इंटर कॉलेज
जज्बे से टूटती हैं बाधाएं
75.4
पढ़ाई को ही अपना जुनून मानने वाली जावित्री ने यह साबित कर दिया कि तमाम बाधाएं राहों में आती रहें पर जज्बा हो तो उन्हें आसानी से मात दी जा सकती है। जावित्री के पापा मजदूर हैं। उनके एक भाई और चार बहनें हैं जबकि मां हाउसवाइफ हैं। पिता की कमाई से दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता है। पर जावित्री की लगन देखकर उनके पिता ने कभी भी उनकी पढ़ाई रोकने की बात सोची भी नहीं। वहीं टीचर्स ने भी जावित्री को पूरा सपोर्ट किया। इतना ही नहीं जावित्री को तीन सब्जेक्ट्स में विशेष योग्यता भी प्राप्त हुई है। जावित्री को मैथ्स पढऩा सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। वह आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। उनके आदर्श पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम हैं। वह कहती हैं कि उन्हें पढ़ाई करने की प्रेरणा शिप्रा मैम से मिली।
- जावित्री,रामभरोसे गल्र्स इंटर कॉलेज
तो कदमों में होगी सफलता
61%
मंजू के पापा घर चलाने के लिए बाजारों में फे री लगाते हैं। उनके घर में पांच भाई-बहन हैं। मंजू ने अपनी पढ़ाई करने के लिए खुद ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। वह सुबह स्कूल जाने से पहले एक घंटे ट्यूशन पढ़ाती थीं। उसके बाद स्कूल और फिर स्कूल से आकर भी ट्यूशन पढ़ाती थीं। सेल्फ स्टडी वह रात में लैंप जलाकर करती थीं। कहती हैं कि इसके लिए उनकी मां और टीचर्स ने बहुत सपोर्ट किया। उनकी मां ने बताया कि मंजू परिवार को संभालने के लिए काफी मेहनत करती है। वह सीए करना चाहती हैं। पर फाइनेंशियल प्रॉब्लम होने की वजह से वह बैंकिंग सेक्टर की जॉब के लिए भी ट्राई कर रही हैं। उनका कहना है कि इस बीच वह बीकॉम भी जारी रखेंगी। मंजू कहती हैं कि राह की बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ेंगे तो सफलता जरूर आपके कदमों में होगी।
- मंजू राठौर,केपीआरसी कला केंद्र कन्या इंटर कॉलेज
इंजीनियर बनकर रखूंगी परिवार का ख्याल
67%
पढ़ाई करनी हो तो संसाधनों की सहूलियत की जरूरत नहीं होती है। यह साबित कर दिया उमरा जमाल ने। उमरा के पापा नहीं हैं और मां भी एक मामूली सी नौकरी क रती हैं। परिवार में उनके अलावा तीन भाई-बहन और भी हैं। पापा के न रहने पर घर में दो वक्त चूल्हा जलना भी मुश्किल था। पर मां की नौकरी और उमरा का जज्बा ही उन्हें यहां तक ला सका। एक बार वह पढ़ाई छोडऩे के बारे में भी सोच रही थीं। पर उनकी मां ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने टीचर्स और मां को देती हैं। उमरा इंजीनियर बनना चाहती हैं। मैथ्स उनका फेवरेट सब्जेक्ट है। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के इतने माक्र्स एचीव किए हैं। उमरा कहती हैं कि वह इतनी मेहनत करना चाहती हैं कि जिससे उनके परिवार में सभी भाई-बहन की पढ़ाई पूरी हो सके।
- उमरा जमाल, साहू गोपीनाथ कन्या इंटर कॉलेज