...और आग में झुलस गई इंसानियत भी
सोते वक्त गिरी लैंपयुवक की पहचान 22 वर्षीय संजीव के रूप में हुई है। संजीव पल्लेदारी का काम करता है। उसके परिवार के सदस्य त्रिलोकपुरी दिल्ली में रहते हैं। रामलीला के दौरान वह अपने पिता की दुकान के काम में हाथ बंटाने के लिए दिल्ली गया था। फ्राइडे को ही वह दिल्ली से वापस आया था। सैटरडे रात वह घर में सो रहा था। रात करीब 12 बजे अचानक ऊपर रखी लैंप उसके सीने पर गिर गई और आग लग गई। किसी तरह से वह दरवाजा खोलकर बाहर निकला और कपड़े उतारकर आग बुझाई। आग में वह बुरी तरह से जल गया। किसी ने दवा तक नहीं लगाई
शोर मचाने पर पड़ोस के लोग आ गए लेकिन किसी ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट नहीं कराया। लोगों ने उसके शरीर पर जलन मिटाने की दवा तक नहीं लगाई। गांव में ही उसके ताउ बुलाकीराम अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं लेकिन परिवार का भी कोई सदस्य उसकी मदद करने के लिए नहीं आया। उसने लोगों से रिक्वेस्ट की तो किसी ने फोन पर उसके मामा सुरेश को सूचना दी। मामा ने इसकी जानकारी उसके पिता को दी। संडे दोपहर उसके माता-पिता बरेली पहुंचे। मां ने ही सबसे पहले उसके सीने में नारियल का तेल लगाया। पिता ने उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया है।