अब हाफ रेट पर ऑक्सीजन
-उद्यम आधी क्षमता पर चल रहे, इसलिए आक्सीजन की खपत घटी
-अस्पतालों में मरीज घटने के बाद मांग का ग्राफ नीचे आया बरेली : लंबे समय बाद ऑक्सीजन की कीमतें नियंत्रण में आ चुकी हैं। कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में मेडिकल सप्लाई के लिए जाने वाली ऑक्सीजन की दरें आधी हो चुकी हैं। बरेली में उत्तराखंड के काशीपुर, झारखंड के बोकारो प्लांट और मोदीनगर से आने वाली लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति अब दोगुनी और ऑक्सीजन की मांग एक तिहाई रह गई है। बरेली में ऑक्सीजन प्लांट संचालकों के टैंकरों में पर्याप्त ऑक्सीजन मौजूद है, लेकिन अस्पतालों और उद्यम में मांग नहीं होने से सीमित उत्पादन किया जा रहा है। आसमान छूने लगी थीं कीमतेंकोविड संक्रमण के दौर में ऑक्सीजन नहीं मिलने से सांसे थमने का खतरा बन पड़ा था। बोकारो, मोदीनगर और काशीपुर के ऑक्सीजन प्लांट से लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकरों के लिए दिन-रात प्रशासन जुटा रहा। मांग अधिक और आपूर्ति नहीं मिलने से ऑक्सीजन कीमतें आसमान छूने लगी। शासन ने ऑक्सीजन की दरों को तय करने के बाद शिकंजा कसना शुरू किया था। तय हुआ कि 70 फीसद ऑक्सीजन को अस्पतालों में मेडिकल सप्लाई में रखा जाए। जबकि 30 फीसद ऑक्सीजन उद्यमों को सप्लाई में दी जाएगी।
आधी क्षमता पर चल रहे उद्यमकोविड संक्रमण फिर बढ़ने के अंदेशे में उद्यम इकाइयां अपनी पूरी ताकत पर उत्पादन नहीं कर रही है। इसलिए आक्सीजन की बहुत खपत नहीं कर पा रही है। वहीं अस्पतालों में मरीज घटने और खुद के आक्सीजन प्लांट स्थापित होने के बाद बाजार में आक्सीजन की मांग में 70 फीसद की कमी आई है।
स्थापित हो गए ऑक्सीजन प्लांट सरकारी क्षेत्र के जिला अस्पताल, महिला जिला अस्पताल, 300 बेड अस्पताल और निजी मेडिकल कालेजों में एसआरएमएस, रोहिलखंड मेडिकल कालेज, राजश्री मेडिकल कालेज। इफको के प्लांट से सरकारी अस्पतालों को मुफ्त आक्सीजन मिल रही। बहेड़ी और मीरगंज सीएचसी में भी आक्सीजन प्लांट स्थापित हो चुके हैं। अस्पतालों को आधी कीमत पर आक्सीजन आपूर्ति दी जा रही है। इससे मरीजों को राहत मिली है। सि¨लडर पहले कीमत अब कीमत जंबो सि¨लडर 7 क्यूबिक मीटर - 600 - 300 मध्यम सि¨लडर 1.5 क्यूबिक मीटर - 250 - 150 ---- आक्सीजन रीफ¨लग सेंटर : फरीदपुर - 02 परसाखेड़ा - 01 ----------कोविड दूसरे चरण के दौरान ट्रांसपोर्ट लागत तीन गुना हो चुकी थी। अब ऐसी स्थिति नहीं। जिन अस्पतालों में डिमांड 50 से 70 सि¨लडर की प्रतिदिन रही। अब उन्हें सिर्फ दो सि¨लडर ही चाहिए। मांग कम हो चुकी है, आपूर्ति पूरी है। इसलिए दाम भी कम हो गए है।
- हर्षवर्धन, आक्सीजन प्लांट संचालक एक वक्त पर मांग कई गुना बढ़ गई थी। पूरे शहर के प्लांट और सप्लायर उस मांग को पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसकी कीमतें भी बहुत बढ़ गई थी। अब स्थिति नियंत्रण में आ चुकी है। - संजय कुमार, आक्सीजन कारोबारी