अब एआई से क्लोन बना कर हो रहा फ्रॉड
बरेली (ब्यूरो)। ओटीपी बता दीजिएबैंक मैनेजर बोल रहा हूं। इस तरह की कॉल्स आते ही लोग अलर्ट होने लगे थे। समझदार लोग ठगी होने से बच भी जाते थे। ऐसे में साइबर ठगों ने ठगी करने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। साइबर ठगों ने एआई की हेल्प से दोस्त, रिश्तेदार की आवाज बदलकर साइबर जालसाज फोन कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। अगर आपके पास भी कोई सगा संबंधी बनकर फोन कर मदद के नाम पर पैसे मांगे तो सावधान हो जाएं। शहर में इस तरह के दो केस सामने आए हैैं, हालांकि दानों ही केसेस में ठगी होने से बच गई। एआई से हो रहे वॉयस क्लोन को लेकर साइबर पुलिस भी लोगों को अवेयर कर रही है।
टूल की लेते हैं हेल्प
जालसाज एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद ले रहे हैं। साइबर सेल की एसआई शालू का कहना है कि यह टूल आपकी आवाज इतने सलीके से नकल करता है कि अपनी और टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे। इसके लिए साइबर क्रिमिनल सबसे पहले किसी शख्स को ठगी के लिए चुनते हैं। इसके बाद उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखते हैं और उसकी किसी ऑडियो और वीडियो को अपने पास रख लेते हैं। साइबर क्रिमिनल फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं। इसके बाद तीन से पांच सेकंड की वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन सेंड किया जाता है। लेकिन इनसे बचने के लिए अलर्ट रहें।
अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड रखें, एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें।
यदि दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में पैसे के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके कंफर्म कर लें ।
साइबर फ्र ॉड के शिकार होने पर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें। केस-वन
हेलोमामा जी मैं सुनील बोल रहा हूंमेरा एक्सीडेंट हो गया है.मेरे खाते में 10 हजार रुपए भेज दो। इस तरह की वॉयस अमित के फोन पर आई। लेकिन गनीमत रही कि उस समय सुनील और अमित दोनों ही एक साथ थे। इससे वह समझ गए। अमित ने जब वॉयस भेजने वाले के नम्बर पर कॉल की तो वह नहीं लगा। अमित ने बताया कि ठग ने हू-बहू कॉल जिस आवाज में की और जिस अंदाज में की वह सुनील की ही लग रही थी।
केस दो
हेलो रवि मैं आपका दोस्त संदीप बोल रहा हूं। इस तरह का एक वॉयस मैसेज रवि के फोन पर आया। ठग ने मैसेज के माध्यम से पांच हजार रुपए की डिमांड की थी। साइबर ठग ने रुपए ट्रांसफर करने की बात कही और अपना नंबर भी दिया। रवि ने सूझबूझ से काम लेते हुए संदीप को कॉल कर ली तो पता चला कि उससे ठगी की कोशिश की जा रही है।
ठगी करने के लिए साइबर ठग उस व्यक्ति के रिश्तेदारों और परिचितों के पहले मोबाइल नंबर जुटा लेते हैं। इसके बाद साइबर ठग उनकी वॉयस जुटा लेते हैं, फिर इन नंबरों पर फोनकर रिकॉर्ड किया हुआ वॉयस मैसेज चलाया जाता है। इसमें एक्सीडेंट होने या किसी अन्य मजबूरी की बात कहते हुए उनसे रुपयों की मांग की जाती है।
ब्लैकमेलिंग को एआई का इस्तेमाल
साइबर ठग इन दिनों एआई का सहारा ब्लैकमेलिंग के लिए भी कर रहे हैं। किसी को उसकी अश्लील फोटो या लोन की किश्त चुकाने के लिए विभिन्न तरीकों से दबाव बनाया जाता है। इसके लिए साइबर ठग एआई के माध्यम से अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि मानों वह किसी थाने या आयकर और बैंक के दफ्तर में बैठे हों। जिस व्यक्ति को फोन किया जाता है उसे पीछे से ऐसी बातें भी सुनाई देती हैं जो अक्सर पुलिस थानों में कही जाती हैं। मसलन, आरटी सेट की आवाज, किसी के सैल्यूट करने की आवाज, किसी को आदेश देने का माहौल आदि।
कॉल आने पर सबसे पहले उस पर शक करें। उससे कहें कि अभी दो मिनट में फोन करूंगा। इसके बाद संबंधित रिश्तेदार को कॉल कर पुष्टि कर लें।
कॉल करने वाले से अपने परिवार की गोपनीय जानकारी पूछें।
पिता-माता का नाम तो वह किसी भी दस्तावेज से ले सकता है, लेकिन दादा-दादी या नाना-नानी का नाम नहीं जानता होगा।
बचपन या किसी घटना से संबंधित ऐसी बात पूछें जिसे सिर्फ परिवार वाले ही जानते हैं।
एकाएक खाते में पैसे न ट्रांसफर करें। पहले खाते आदि के बारे में जानकारी कर लें। ताकि यह पुष्टि हो जाए कि आप किसी गलत खाते में पैसे तो नहीं भेज रहे हों।