तो 44 वर्षो का टूट जाएगा रिकॉर्ड
-अगस्त 2014, 1971 के बाद सबसे कम वर्षा दर्ज कराने वाला माह बनने की संभावना
-एक्सपर्ट्स के मुताबिक सायक्लोनिक प्रेशर और हवा की बदलती गति की वजह से नहीं हो पा रही बारिशBAREILLY: कहते हैं कि मौसम का कोई भरोसा नहीं होता, इस बार ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है पर बरेली के मानसून पर। पिछले साल जिस मानसून ने बरेलियंस को जमकर भिगोया, इस बार उसने अपना मुंह ही फेर लिया है। सिटी में अब तक झमाझम बारिश नहीं हुई है। इस ही वजह से बरेलियंस समेत वेदर एक्सपर्ट्स के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। एक तरफ जहां बारिश न होने से लोग पसीने में सराबोर हैं तो दूसरी तरफ सूखे की आशंका से महंगाई बढ़ने का डर भी उन्हें सता रहा है। वेदर एक्सपर्ट के अनुसार आधा अगस्त बीच चुका है, लेकिन सायक्लोनिक प्रेशर और हवा की बदलती गति की वजह से बादलों को बरसने के लिए अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिल पा रही हैं। इस वजह से अगस्त ख्0क्ब् साल क्97क् के बाद सबसे कम वर्षा दर्ज कराने वाला माह बनने की संभावना है।
बादल हैं पर उनमें पानी नहींवेदर एक्सपर्ट की मानें तो अगस्त माह ही वर्षा माह कहा जाता है, लेकिन अगस्त माह में तापमान अधिक है। गर्म हवा की वजह से बादल अधिक ऊंचाई पर है। रात में तापमान कम होने पर नीचे आते हैं और हल्की फुल्की बारिश होती है। डॉ। एचएस कुशवाहा के मुताबिक नीचे होने पर बादल में संघनन से पानी अधिक बनता है और बारिश होती है। तापमान में विविधता होने के कारण अलग-अलग जगह अलग-अलग तरीके के बादल बन रहे हैं। इसलिए एक दो किमी के अंतर पर ही कहीं कहीं बारिश है तो कहीं सूखा। यही हाल जुलाई माह में भी रहा। बरेली में जुलाई माह में मात्र क्क्भ् एमएम बारिश हुई है, जबकि संभावना करीब ख्00 एमएम तक की थी।
बन जाएगा सबसे कम वर्षा का माहशहर में खंडवर्षा होने का क्रम जारी है। अचानक से कुछ एरिया में बूंदे बरसती हैं और कुछ देर में ही तेज धूप निकल आती है। इसका कारण शहर में बन रहा सायक्लोनिक सर्कुलेशन है। गौरतलब है कि हवा की बदलती गति की तीव्रता को सायक्लोनिक सर्कुलेशन कहते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगस्त माह सायक्लोनिक प्रेशर के इफेक्ट में आ चुका है। क्भ् से फ्0 अगस्त के बाद करीब ख्00 एमएम बारिश की संभावना है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगस्त माह ब्ब् वर्षो में सबसे कम वर्षा करने वाला माह बन जाएगा।
फसलों पर पड़ रहा असर पूरे मानसून सत्र में सामान्य से भ्0 फीसदी कम बारिश हो जाए तो जिला सूखाग्रस्त नहीं माना जाता, लेकिन कम बारिश से फसल चक्र प्रभावित होता है। पौधे में फलियां नहीं बनती। अगर बनतीं भी हैं तो फल नहीं तैयार हो पाते। एक्सपर्ट के अनुसार अभी तक सामान्य से करीब ब्0 फीसदी बारिश कम दर्ज की जा रही है, इसलिए बरेली सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नहीं आ रहा पर फसलें प्रभावित हो रही हैं। हल्की बारिश से खेतों में नमी आ गई है, लेकिन पानी नहीं भर रहा। इससे धान, मूंगफली, सोयाबीन, बाजरा, ज्वार व अन्य बुवाई वाली फसल पर खतरा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हवा की गति बदलने से सायक्लोनिक सर्कुलेशन एरिया बन रहा है। इस वजह से शहर में काफी ऊंचाई पर बादल होने से बारिश नहीं हो रही। क्भ् अगस्त के बाद बारिश की उम्मीद है। - डॉ। एचएस कुशवाहा, वेदर एक्सपर्ट