नो मार्केट फॉर प्लांट प्रोडेक्ट
-- प्रोडक्ट बेचने को बाजार की कमी से जूझ रहा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
-- कंपोस्ट और फ्यूल की नहीं हो रही बिक्री, एफिशिएंसी का एक तिहाई कामBAREILLY: शहर के कूड़े से कंपोस्ट बनाने की नीयत से शुरू हुआ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्लानिंग के बिना खुद कूड़ा हो रहा है। शहर से निकाला सैकड़ों टन कूड़ा प्लांट में कंपोस्ट की शक्ल पाकर खेतों में फसलों को नई जान दे इस मकसद से शुरू की गई पहल पूरी तरह फ्लॉप हो चली है। तमाम दुश्वारियों को झेल शुरू हुए इस प्लांट में बनने वाला कंपोस्ट किसानों के काम नहीं आ रहा। वजह प्लांट में बनने वाले प्रोडक्ट्स के लिए कोई मार्केट ही नहीं है। मार्केट के बिना प्लांट में बनने वाला कंपोस्ट और फ्यूल कचरा बन कर रह गया है। इससे करोड़ों की लागत से एक साल पहले तैयार हुए इस प्लांट के औचित्य पर ही सवाल उठने लगे हैं। वहीं अपने पुराने दावों को पूरा करने में फिसड्डी रही प्लांट चलाने वाली एजेंसी नए प्रोडक्ट्स बनाए जाने के सब्जबाग निगम को दिखा रही है।
नहीं मिला मार्केट का प्लेटफॉर्मरजऊ परसपुर में इस प्लांट को शुरू करते समय बड़े बड़े दावे किए गए थे। शहर को कूड़े की प्रॉब्लम से निजात दिलाने से लेकर तैयार कंपोस्ट से किसानों को फायदा मिलने तक की हवा हवाई बातें भी हुई, लेकिन साल भर बीतने के बावजूद प्लांट चलाने वाली एजेंसी एकेसी लिमिटेड यहां बनने वाले प्रोडक्ट्स की बिक्री के लिए मार्केट नहीं ढूंढ सकी। प्लांट में बनने वाले कंपोस्ट और फ्लप (एक तरह का फ्यूल) को खरीदने के लिए खरीददार ही नहीं है। जो हैं वे भी रेगुलर परचेजर्स नहीं हैं। प्लांट शुरू करते समय ही एजेंसी की ओर से तैयार माल को बेचने के लिए प्रॉपर मार्केट की तलाश्ा ही नहीं की जा सकी.
नहीं है पूरे इंतजामप्लांट में तैयार होने वाले कंपोस्ट और फ्लप को प्रॉपर तरीके से रखने के इंतजाम भी नाकाफी हैं। प्लांट में कंपोस्ट के अलावा फ्लप का प्रोडक्शन फ्यूल के तौर किया जाता है। कंपोस्ट बेचने के लिए एजेंसी को मार्केट नहीं मिल सका। वहीं जिस फ्लप के लिए भूले भटके खरीददार मिल भी जाते हैं, वह भी कुछ महीनों बाद बारिश का सीजन शुरू होते ही गायब हो जाएंगे। वजह कूड़े से बने इन प्रोडक्ट्स को पानी-सीलन से बचाने के लिए एजेंसी ने कारगर तरीके नहीं अपनाए है। बारिश के दौरान कंपोस्ट और फ्लप को सेफ रखने के लिए एजेंसी की ओर से स्टोर ही नहीं बनाया गया है।
शहर के कूड़े को प्रोसेस करने और इससे कंपोस्ट व फ्यूल बनाने के अपने प्राइमरी मिशन में ही फेल प्लांट की एजेंसी अब निगम को नए प्रोडक्ट्स के सब्जबाग दिखा रही है। फ्राइडे को निगम में आए प्लांट के ओनर ने मेयर और अपर नगर आयुक्त के साथ हुई बातचीत में अपने नए प्रोडक्ट्स की चर्चा की। इनमें प्लांट में जल्द ही प्रोसेस कूड़े से चारकोल बनाए जाने और फैक्ट्री में यूज होने वाला फर्निश ऑयल बनाने की योजना है। इसके लिए एजेंसी ने बैंक से फ्0 करोड़ रुपए का लोन भी पास करा निगम को इंफॉर्म कर दिया है। एजेंसी का तर्क नए प्रोडक्ट्स से प्लांट की हालत सुधारने की है। प्लांट में बनने वाले कंपोस्ट और फ्यूल के लिए मार्केट ही नहीं है। खरीददार न होने से प्लांट को अपने खर्चे उठाने में प्रॉब्लम आ रही है। फ्यूल को सीलन से बचाने के भी पूरे इंतजाम नहीं हैं। प्लांट सिर्फ 8 घंटे ही चलाया जा रहा है। एजेंसी की नए प्रोडक्ट्स बनाकर प्लांट की हालत सुधारने की योजना है। - डॉ। आईएस तोमर, मेयरपरफॉर्मेस में रहा फेल
निगम से मिली जमीन पर तैयार इस प्लांट का पहला मकसद शहर से रोजाना निकलने वाले करीब फ्00 मीट्रिक टन कूड़े को ठिकाने लगा था। शुरुआती दौर में प्लांट में ख्भ्0 मीट्रिक टन तक कूड़े को प्रोसेस करने का रिकार्ड भी बना, लेकिन धीरे धीरे यह परफॉर्मेस कूड़े के ढेर में ही दब कर रह गई। कूड़े को प्रोसेस करने से लेकर कंपोस्ट और फ्लप बनाने तक के हर लेवल में प्लांट की वर्किंग एवरेज लाइन को भी न छू सकी। परफॉर्मेस खराब होने की वजह से ही प्लांट को अपनी ऑपरेशनल कॉस्ट निकालने में भी पसीने छूट रहे। जरूरत से कम स्टाफप्लांट में कूड़ा प्रोसेस करने से कंपोस्ट बनाने वाली मशीनों की एफिशिएंसी ख्ब् घंटे में 700 मीट्रिक टन से ज्यादा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से प्लांट में क्भ्0 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा प्रोसेस नहीं किया जा रहा। ख्ब् घंटे के बजाए प्लांट में महज 8 घंटे ही काम चल रहा है। ऐसे में एक साल में ही प्लांट की एफिशिएंसी उम्मीद के वन फोर्थ भी न रह गई। वहीं शुरुआती दौर में प्लांट में 70 कर्मचारी अप्वाइंट किए गए थे, जिनकी तादाद मौजूदा समय में करीब फ्भ्-ब्0 ही रह गई है। वहीं सोर्सेज के मुताबिक प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले फ् महीनों से सेलरी नहीं मिली है।
बदहाल ही रहा बाकरगंज प्लांट शुरू होने की सबसे ज्यादा खुशी की लहर शहर में बाकरगंज एरिया के लोगों को हुई। प्लांट बनने से पहले तक निगम शहर का सारा कूड़ा बाकरगंज में ही गिराया जाता था। जिससे इस एरिया में टनों कूड़े का पहाड़ तो लगा ही, यहां के लोगों की सेहत पर भी संकट छा गया। प्लांट बनने के बाद शुरुआती महीने तो शहर का कूड़ा प्लांट में ही प्रोसेस होने को गया, लेकिन प्लांट का सिस्टम फेल्योर होने के बाद एक बार फिर से शहर का कूड़ा उठाने वाले ट्रकों का रूख बाकरगंज की ओर मोड़ दिया गया। प्लांट की परफॉर्मेस खराब होने से निगम ने भी प्लांट में कूड़े का पहाड़ खड़ा करने के बजाए बाकरगंज में ही कूड़ा ि1गरवाने में भलाई समझी। कागजों में तैयार नए सब्जबाग