पोल खोलने वाली जांच पर आंच
नगर निगम में हुए तमाम घोटाले-फर्जीवाड़ों की जांच ठंडे बस्ते में
चुनाव की तैयारियों में फ्यूल, फर्जी नौकरी व सराय के मामले दबे BAREILLY: लोकसभा चुनाव की तैयारियों का असर नगर निगम के करप्शन की पोल खोलने वाली जांचों पर भी असर डाल रहा है। महीनों पुराने फर्जीवाड़े और घोटालों के मामले में कोई कार्रवाई न होने पर निगम के जिम्मेदार यही वजह गिना रहे। पिछले दो महीनों में निगम में हुए एक के बाद एक हुए घपलों की फेहरिस्त ने भी आला अफसरान को नींद से नहीं जगाया। हर घोटाले में जांच के निर्देश देकर कागजी फाइलों में ही जिम्मेदार पसीने बहा रहे। आचार संहिता की आड़ में निगम में हुए यह तमाम घोटाले भी आदर्श कटेगरी में आ गए हैं, जिन पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चुप्पी साध ली गई। फ्यूल फ्रॉड की जांच फेलनिगम के डीजल से लाखों का मुनाफा कमाने वाले घोटालेबाज ख् महीने बाद भी कार्रवाई के घेरे से बचे हैं। ख्फ् जनवरी को निगम में फ्यूल फ्रॉड का खुलासा होने के बाद इस पर जांच की फॉर्मेलिटी शुरू हो गई। फ्क् जनवरी को नगर आयुक्त ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। जिसके कुछ दिन बाद नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने जांच कमेटी से खुद को अलग कर लिया। तब से अब तक लाखों रुपए के डीजल घोटाले में न तो जांच ही पूरी हो सकी और न ही किसी घोटालेबाज का सुराग हाथ लगा।
फर्जी नौकरी की जांच डूबी निगम में फर्जी एफिडेविट के बेसिस पर पक्की नौकरी लगाने वाले घोटालेबाजों का भंडाफोड़ नहीं हो सका। नगर स्वास्थ्य विभाग में फ् मार्च को फर्जी नौकरी का खुलासा उजागर हुआ। मनीष नाम आरोपी युवक ने फर्जी एफिडेविट पर मृतक आश्रित कोटे के तहत निगम में नौकरी पक्की कर ली। जबकि उसकी मां तीन साल से निगम में ही स्थाई सफाई कर्मचारी पद पर काम कर रही थी। मामले में फर्जीवाड़ा पकड़ आने पर आरोपी की नौकरी तो रद्द कर दी गई, लेकिन जांच में बाबुओं की न तो शिनाख्त हुई और न ही उनके खिलाफ कार्रवाई। सरायों के कब्जे पर चुप्पीतमाम घोटालों की जांच ठंडे बस्ते में डालने वाले निगम के जिम्मेदार सरायों पर अवैध कब्जों पर भी बेसुध रहे। निगम की भ्ब् सरायों पर भूमाफियाओं के कब्जे और अवैध निर्माण पर निगम सालों तक सोता रहा। सरायों से वसूली के दौरान यहां हुए घोटाले की मोटी परतें खुलकर सामने आई। इन सरायों से निगम को करीब क्ख् लाख रुपए की वसूली का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरायों पर हुए घपले में निगम के जिन कर्मचारी-अधिकारियों की मिलीभगत रही उनके खिलाफ जांच ही नहीं शुरू की जा सकी।
नकारा कर्मचारियों का मामला ठंडा निगम में ड्यूटी करने के नाम पर घर बैठे महीने की पूरी पगार डकारने वाले क्भ् कर्मचारियों का मामला भी ठंडा पड़ गया। बैकलॉग कोटे के तहत नौकरी पर रखे गए इन क्भ् कर्मचारियों को मेयर हाउस से अटैच्ड किया गया था। कंप्लेन में पता चला कि यह कर्मचारी ड्यूटी किए बगैर ही अपनी पूरी सेलरी ले रहे थे। वहीं आरोप लगे कि इसके एवज में कर्मचारी हर महीने भ् हजार रुपए की घूस दे अपनी नौकरी पर लगे हुए थे। नगर आयुक्त ने निगम के पुराने अधिकारियों को नोटिस जारी कर इस घोटाले की जांच के निर्देश दिए। जो अब तक फाइलों में बंद हैं। निगम में जिन मामलों में फर्जीवाड़ों की कंप्लेन मिली उनकी जांच कराई जा रही है। सरकारी काम काज होने की वजह से थोड़ा समय लग रहा है। चुनाव की वजह से भी जांच में थोड़ी देरी हो रही है। जो दोषी है उनके खिलाफ कार्रवाई तय है। - उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त