Bareilly: एडमिनिस्ट्रेशन आंवला में एयरपोर्ट के लिए जमीन मुहैया करने का प्रपोजल शासन को भेज चुका है. इसके साथ ही ये पॉसिबिलिटीज और स्ट्रॉन्ग हो जाती हैं कि एयरपोर्ट आंवला में बन सकता है. सिटी के करीब मिलने वाली यह सुविधा 40 किमी दूर छिटक रही है. एयरपोर्ट सिटी में बनता तो बरेलियंस के लिए न सिर्फ टाइम सेविंग और सिक्योर ऑप्शन होता बल्कि क्राइसेज मैनेजमेंट के लिए कई दरवाजे खुले रहते.


पेशेंट्स के लिए होता फायदेमंद जानकार मान रहे हैं कि त्रिशूल एयरबेस के पास प्रस्तावित एयरपोर्ट का प्लान अगर पास होता तो क्राइसेज मैनेजमेंट को हाइप मिल जाता। फ्लाइट के दौरान फायर, टेक्नीकल फॉल्ट और पैसेंजर्स की तबियत खराब होने की स्थिति से निपटने के लिए बरेली बेहतर ऑप्शन हो सकता था। प्लेन या पैेसेंजर्स के साथ प्रॉब्लम आने पर उनका तत्काल समाधान आसान हो जाता। पेशेंट की नाजुक कंडीशन में एक-एक पल कीमती होता है, ऐसे में पेशेंट्स को आंवला से बरेली लाने में जिंदगी पर सवालिया निशान लग सकता है। सिंगल अंधेरी रोड है unsecure


सिटी में एयरपोर्ट बनने पर सिक्योरिटी प्वॉइंट ऑफ व्यू का बेनीफिट भी बरेलियंस को मिलता। दरअसल आंवला जाने के लिए बदायूं रूट से निकलना पड़ता है। यह रूट लगभग 40 किमी लंबा सिंगल रोड है। जो हचको से भरा हुआ है। इतना ही नहीं इस रूट पर दो रेलवे क्रॉसिंग भी है। रात में फ्लाइट पकडऩा ज्यादा दुश्वार होगा, क्योंकि रोड पर लाइटिंग की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। कुल मिलाकर ये रूट सिक्योरिटी के लिहाज से पैसेंजर्स के लिए मुफीद नहीं है।    बरेली है महत्वपूर्ण centre

सेंटर सिटी होने का बेनीफिट भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बरेली, लखनऊ और दिल्ली रूट पर महत्वपूर्ण सेंटर है। शाहजहांपुर, पीलीभीत, बहेड़ी, हल्द्वानी, रामपुर और नैनीताल के लिए बरेली से फ्लाइट पकडऩा सुगम है। बरेली से शाहजहांपुर 81 किमी, पीलीभीत 53 किमी, बहेड़ी 50 किमी, हल्द्वानी 90 किमी और नैनीताल 126 किमी का डिस्टेंस है। ऐसे में रेजिडेंट्स का सफर मुश्किल नहीं होता।त्रिशूल एयरबेस के पास बनने का था proposalत्रिशूल एयरबेस के बगल में एयरपोर्ट का प्रपोजल था। ये प्रपोजल 16 साल पुराना है। योजना ये थी कि त्रिशूल एयरबेस के पास में एयरपोर्ट बनना था। इसके लिए हवाई पट्टी त्रिशूल एयरबेस की ही यूज की जानी थी। भवन मुडिय़ा, अहमद नगर और धावडऩगर की भूमि को अधिग्रहीत करके एयरपोर्ट बनना था। हवाई पट्टी के अलावा भवन निर्माण भी होना था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अगस्त 1997 को शिलान्यास भी किया था। मयूर वन चेतना में इसका शिलापट भी लगा हुआ है। हालांकि त्रिशुल एयर बेस की हवाई पट्टी पर प्लेन उतारने की एनओसी न मिलने के बाद ये प्रपोजल अधर में अटक गया था। नहीं हैं कनवेंस के other option

लास्ट मोमेंट्स पर अक्सर फ्लाईट कैंसल या डीले हो जाना एक नॉर्मल बात है। अगर आंवला में इलेवेंथ आवर पर ऐसी सिचुएशन रेजिडेंट्स को फेस करनी पड़ें, तो कनवेंस के अदर ऑप्शन न के बराबर है। रेजिडेंट्स को अदर ऑप्शन के लिए बरेली सिटी ही वापस आना पड़ेगा। ऐसे में अगर एयरपोर्ट की सौगात सिटी में होती, तो फ्लाइट कैंसल या डीले होने के बाद ट्रेन या वाया रोड जाने के बेहतर ऑप्शन सिटी से आसानी से उपलब्ध है।टाइम सेविंग के लिए कितना बेनीफिटटाइम सेविंग के बेनीफिट को समझाने के लिए हम रामपुर गार्डन के निवासी का ऑप्शन ले सकते हैं।  By train-रामपुर गार्डन से जंक्शन जाने में लगते हैं करीब 20 मिनट  -सुपरफास्ट ट्रेन से दिल्ली तक पहुंचने में 4:30 घंटे लगते हैं । -रामपुन गार्डन, बरेली से दिल्ली तक जाने में कुल करीब पांच घंटे लगते हैं।    By aeroplane-रामपुर गार्डन से आंवला एयरपोर्ट करीब एक घंटा, दो रेलवे क्रॉसिंग बंद होने पर दो घंटे लग सकते हैं।-एयरपोर्ट पर बोर्डिंग पास, लगेज हैंड ओवर, सिक्योरिटी चेक और प्लेन तैयार होते-होते दो घंटे।-प्लेन से दिल्ली पहुंचने में 35 मिनट-अगर पूरा समय काउंट करें तो 4:35 मिनट
शहर में एयरपोर्ट बनने पर बरेलियंस को कई फायदे होंगे। वहां तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इसके लिए पहले भी तीन गांवों का अधिग्रहण होना था। चूंकि ये केंद्र का मसला है। मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन का दौरा भी यहां प्रस्तावित है। ऐसे में फाइनल डिसीजन तो उन्हीं को लेना है। - प्रवीण सिंह ऐरन, सांसदआंवला का ऐतिहासिक महत्व है। शहर से इसकी दूरी 36 किमी है। बदायूं से 30 किमी, रामपुर से 35 किमी और आंवला से इसकी दूरी सिर्फ 6 किमी रहेगी। 16 साल से ये मामला लटका हुआ था। हमारा प्रयास है कि शहर को जितनी जल्दी हो सके, एयरपोर्ट की फैसिलिटी मिल जाए। हमने प्रस्ताव तैयार करके भेज दिया है। इसके बाद की प्रक्रिया तो शासन को तय करनी है। - अभिषेक प्रकाश, डीएम मेरी नजर में फैसिलिटी मैटर करती है, डिस्टेंस नहीं। फिलहाल लाल फाटक पर जिस तरह से जाम लगता है, वहां फंसने की कंडीशन में बरेलियंस को प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है। लाल फाटक पर फ्लाई ओवर बन जाए तो काफी ईजी हो जाएगा।- सुमित अग्रवाल, आर्किटेक्टएयरपोर्ट बनाने के लिए काफी बड़ा एरिया रिक्वायर्ड होता है। अगर शहर के पास इतना बड़ा एरिया उपलब्ध होता है तो शहरवासियों के लिए ये बेहतर ऑप्शन हो सकता है। चूंकि शहर को इस वक्त एयरपोर्ट की सख्त रिक्वायरमेंट है। इसलिए शहर या आंवला जहां भी बने, मगर बन जाना चाहिए।  - वसीम बरेलवी, शायर
खुशी ये है कि एयरपोर्ट बन रहा है। मगर ज्यादा खुशी होती अगर शहर के करीब बन जाता। देर से ही सही लेकिन ठंडे बस्ते में गई बात फिर निकल कर आई है। हालांकि अगर ये सिटी में बनता तो बरेली के इंडस्ट्रियल एरिया भोजीपुरा, परसाखेड़ा से होने वाले एक्सपोर्ट को बहुत फायदा मिलता। अब वह 40 किमी दूर जाएंगे। - अजय शुक्ला, प्रेसिडेंट भोजीपुरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन यहां से एयरपोर्ट का यूज दिल्ली, लखनऊ जाने वालों के लिए है.  अगर आपको जाना है तो आंवला के रास्ते में ही 1:30 घंटे लग जाएंगे। इससे तो अच्छा सुपरफास्ट ट्रेन से बंदा चला जाएगा। आंवला में एयरपोर्ट का कोई औचित्य नहीं है। - भारत भूषण, आईआईए केंद्रीय सचिव

Posted By: Inextlive