वादाखिलाफी नहीं, ये पब्लिक है..
- वादा पूरा करने वाले उम्मीदवार को ही चुनें
- आखिर कब तक लड़ते रहेंगे अपने अधिकारों के लिए BAREILLY: चुनाव में वादों की बौछार होना अब आम सी बात हो गई है। नेता जी भी वादों का ब्रिज बनाने से नहीं हिचकिचाते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि वादा करने में कुछ नहीं लगता है। रही बात उसे पूरा करने की तो ये समय के साथ किताब के पन्ने में इतिहास की तरह दर्ज हो जाता है। इसे पूरा करने के लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए, जो चुनाव के बाद कहीं गुम हो जाती है। और यहीं से शुरू होती है नेताजी का सियासी सफर, लेकिन ये सब कब तक चलेगा। नेता जी, ये पब्लिक सब जानती है। आई नेक्स्ट कैंपेन में शामिल अगृता, विनती, शालिनी और शिवानी ने वादाखिलाफी को लेकर नेताजी को जमकर कोसा। योजना पर डिस्कशन होसर्वोदय नगर की रहने वाली शालिनी कहती हैं कि जब भी कोई नई गवर्नमेंट बनती है तो उसे एक्स गवर्नमेंट से राय लेनी चाहिए। हालांकि आज के नेता वादाखिलाफी में माहिर हैं। उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा पुरानी योजनाओं पर डिस्कशन करना बेहद जरूरी है। क्योंकि पिछली गवर्नमेंट ने जो विकास की नींव रखी है उसे नई गवर्नमेंट आगे ले जा सके। इतना ही नहीं गवर्नमेंट को पब्लिक की भी राय लेनी चाहिए। ऐसा करना हमारे देश के लिए फायदेमंद रहेगा। पब्लिक की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। पैनल डिस्कशन में शालिनी की बातों पर अगृता ने भी अपनी सहमति दी। वे कहती हैं कि गवर्नमेंट को हर पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
स्टेट गवर्नमेंट की जिम्मेदारी अधिक कैंपेन में शामिल लोगों का कहना था कि किसी भी मायने में सेंट्रल गवर्नमेंट की अपेक्षा स्टेट गवर्नमेंट की जिम्मेदारी अधिक बनती है। स्टेट गवर्नमेंट अपने स्टेट की प्रॉब्लम्स को अच्छे से समझ सकती है। पानी, सड़क, और पार्किंग जैसे गंभीर मसले पर अच्छे से अरेंजमेंट्स कर सकती है। सन सिटी की रहने वाली विनती की मानें तो एजुकेशन के क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है। एक एजुकेटेड व्यक्ति ही खुद और कंट्री के विकास के बारे में अच्छे से सोच सकता है। ट्रेडीशनल रीडिंग की अपेक्षा टेक्निकल रीडिंग पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आप भी करिए अपने मुद्दे का चुनावआई नेक्स्ट की ओर से आयोजित किया जा रहा कैंपेन ' हैं तैयार हम' में आप भी शामिल होइए। कैंपेन के जरिए आप भी अपने मुद्दे को समाज के सामने ला सकते है। आपकी आवाज को हम गवर्नमेंट तक पहुंचाने का वादा करते हैं। तो देर किस बात की कैंपेन में शामिल होइए और कर डालिए अपने मुद्दे का चुनाव।
समाज के सभी ज्वलंत मुद्दों पर काम करने की जरूरत है। महिलाओं की सुरक्षा की बात हो या फिर बेरोजगारी दूर करने की। मंत्री अगर 50 परसेंट भी काम करें तो देश के हालात काफी अच्छे हो जाएंगे। अगृता, मेगा सिटी एक उम्मीदवार से सभी की यही अपेक्षा होती है कि, वह समाज व देश के लिए कुछ करे, लेकिन पिछले कुछ सालों में विकास के नाम पर नतीजा सिफर ही रहा है। विनती, सन सिटी गवर्नमेंट को सुनियोजित तरीके से काम करने की जरूरत है। योजना बनाने से कुछ नहीं होता है। प्लान पर काम करने की जरूरत है। अगर व्यवस्थित तरीके काम हुआ तो देश की स्थिति कुछ और हो सकती है। शालिनी, सर्वोदय नगर Ballot byteसमाज में रह रहे सभी व्यक्तियों को जीने का अधिकार है। गवर्नमेंट को उनके अधिकारों कोहनन का कोई हक नहीं हैं, लेकिन गवर्नमेंट तमाम हथकंडे अपना कर व्यक्ति से उसके जीने का हक भी छीन रही है। आलम यह है कि जिनके पास पैसा और पावर नियम तोड़ने से बाज नहीं आते। यहां तक कि पुलिस, एडमिनिस्ट्रेशन व गवर्नमेंट भी उनके साथ खड़ी नजर आती है, लेकिन जो लोग अनपढ़ या फिर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वो दिन व दिन और कमजोर होते जा रहे हैं। उनकी बात दबा दी जाती है। लोगों को अपने अधिकार के लिए सिस्टम से लड़ना होगा, लेकिन सवाल उठता है कि कब तक। आजादी के इतने वर्षो बाद भी असमानता की खाई पट नहीं रही है। पब्लिक और गवर्नमेंट से कहां चूक हो रही है। अबकी बार लोकसभा इलेक्शन में हमें अपने अधिकारों यानि वोट का सोच समझ कर इस्तेमाल करने की जरूरत है। एक ऐसे उम्मीदवार का चयन करने की जरूरत है, जो सबकी भलाई की सोचे न कि स्वार्थ निहित के लिए पब्लिक का हक छिनने का प्रयास करता हो।
- शिवानी, स्टूडेंट सिविल लाइन