स्टेडियम में इनडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स बनाने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़े अधिकारियों की लापरवाही
(बरेली ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़े अधिकारियों की कार्यप्रणाली कितनी स्मार्ट है, यह स्टेडियम में वेटलिफ्टिंग हॉल की टूटी छत बयां कर रही है। इस मिशन के तहत ही स्टेडियम में एक इंडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स बनना है। इसके निर्माण के लिए ही वेटलिफ्टिंग हाल की छत पर कई दिनों तक घन बरसाए गए। आधी छत तुड़वाने के बाद ही अधिकारी समझ पाए कि यहां उनके प्रोजेक्ट के लिए जगह कम पड़ जाएगी। इसके बाद टूटी छत को छोडक़र कांप्लेक्स बनाने के लिए स्टेडियम परिसर में ही दूसरी जगह तय की गई और वहां निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया गया। अब टूटी छत को फिर से बनाने की बात कही जा रही है।
9.6 करोड़ का है स्पोट्र्स कांप्लेक्स
स्मार्ट सिटी के बजट से ही स्टेडियम में दो साल पहले एक नया इंडोर स्टेडियम कांप्लेक्स बनना प्रस्तावित हुआ। बाद में इसके लिए 9.6 करोड़ रुपया सेंक्शन हो गया। टेंडरिंग की लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार स्टेडियम में निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। इसके निर्माण के लिए पहले जिम्नेजियम के बराबर वाली जगह सिलेक्ट की गई थी। यहां जगह कुछ कम होने पर ही अधिकारियों ने वेटलिफ्टिंग हॉल के पीछे के कमरों को हटाने की जरूरत महसूस की और इनमें से एक कमरे की छत भी तुड़वाना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि इन कमरों के टूटने के बाद भी कांप्लेक्स के लिए पर्याप्त जगह नही होगी तो उन्होंने, इसके लिए दूसरी जगह की जरूरत बताई। इसके बाद स्टेडियम के पीछे लॉन टेनिस कोर्ट के बराबर वाली जगह फाइनल की गई और यहां निर्माण कार्य शुरू कराया गया।
फिर से डाला जाएगा लिंटर
गफलत में वेटलिफ्टिंग के जिन कमरों की छत तोड़ दी गई थी, उनमें अब फिर से लिंटर डालने की बात कही जा रही है। यह छत कब पड़ेगी यह तो पता नहीं, पर इस लापरवाही से बिल्डिंग को भी नुकसान हुआ और बजट का भी। कमरों की आधी छत को तोडऩे के लिए चलाए गए घन और हैवी ड्रिलर के वाइब्रेशन से बची हुई आधी छत भी कमजोर होने की बात कही जा रही है।
वेल फर्निश्ड रूम टूटने का मलाल
वेट लिफ्टिंग के जिस रूम की छत तोड़ी गई है, उसमें वेट लिफ्टर्स अपनी प्रेक्टिस किया करते थे। इसके लिए रूम में प्लेटफार्म भी तैयार थे और रूम वेल फर्निश्ड था। छत टूटने से रूम भी बेकार हो गया और प्लेयर्स को दूसरे रूम में बेकार हो चुके प्लेटफार्म पर प्रेक्टिस करनी पड़ रही है। इससे प्लेयर्स को भी परेशानी उठानी पड़ रही है और उन्हें इसका मलाल भी है।
वर्जन
स्मार्ट सिटी स्कीम के तहत बनने वाला इंडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स पहले जिम्नेजियम के बराबर में ही बनना प्रस्तावित था। यहां जगह कम होने पर जिम्नेजियम के पीछे बने वेटलिफ्टिंग रूम्स को तोड़ा जा रहा था, पर बाद में कांप्लेक्स के लिए ज्यादा जगह की जरूर बताई गई तो, उसके लिए दूसरी जगह तय कर ली गई। जिन कमरों की छत टूटी है उसमें दोबारा लिंटर पड़ेगा।
जितेन्द्र यादव, आरएसओ