Bareilly: इंडियंस के 69 हजार करोड़ रुपए हर साल सिर्फ छोटे-मोटे इंफेक्शन के इलाज में खर्च हो जाते हैं. इससे वह अपनी डे-टू-डे की हैबिट्स में छोटे चेंजेज कर बच सकते हैं. यह फैक्ट्स लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्टडी ' द लाइफ बॉय कॉस्ट ऑफ इंफेक्शन स्टडीÓ में सामने आए हैं. ये फिगर साल 2012 में भारत के हेल्थ बजट 34488 करोड़ रुपए का लगभग दो गुना है. ऐसे में यह क्लीयर हो जाता है कि हाइजीन के मामले में इंडियंस कितने केयरलेस हैं. अगर हम अपनी रूटीन में कुछ चेंजेज कर लें तो इससे बच सकते हैं.


162 करोड़ working days effectedइस स्टडी में यह फैक्ट सामने आया कि छोटे-मोटे इंफेक्शसं की वजह से भारत में हर साल 38 करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं। इस वजह से 162 करोड़ वर्किंग डेज प्रभावित होते है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे डे-टू-डे हायजीन पर ध्यान न देने की वजह से देश को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर रिसर्च की मानें तो जब भी फैमिली का कोई मेंबर बीमार पड़ता है तो उसके ट्रीटमेंट में एवरेज एक बार का खर्च लगभग 977 रुपए आता है जो कि इयरली 8814 रुपए पर फैमिली पहुंच जाता है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के सीईओ नितिन परांजपे ने बताया कि इस स्टडी के अकॉर्डिंग पांच से पंद्रह साल की एज ग्रुप के हर तीन में दो बच्चों को हर दो महीने में एक बार इंफेक्शन जरूर होता है। इसकी वजह उनकी स्कूलिंग काफी प्रभावित होती है।


कारगर है hand wash करना

डॉक्टर्स मानते हैं कि छोटे-मोटे इंफेक्शन से बचने के लिए रेगुलरली सोप से हैंड वॉश करना काफी असरदार साबित होता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर मेम्बर डॉ। पीके गुप्ता कहते हैं कि साबुन से हाथ धोने की सजेशन भले ही पुरानी लगे पर है कारगर। हमारे देश में आज भी लोगों में खाने से पहले हाथ धुलने का चलन नहीं है। इस वजह से कई कम्युनिकेबल डिसीजेज फैलती हैं। हम लोगों को रिकमेंड करते हैं कि खाने से पहले हाथों को कम से कम 30 सेकेंड तक अच्छी तरह साबुन से वॉश करें। वहीं सोप सलेक्ट करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कारबोलिक एसिड जरूर हो। इससे बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं।मुंह की गंदगी से infectionपीडिएट्रीशन एमएम अग्रवाल के अकॉर्डिंग हायजीनिक प्रॉब्लम से बचाव के लिए हैंड वॉशिंग के साथ मुंह की सफाई भी नितांत जरूरी होती है। अगर मुंह और दांत की उचित सफाई नहीं होगी तो मुंह की गंदगी से फूड भी इंफेक्टेड होकर पेट में जाता है। ये इंफेक्शन कई बीमारियों का कारक होता है। Hygienic problems  के लिए हम खुद responsible   

पीडिएट्रीशियन की मानें तो हर बीमारी के पीछे का कारण अनहाइजेनिक लाइफ स्टाइल ही होती है। हाइजीन प्रॉब्लम्स का सबसे बड़ा कारक रेजिडेंट्स की इधर-उधर खुले में थूकने की आदत है। इस आदत की वजह से सर्वाधिक इंफेक्शन फैलता है। खुले में कूड़ा फेकने से भी इंफेक्शन फैलता है। बच्चों में इससे अस्थमा, निमोनिया, दमा, डायरिया, फ्लू, टायफाइड, पीलिया, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां अनहाइजीन के कारण होती हैं। बाहर के खाने में हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि यहां ज्यादा साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसे में प्रॉब्लम बढ़ जाती है। Tips for fitness-खुले में इधर-उधर न थूकें, इंफेक्शन फैल सकता है।  -घर का कूड़ा कूड़ेदान में ही डालें। -खुले में यूरीन रिलीज न करें, यह खतरनाक है.   -नालियों में कूड़ा न डालें, इसमें मच्छर पनप सकते हैं। -पॉलीथिन का कम से कम यूज करें।-सप्लाई का पानी बिना बॉयल किए यूज न करें।-बच्चों के नेल्स टाइम-टू-टाइम कट करते रहें।-टूथ ब्रश ठीक से करें।-बच्चों के खिलौनों की हाईजीन की स्पेशल केयर करें।हाइजीन से रिलेटेड प्रॉब्लम्स के लिए हम खुद रिस्पॉन्सिबल हैं। इसके लिए हमें अपनी हैबिट्स सुधारनी होंगी। सिटी की क्लीन और ग्रीन रख कर ही इस तरह की प्रॉब्लम्स से बचा जा सकता है। इसकी शुरूआत हमें अपने घरों से ही करनी होगी।- डॉ। अतुल कुमार अग्रवाल, पेडियाट्रीशियन

 

Posted By: Inextlive