सिर्फ कागजों में पानी 'उगल' रहे एडवांस्ड ट्यूबवेल
-शहर के 25 ट्यूबवेल को साल भर पहले किया जाना था ऑटोमेटेड
-न सॉफ्टवेयर डेवलेप हुआ न बना कंट्रोल रूम, शासन ने लगाई जांच -एजेंसी को कर दिया 28 लाख भुगतान, नगर आयुक्त ने फाइल तलब शहर के ख्भ् ट्यूबवेल को साल भर पहले किया जाना था ऑटोमेटेड -न सॉफ्टवेयर डेवलेप हुआ न बना कंट्रोल रूम, शासन ने लगाई जांच -एजेंसी को कर दिया ख्8 लाख भुगतान, नगर आयुक्त ने फाइल तलबBAREILLY: BAREILLY: फर्जीवाड़े और गड़बडि़यों के मामलों में साख पर काफी बट्टा लगा चुके जलनिगम की एक और कारगुजारी सामने आई है। जलनिगम के जिम्मेदारों ने शहर में ख्भ् ट्यूबवेल को ऑटोमेटेड सिस्टम से जोड़ने की कवायद फाइलों में ही निपटा दी। बिना काम कराए ही जिम्मेदारों ने एजेंसी को ख्8 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया। पिछले एक साल से शहर के यह ख्भ् ट्यूबवेल ऑटोमेटड मोड में होने की राह ताक रहे हैं। इनमें से कई ट्यूबवेल तो लापरवाही के चलते खराब भी हो गए। फिलहाल जलनिगम की इस कारगुजारी की शिकायत शासन से की जा चुकी है, जिस पर शासन निगम से मामले की जांच करने को कहा है।
नहीं हुए आॅटोमेटेडसाल भर पहले शहर के ख्भ् ट्यूबवेल को ऑटोमेटिक फंक्शन के तहत एडवांस्ड किए जाने की कवायद शुरू हुई, जिसमें ट्यूबवेल को ऑटोमेटिक डिवाइस से जोड़ा जाना था। इस व्यवस्था में ट्यूबवेल अपने आप तय समय पर खुद ही स्विच ऑन व ऑफ होकर पानी की सप्लाई करते। जलनिगम की ओर से इसके लिए एजेंसी को हायर किया गया। लेकिन एजेंसी की ओर से साल भी बाद भी किसी ट्यूबवेल को ऑनलाइन सिस्टम से नहीं जोड़ा गया।
बिना काम दिए ख्8 लाख जलनिगम की ओर से इन ख्भ् ट्यूबवेल को ऑटोमेटेड किए जाने की योजना में ब्8 लाख रुपए का बजट पास हुआ। इस प्रोजेक्ट के तहत सभी ट्यूबवेल को ऑटोमेटेड सिस्टम से लैस कर कंट्रोल रूम से जोड़ा जाना था, जहां से इन्हें संचालित किया जाता। लेकिन सॉफ्टवेयर में दिक्क्त होने से एजेंसी की ओर से न तो कंट्रोल रूम बनाया गया और न ही कम्प्यूटर सिस्टम से ट्यूबवेल को जोड़ा गया। बावजूद इसके जलनिगम की ओर से एजेंसी को ख्8 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। कई जगह फुंके ट्यूबवेलऑटोमेटेड सिस्टम से जोड़े जाने वाले ट्यूबवेल में स्टेबिलाइजर भी लगाए जाने थे, जिससे बिजली के फ्लकच्युएशन के दौरान ट्यूबवेल को फुंकने से बचाया जा सके। लेकिन स्टेबिलाइजर न लगे होने से कई जगहों पर ट्यूबवेल की मोटर फुंक गई। वहीं कई ट्यूबवेल की बोरिंग खराब हो गई और जनता को परेशानी उठानी पड़ी। विभाग को शिकायतें मिलने के बाद जिम्मेदारों ने ट्यूबवेल की रि-बोरिंग कराई। अफसरान की लापरवाही का खामियाजा जनता के साथ ही निगम के कोष को भी भुगतना पड़ा।
नगर आयुक्त ने तलब की फाइल इस फर्जीवाड़े में शासन से जांच के निर्देश मिलने के बाद नगर आयुक्त शीलधर सिंह यादव ने भी संज्ञान लिया। नगर आयुक्त ने जलकल विभाग के जीएम से मामले की फाइल तलब कर ली। वहीं नगर आयुक्त ने जलकल के एई आरवी राजपूत से कंट्रोल रूम बनाए जाने पर सवाल किए। एई ने नगर आयुक्त को निगम परिसर में कंट्रोल रूम बनाए जाने के झूठे तथ्य भी बता दिए। नगर आयुक्त ने इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल इंजीनियर्स के खिलाफ जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोषियों से रिकवरी कराए जाने के निर्देश दिए हैं। ट्यूबवेल को ऑटोमेटिक सिस्टम से जोड़े जाने के मामले में गड़बडि़यां मिली हैं। शासन की ओर से जांच के आदेश मिले हैं। मामले से जुड़े सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच व दोषी पाए जाने पर रिकवरी के निर्देश दिए गए हैं। - शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त