घूसखोर के खिलाफ कार्रवाई, 6 महीने तक लटकाई
-स्वास्थ्य विभाग में मुख्य सफाई इंस्पेक्टर 70 हजार रुपए घूस लेने के आरोप
-सफाई कर्मचारी को कार्यवाहक सफाई नायक बना डाला, डीएम से कंप्लेन -जांच में दोषी सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ जुलाई 2014 से कार्रवाई नहीं >BAREILLY:करप्शन, धांधली और फर्जीवाड़े के चलते सुर्खियों में छाए नगर निगम के विभागों में जैसे विवादों के लिए आपसी होड़ मची है। टैक्स और निर्माण विभाग के फर्जीवाड़ों से निगम के खिलाफ नाराजगी कम भी न हुई है कि अंदरूनी विवादों से घिरे स्वास्थ्य विभाग में घूसखोरी का मामला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग काएक मुख्य सफाई इंस्पेक्टर 70 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में गुनगहगार पाया गया है। जिसकी जांच जिला प्रशासन के आदेश पर की गई थी, लेकिन फर्जीवाड़ा सिर्फ घूसखोरी के मामले तक ही नहीं टिका। मामले में दोषी पाए गए मुख्य सफाई इंस्पेक्टर जांच रिपोर्ट गायब हो जाने से म् महीने से ज्यादा समय तक कार्रवाई से बचे हैं।
सफाई नायक की कीमत 70 हजारनिगम के स्वास्थ्य विभाग के सफाई कर्मचारियों ने क्म् जून ख्0क्ब् को डीएम को एक शिकायती लेटर दिया। जिसमें विभाग के मुख्य सफाई इंस्पेक्टर विमल कुमार मिश्रा के खिलाफ पैसे लेकर वार्ड म् के बैकलॉग सफाई कर्मचारी गोपाल सिंह को उसके वार्ड से हटाकर सीआई पार्क वार्ड 7 में कार्यवाह सफाई नायक बनाने के आरोप लगाए। शिकायत में ऐसा करने के एवज में मुख्य सफाई इंस्पेक्टर ने सफाई कर्मचारी से 70 हजार रुपए की रिश्वत लिए जाने की भी बात थी। कर्मचारियों ने डीएम से स्वास्थ्य विभाग में चल रहे ऐसे घोटाले को रोकने की अपील की थी।
जांच टीम का हुआ गठन डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए क्9 जून को ही नगर आयुक्त को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए। नगर आयुक्त की ओर से मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया। जिसमें एनवायरमेंट इंजीनियर उत्तम कुमार वर्मा और जोनल सेनेट्री ऑफिसर आरके पाराशर को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया। जांच टीम को 7 दिन के अंदर आरोपों की रिपोर्ट सबूतों संग देने के हाई प्रियॉरिटी निर्देश जारी किए गए थे। जिससे कि घूसखोरी के मामले का सच सामने आया। सफाई कर्मचारियों ने दिए एफिडेविटदरअसल जिस सफाई कर्मचारी से 70 हजार रुपए लेकर उसे वार्ड 7 में कार्यवाहक सफाई नायक बनाया गया था, उसी के साथी सफाई कर्मचारियों ने ही इस फर्जीवाड़े को उजागर किया था। मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ आरोप लगाने वाले वार्ड म् के इन सफाई कर्मचारियों ने डीएम को भेजी अपनी शिकायत में बकायदा एफिडेविट तक लगा कर दिए थे। ताकि मामले को गंभीरता से ि1लया जाए।
यूं किया गया फर्जीवाड़ा जोनल सेनेट्री ऑफिसर व इनवायरमेंट इंजीनियर ने ख्8 जून को नगर आयुक्त को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें बताया कि मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ लगे आरोप सही हैं। वार्ड म् के जिस सफाई कर्मचारी गोपाल सिंह से पैसे लिए गए उपस्थिति रजिस्टर में क्ब् जून तक उसके पदनाम कॉलम में सफाई कर्मचारी लिखा था, रजिस्टर में उसके साइन भी थे। वहीं क्म् जून यानि जिस दिन मामले की कंप्लेन की गई उस दिन से जांच रिपोर्ट यानि ख्8 जून तक उपस्थिति रजिस्टर में गोपाल सिंह का पदनाम कार्यवाहक सफाई नायक के तौर पर लिखा गया और साइन मौजूद थे। इन साइन को जोनल सेनेट्री ऑफिसर ने वैरिफिकेशन में सही पाया। इसी दौरान क्म् से ख्8 जून तक वार्ड म् में गोपाल सिंह उपस्थिति रजिस्टर में गैर मौजूद रहे। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि क्म् जून को ही वार्ड 7 में कर्मचारी को कार्यवाहक सफाई नायक का चार्ज दिलाया गया था। म् महीने तक कारर्वाई नहींजोनल सेनेट्री ऑफिसर और इनवायरमेंट इंजीनियर की जांच रिपोर्ट पर ख् जुलाई ख्0क्ब् को नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त को मुख्य सफाई इंस्पेक्टर विमल कुमार मिश्रा के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने की मंजूरी देते हुए नियमानुसार चार्जशीट जारी करने के आदेश दिए। साथ ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश देते हुए कार्रवाई की जानकारी देने को कहा। तब से म् महीने बीत गए नया साल आ गया लेकिन दोषी मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ न तो चार्जशीट ही जारी की जा सकी और न ही कोई कार्रवाई को ही अंजाम दिया जा सका।
फाइल न मिलने की दलील जुलाई में ही आरोपी मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ दोष सबित होने और कार्रवाई के निर्देश जारी होने के बावजूद नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एसपीएस सिंधु चार्जशीट जारी न कर सकें। इस मामले में हुई लेटलतीफी पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कार्रवाई की फाइल गुम होने की दलील दी। जो जिला प्रशासन की ओर से मामले में की गई कार्रवाई का लेटर मिलने के बाद अचानक विभाग को मिली। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के इस बयान में कई खामियां और लापरवाही सामने आ रही है। जिसमें एक और फर्जीवाड़े होने की आशंका है। फिलहाल नगर स्वास्थ्य अधिकारी जिला प्रशासन से मामले में की गई कार्रवाई पर पूछताछ के बाद मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ चार्जशीट जारी कर रहे हैं। ----------------------------मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ डीएम से हुई शिकायत में आरोप सही पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट ने आरोपी इंस्पेक्टर को दोषी पाया। कार्रवाई की फाइल का कहीं पता न चलने से चार्जशीट जारी न की जा सकी। फाइल मिल गई है। मुख्य सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ चार्जशीट जारी की जा रही है। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकारी।