तो बाहरी करेंगे फ्यूल फ्रॉड का पर्दाफाश
निगम में तेल में हुए खेल की आग में मेयर और नगर आयुक्त फिर आमने सामने
नगर स्वास्थ्य अधिकारी की जांच में एक महीने में 6,869 लीटर तेल का फर्जीवाड़ा मेयर कमिश्नर से करेंगे बाहर से जांच कराने की मांग, नगर आयुक्त ने खारिज की रिपोर्टBAREILLY: नगर निगम में हुए फ्यूल फ्रॉड की जांच में एक बार फिर दो बड़े सूरमा आमने सामने नजर आ रहे हैं। निगम में हुए लाखों रुपए के इस तेल घोटाले में निगम की कमेटी जांच रिपोर्ट तैयार करने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हुई है। वहीं कमेटी में शामिल नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी पर्सनल रिपोर्ट में एक महीने में ही कुल म्,8म्9 लीटर डीजल का फर्जीवाड़ा पकड़ा है, जिसकी रिपोर्ट मेयर को सौंप दी है। ऐसे में निगम की प्रशासनिक व्यवस्था में करप्शन की उग आई जड़ों के खिलाफ दम भर रहे मेयर जल्द ही कमिश्नर से मिलने की तैयारी में हैं। मेयर कमिश्नर से मिलकर निगम के इस फ्यूल फ्राड की जांच बाहरी लोगों को देने की संस्तुति करेंगे, जिससे सही जांच रिपोर्ट तैयार हो और फर्जीवाड़े के दोषियों की शिनाख्त कर उन पर कार्रवाई की जा सकें। वहीं दूसरी ओर नगर आयुक्त इस रिपोर्ट की सत्यता को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
फ्0 दिन में म्,8म्9 लीटर डकारा
नगर स्वास्थ्य अधिकारी की पर्सनल रिपोर्ट को सही नहीं ठहराया जा सकता। घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। कमेटी की रिपोर्ट पर ही संज्ञान लिया जाएगा। जांच रिपोर्ट जल्द दिए जाने को लेकर अपर नगर आयुक्त को फिर से रिमाइंड करा दिया गया है। - उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्तडीजल घोटाले के खुलासे के बाद ख्भ् मार्च को मेयर डॉ। आईएस तोमर ने पुरानी व्यवस्था और नए सिस्टम के तहत वाहनों को दिए जा रहे डीजल का ब्यौरा तलब कर लिया था। जिस पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने इस साल ख्क् जनवरी से ख्0 फरवरी और ख्क् फरवरी से ख्0 मार्च तक चारों गैराज को सप्लाई किए गए डीजल की रिपोर्ट तैयार की। जिसमें इन दो महीने की रिपोर्ट में ही घोटालेबाजों द्वारा म्,8म्9 लीटर डीजल डकारे जाने की पुष्टि हुई है, जिसकी बाजार कीमत करीब सवा ब् लाख रुपए पड़ती है। जानकार पिछले कई साल से तेल में खेल होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में एक महीने में चार लाख रुपए के हिसाब से यह घोटाला करोड़ रुपए तक पहुंचता दिख रहा है।
हर गैराज में हुअा घोटालानगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी जांच में निगम के चारो गैराज में होने वाली डीजल सप्लाई की रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में निगम के सभी गैराज में घोटाले की बात खुलकर सामने आई। इन दो महीनों की रिपोर्ट में स्टोर गैराज में ख्7ब्ब् लीटर, सीआई पार्क गैराज में ख्07भ् लीटर, किला गैराज में 8फ्9 लीटर और सिविल लाइंस गैराज में क्ख्क्क् लीटर का अंतर पकड़ में आया। ख्क् जनवरी से ख्0 फरवरी के बीच इन गैराज को ब्ब्,7भ्क् लीटर डीजल की सप्लाई रिकार्ड्स में दिखाई गई थी। जबकि जांच के बाद सख्ती शुरू होने पर ख्क् फरवरी से ख्0 मार्च तक सभी गैराजों की डीजल सप्लाई रिपोर्ट फ्7,88ख् लीटर ही रही। एक महीने में ही इतने बड़े अंतर ने अधिकारियों को हैरान ि1कया है।
तीन महीने से जांच ठप निगम में हुए फ्यूल फ्रॉड की जांच के लिए गठित कमेटी तीन महीने बाद भी किसी नतीजे पर पहुंचने में नकारा साबित हुई है। निगम में डीजल सप्लाई में लाखों के फर्जीवाड़े का खुलासा ख्ब् जनवरी ख्0क्ब् को नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने किया था। घोटाले के खुलासे के बाद नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह ने फ्क् जनवरी को एक कमेटी गठित कर इसकी जांच कराने के निर्देश दिए थे। इस तीन सदस्यीय कमेटी में नगर स्वास्थ्य अधिकारी, अपर नगर आयुक्त और जलकल के एई को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन कमेटी जांच की दिशा में कोई कदम चलने में नाकाम दिखी। नगर आयुक्त के बार बार के रिमांइडर के बावजूद कमेटी की ओर से अब तक कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की जा सकी। नगर आयुक्त ने खारिज की रिपोर्टनगर स्वास्थ्य अधिकारी की रिपोर्ट भले ही निगम में हुए फर्जीवाड़े की पोल खोलने वाले आंकड़े दिखा रही हो और मेयर खुद इस पर संज्ञान ले रहे हो, लेकिन नगर आयुक्त इस पूरी रिपोर्ट को ही गलत बता इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। नगर आयुक्त नगर स्वास्थ्य अधिकारी की पर्सनल रिपोर्ट के बजाए कमेटी की जांच रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रहे हैं, जिस पर तीनों ही अधिकारियों की पुष्टि हो। जबकि जांच कमेटी में भी शामिल नगर स्वास्थ्य अधिकारी की रिपोर्ट को मानने से नगर आयुक्त इंकार कर रहे हैं। हालांकि नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी जांच की रिपोर्ट क्भ् अप्रैल को ही नगर आयुक्त को भी सौंप दी थी। जिस पर निगम एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से संज्ञान नहीं लिया गया।
निगम में हुए डीजल घोटाले की जांच में अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। ऐसे में कमिश्नर से मिलकर उनसे मामले की जांच बाहरी अधिकारी से कराने की संस्तुति करूंगा, जिससे सही जांच रिपोर्ट सामने आए। निगम में हुए घोटालों की जांच पर मैं कोई भी समझौता नहीं करूंगा। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर