Bareilly: कहने को तो हम 21वीं सदी को एक दशक से भी ज्यादा जी चुके हैं पर पीछे धकेलने वाली सोच अभी भी हमारे साथ हैं. इसक ा नतीजा हम सिटी में पिछले तीन साल में तीन बार हुए दंगों के रूप में देख चुके हैं. इनका दंश बरेलियंस के दिलों हमेशा जिंदा रहेगा. किसी ने इसमें अपनों को खोया तो किसी की रोजी जलकर राख हो गई. पिछले दंगों में जहां आधा दर्जन लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा वहीं कारोबार को भी तकरीबन एक अरब का नुकसान हुआ. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि रावण का पुतला जलने के साथ ही इंसानों के बीच बनी दीवार का गिरना जरूरी है. नफरत का रावण जब मरेगा तभी वास्तव में दशहरे का मतलब पूरा होगा. समाज को बांटने वाली इस कम्युनल टेंशन को जलाए बिना हमारा पुतला जलाना भी व्यर्थ होगा.
By: Inextlive
Updated Date: Tue, 23 Oct 2012 12:05 AM (IST)
पिछले कुछ सालों में शहर के हालात ज्यादा खराब रहे हैं। इसके लिए हमने भाईचारा कमेटी बनाई है। जहां हालात ज्यादा खराब होते हैं, वहां जाकर लोगों की बात सुनते हैं और उसका समाधान करते हैं। हमारी कोशिश है कि तमाम नौजवान इससे जुड़ें और अपने-अपने क्षेत्र में होने वाली समस्याओं को शुरुआत में ही भाईचारा कमेटी के साथ मिलकर सॉर्ट आउट करें। -वसीम बरेलवी, विख्यात शायर
Posted By: Inextlive